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#AIMIM के बढ़ते कदम, सेक्युलर जमातों को नुक्सान का खतरा बढ़ा

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) हैदराबाद से निकल कर देश के विभिन्न हिस्से में पैर पसारने की कोशिश में है। महाराष्ट्र और बिहार के बाद अब इसने पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा गुजरात का रूख किया है। इससे सेक्युलर जमातों को नुक्सान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है।
    दरअसल, एआईएमआईएम की पहचान  तेलंगाना-तमिलनाडु के मुसलमानों तक सिमटी थी। फिर इसने महाराष्ट्र में कदम रखा। थोड़े प्रयासों के बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद से एनडी टीवी इंडिया के पत्रकार इम्तियाज जलील इसके सांसद चुने गए। महाराष्ट्र से एआईएमआईएम के विधायक भी हैं।

एआईएमआईएम के बढ़ते कदम

असदु्द्दीन ओवैसी फिर बिहार पहुंचे। सीमावर्ती इलाकों में हाथ आज़माना शुरू किया। एक दशक के प्रयासों के बाद, इस बार के बिहार विधानसभा (BIHAR VIDHANSABHA) में  पार्टी के पांच विधायक चुने गए। इस नतीजे से एआईएमआईएम इतना उत्साहित है कि अब उसकी कोशिशें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और गुजरात में पैर पसारने की चल रही है। पश्चिम बंगाल में जल्द विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके बाद असम, यूपी, गुजरात का नंबर है। इस नज़रिए से ओवैसी की पार्टी ने मौजूदगी का एहसास कराने के लिए इन प्रदेशों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वहां के क्षेत्रीय दलों से गठबंधन के प्रयास किए जा रहे हैं। गुजरात में पार्टी की संभावनाएं तलाशने को हाल में एआईएमआईएम सांसद इम्तियाज जलील और विधायक आरिफ पठान अहमदाबाद गए थे, जहां उनका ज़ोरदार स्वागत किया गया।

ओवैसी से भाजपा को ताकत

इसके साथ ही एआईएमआईएम की छवि भारतीय जनता पार्टी की बी टीम के तौर पर मजबूत होने लगी है। इसने जहां कदम रखा, भाजपा को भरपूर लाभ पहुंचा। यहां तक कि इस बार के हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा ने ओवैसी के गढ़ में बाजी मार ली। लंबी-लंबी हांकने वाले ओवैसी हैदराबाद में ही भाजपा को नहीं रोक पाए।

सेक्युलर पार्टियों को नुक्सान

इससे पहले बिहार चुनाव में ओवैसी पर भाजपा को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा। इस प्रदेश में एआईएमआईएम को भले पांच सीटें मिलीं, पर इसने दस से पंद्रह सीटों पर सेक्युलर पार्टियों को नुक्सान पहुंचाया। परिणाम स्वरूप लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन सत्त के करीब आकर भी सरकार नहीं बना पाई। दूसरी तरफ भाजपा सबसे बड़़ी पार्टी बनकर उभरी।


एआईएमआईएम पर ध्रुवीकरण का आरोप

जिस तरह भाजपा पर हिंदू-मुस्लिम धु्रवीकरण का आरोप लगता है। एआईएमआईएम भी इस आरोपी में घिर गई है। इसके जहां कदम पड़ते हैं, वहां मजहबी धु्रवीकरण होता है। चुनाव में मुसलमानों में फूट पड जाती है, जिसकी वजह से सेक्युलर जमातों को भारी नुक्सान और भाजपा को भरपूर लाभ पहुँचता है। एआईएमआईएम के पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में कदम रखने के साथ चर्चा शुरू हो गई कि इन प्रदेश के चुनाव में मुसलमानों की हिमायत करने वाली पार्टियों वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बत्ती गुल हो सकती है। गुजरात में कांग्रेस आज भी भाजपा को टक्कर दे रही है। ओवैसी के वहां कदम रखने से कांग्रेस की कमर टूट सकती है। भारतीय जनता पार्टी का दूसरा कार्यकाल अब तक का अच्छा नहीं रहा। विशेष कर कोरोना काल में इसके काम-काज को लेकर लोग काफी गुस्से में हैं ।
कृषि कानून सहित कई अन्य विवादास्पद कानूनों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी  आलोचना हो रही है। ऐसे में ओवैसी यूं ही पैर फैलाते रहे तो निश्चित ही अगले लोकसभा चुनाव तक भाजपा को कमजोर नहीं होने देंगे। ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं।

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संपादक