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अली अनवर कांग्रेस में शामिल, ‘पसमांदा’ सियासत को बड़ा झटका

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पटना

बिहार की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर हुआ है। पसमांदा मुसलमानों की मुखर आवाज और पूर्व सांसद अली अनवर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इससे भाजपा और जदयू की ‘पसमांदा राजनीति’ को गहरा झटका लगा है।

बीते कुछ वर्षों से भाजपा शिया-सुन्नी और पसमांदा-अशराफ के नाम पर मुसलमानों में फूट डालने की कोशिश कर रही थी। कई अनजान मुस्लिम चेहरों को आगे बढ़ाकर कभी अशराफ मुसलमानों को निशाना बनाया गया, तो कभी सर सैयद अहमद खान जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व पर सवाल उठाए गए।

लेकिन, अली अनवर के कांग्रेस में शामिल होने से यह सियासी रणनीति कमजोर होती दिख रही है। उनके इस फैसले से भाजपा की ‘पसमांदा कार्ड’ खेलने की योजना को गहरा झटका लगा है।


अली अनवर का बयान: भाजपा में जाने का ऑफर मिला, लेकिन सिद्धांत नहीं छोड़ा

पूर्व सांसद अली अनवर ने कांग्रेस में शामिल होते ही नीतीश कुमार और भाजपा पर जमकर हमला बोला

उन्होंने कहा:

“मैं 2017 से ही बागी हो गया था, जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का हाथ थाम लिया था। मुझे राज्यसभा से बाहर कर दिया गया। भाजपा ने भी मुझे पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया, लेकिन मैंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।”

अली अनवर लंबे समय से पसमांदा मुस्लिम समुदाय की आवाज उठाते रहे हैं और भाजपा की इस पर की जा रही राजनीति के मुखर विरोधी रहे हैं। कांग्रेस में जाने के बाद उनके इस अभियान को और बल मिलेगा।


‘मिशन बिहार’ के तहत भाजपा-जदयू को सत्ता से हटाने की तैयारी

कांग्रेस ने बिहार चुनाव को लेकर बड़ा प्लान तैयार किया है। कांग्रेस की महिला विंग की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि पार्टी बिहार में पूरी ताकत झोंकने जा रही है।

उन्होंने कहा:

“राहुल गांधी के बिहार दौरे के बाद यह साफ हो गया कि कांग्रेस ने ‘मिशन बिहार’ की शुरुआत कर दी है। 2025 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। हम भाजपा और जदयू को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएंगे।”

अलका लांबा के नेतृत्व में कांग्रेस ने बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने की योजना बनाई है।

उन्होंने आगे कहा:

“मैं बिहार चुनाव तक यहीं रहूंगी। हर जिले और लोकसभा क्षेत्र का दौरा करूंगी। कांग्रेस का सदस्यता अभियान तेज़ किया जाएगा।”


भाजपा की ‘पसमांदा राजनीति’ फेल?

पिछले चार वर्षों से भाजपा पसमांदा मुसलमानों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन, अली अनवर के कांग्रेस में जाने से यह रणनीति कमजोर पड़ गई है।

क्या है भाजपा की ‘पसमांदा सियासत’?

  • मुस्लिम वोट बैंक को तोड़ने के लिए भाजपा ने ‘पसमांदा’ मुसलमानों पर फोकस किया।
  • इस समुदाय के कुछ चेहरों को आगे लाकर, अशराफ मुसलमानों पर हमले किए गए।
  • सर सैयद जैसे मुस्लिम लीडर्स को निशाना बनाया गया।
  • लेकिन, भाजपा सरकार ने खुद ही पिछड़े वर्ग के मुसलमानों को आरक्षण से बाहर रखा।

अली अनवर पहले से ही इस राजनीति का विरोध करते रहे हैं और अब कांग्रेस में शामिल होकर उनके विरोध का प्रभाव और अधिक बढ़ सकता है।


बिहार में बढ़ा सियासी तापमान

बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने अली अनवर को शामिल कर मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश की है।

अब देखना होगा कि क्या कांग्रेस ‘मिशन बिहार’ में कामयाब होगी या फिर भाजपा और जदयू मिलकर उसे रोकने में सफल होंगे?

👉 क्या अली अनवर की एंट्री कांग्रेस के लिए गेमचेंजर साबित होगी?
👉 क्या भाजपा की ‘पसमांदा रणनीति’ फेल हो चुकी है?
👉 2025 में बिहार की सत्ता में कौन काबिज होगा?

आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति और गरमाने वाली है! 🚨