इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कीं याचिकाएं, एएमयू में महिला नेतृत्व को मिली कानूनी मान्यता
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की पहली महिला कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति को लेकर उठी तमाम कानूनी आपत्तियों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निर्णायक फैसला सुनाते हुए सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि प्रो. खातून की नियुक्ति कानून सम्मत, निष्पक्ष और संविधानिक प्रक्रियाओं के अनुरूप की गई है।
🔷 एएमयू के इतिहास में पहली बार महिला कुलपति — न्यायपालिका की मुहर
हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति दोनाडी रमेश शामिल थे, ने विस्तृत सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह एएमयू अधिनियम, यूनिवर्सिटी रेगुलेशन्स और सरकारी नियमों के अनुसार हुई। अदालत ने टिप्पणी की कि यह नियुक्ति लैंगिक समावेशन और उच्च शिक्षा में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
🔷 कार्यवाहक कुलपति की भूमिका पर भी स्पष्टता
फैसले में यह भी रेखांकित किया गया कि पूर्व कार्यवाहक कुलपति गुलरेज़ की भूमिका केवल औपचारिक थी और उन्होंने चयन प्रक्रिया को किसी भी प्रकार से प्रभावित या प्रदूषित नहीं किया। कोर्ट ने यह माना कि उनकी भूमिका प्रक्रियात्मक रूप से सीमित थी और उनका हस्तक्षेप साबित नहीं हुआ।
🔷 राष्ट्रपति का अनुमोदन सर्वोच्च — किसी दुर्भावना के प्रमाण नहीं
कोर्ट ने कहा कि एएमयू के कुलपति की नियुक्ति में अंतिम निर्णय का अधिकार राष्ट्रपति, यानी विश्वविद्यालय के विज़िटर के पास होता है, और उनके स्तर पर कोई दुर्भावनापूर्ण मंशा या पक्षपात का संकेत नहीं मिला। प्रो. नईमा खातून की नियुक्ति को सर्वोच्च संवैधानिक स्वीकृति प्राप्त है, जिससे यह नियुक्ति और भी अधिक वैध, सम्मानजनक और विश्वसनीय बन जाती है।
🔷 प्रो. नईमा खातून की प्रतिक्रिया — न्याय और समावेशिता की जीत
फैसले के बाद एक आधिकारिक प्रतिक्रिया में प्रो. खातून ने कहा:
“मैंने हमेशा हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता में अटूट विश्वास रखा है। यह फैसला केवल मेरी व्यक्तिगत मान्यता नहीं है, बल्कि यह हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली में संस्थागत प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी पुष्टि है। मैं एएमयू में ईमानदारी, पारदर्शिता और समावेशी अकादमिक उत्कृष्टता को लेकर प्रतिबद्ध हूं। मुझे विश्वास है कि यह निर्णय विश्वविद्यालय के सभी हितधारकों में विश्वास और भरोसा उत्पन्न करेगा।”
🔷 उच्च शिक्षा में महिला नेतृत्व को नई दिशा
यह निर्णय न केवल एएमयू के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है, बल्कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व क्षमता को लेकर भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। प्रो. खातून की नियुक्ति उन तमाम मुस्लिम छात्राओं और शिक्षिकाओं के लिए नई राहें खोलती है, जो उच्च शिक्षा में नेतृत्व की आकांक्षा रखती हैं।
🟠 प्रासंगिक तथ्य:
नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रपति भवन की भूमिका निर्णायक होती है, जो विज़िटर के रूप में अंतिम मंजूरी देता है।
प्रो. नईमा खातून पहले एएमयू विमेंस कॉलेज की प्राचार्या रही हैं।
एएमयू की स्थापना 1920 में हुई थी; यह पहली बार है कि किसी महिला को कुलपति नियुक्त किया गया है।