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अफगानिस्तान में फिर आया 4.9 तीव्रता का भूकंप, लगातार भूकंपों से बढ़ रही चिंता

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,काबुल

अफगानिस्तान में शुक्रवार को एक बार फिर 4.9 तीव्रता का भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, यह भूकंप 160 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किया गया।

एनसीएस ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए बताया, “एम का ईक्यू: 4.9, दिनांक: 21/03/2025 01:00:57 IST, अक्षांश: 36.48 एन, देशांतर: 71.45 ई, गहराई: 160 किमी, स्थान: अफगानिस्तान।”

लगातार आ रहे झटकों से बढ़ी चिंता

यह भूकंप ऐसे समय में आया है जब 13 मार्च 2025 को भी अफगानिस्तान में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई केवल 10 किलोमीटर थी। एनसीएस ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा, “एम का ईक्यू: 4.0, दिनांक: 13/03/2025 13:58:36 IST, अक्षांश: 36.69 एन, देशांतर: 69.70 ई, गहराई: 10 किमी, स्थान: अफगानिस्तान।”

विशेषज्ञों के अनुसार, उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि इनमें सतह के पास ऊर्जा अधिक मात्रा में निकलती है, जिससे ज़मीन का कंपन बढ़ जाता है और संरचनाओं को अधिक नुकसान होता है।

भूकंप का असर और प्रभावित क्षेत्र

संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, उत्तरी अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत में भी 4.9 तीव्रता का एक और भूकंप दर्ज किया गया। यह भूकंप बल्ख प्रांत की राजधानी मजार-ए-शरीफ में आया और इसकी गहराई 66 किलोमीटर थी।

इस भूकंप के झटके उज्बेकिस्तान के टर्मेज शहर और उत्तरी अफगानिस्तान के समांगन प्रांत की राजधानी अयबक में भी महसूस किए गए। हालांकि, अब तक इस घटना में किसी भी तरह की जनहानि या संपत्ति के नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है।

इसके अलावा, मंगलवार की सुबह बदख्शां प्रांत की राजधानी फैजाबाद में 112 किलोमीटर की गहराई पर भी एक शक्तिशाली भूकंप दर्ज किया गया था।

अफगानिस्तान में भूकंपों का कारण और प्रभाव

अफगानिस्तान भौगोलिक रूप से एक संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है और यह भारतीय तथा यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच कई फॉल्ट लाइनों पर स्थित है। इनमें से एक प्रमुख फॉल्ट लाइन हेरात से होकर गुजरती है।

अमेरिकी वैज्ञानिक एजेंसी USGS के अनुसार, हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला दुनिया के सबसे अधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में हर साल कई छोटे-बड़े भूकंप आते हैं।

भूकंप के साथ अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) के अनुसार, अफगानिस्तान प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। मौसमी बाढ़, भूस्खलन और भूकंप यहाँ आम घटनाएँ हैं।

UNOCHA ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अफगानिस्तान में लगातार आने वाले भूकंप कमजोर समुदायों के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं। दशकों से चले आ रहे संघर्ष और अविकसित बुनियादी ढांचे के कारण यहाँ के लोग आपदाओं का सामना करने में असमर्थ हैं।

अफगानिस्तान रेड क्रॉस की रिपोर्ट के अनुसार, इस देश में 2025 में अब तक कई प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं। इनमें विनाशकारी बाढ़, भीषण भूकंप और मूसलाधार बारिश के कारण घरों का ढहना शामिल है।

भविष्य की रणनीति और सुरक्षा उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान को अपनी आपदा प्रबंधन रणनीति को और मजबूत करने की आवश्यकता है। सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को राहत प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण, नागरिक सुरक्षा प्रशिक्षण और आपातकालीन सेवाओं में सुधार से इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

काबिल ए गौर

अफगानिस्तान में हालिया भूकंपों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बनी हुई है। हिंदू कुश क्षेत्र की टेक्टोनिक गतिविधियाँ यहाँ बार-बार झटकों का कारण बनती हैं। ऐसे में लोगों की सुरक्षा के लिए बेहतर पूर्व चेतावनी प्रणाली और मजबूत आपदा प्रबंधन योजना की आवश्यकता है।

सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि इस संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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