भारत में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल: जब मंदिर और मस्जिद बने भाईचारे का प्रतीक
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मुस्लिम नाउ विशेष
भारत विविधता में एकता का अनूठा उदाहरण है, जहाँ अलग-अलग धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं के बावजूद प्रेम और भाईचारा कायम है। जब एक ओर कुछ लोग मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने या धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, तब भी कई ऐसे स्थान हैं जहाँ मंदिर और मस्जिद न केवल एक साथ मौजूद हैं, बल्कि सौहार्द का संदेश भी दे रहे हैं।
कुशीनगर: जहाँ मंदिर और मस्जिद का रिश्ता 62 वर्षों से कायम
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक ऐसा गाँव है, जहाँ मंदिर और मस्जिद लगभग 30 फीट की दूरी पर स्थित हैं। 1960 में मंदिर की आधारशिला रखी गई और इसके कुछ साल बाद 1965 में मस्जिद का निर्माण हुआ। इस गाँव के लोगों के लिए धर्म से अधिक महत्वपूर्ण आपसी भाईचारा और सद्भाव है। यहाँ की परंपरा यह है कि जब मंदिर में आरती होती है तो मस्जिद के अजान का माइक बंद कर दिया जाता है, और जब अजान होती है, तो मंदिर के माइक की आवाज धीमी कर दी जाती है। मंदिर के पुजारी कन्हैया तिवारी और मस्जिद के मौलवी मोहम्मद मासूम हर दिन एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं, जो इस सामंजस्यपूर्ण रिश्ते को और मजबूत करता है।

टोंक: नवाब द्वारा एक ही दिन मंदिर और मस्जिद की स्थापना
राजस्थान का ऐतिहासिक शहर टोंक सांप्रदायिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। यहाँ के पहले नवाब अमीर खान ने 1817 में एक ही दिन रघुनाथ जी मंदिर और शाही जामा मस्जिद की नींव रखी थी। टोंक में हिंदू और मुस्लिम समुदाय वर्षों से साथ रहते आए हैं और इन धार्मिक स्थलों को साझा करते हैं। यहाँ की मस्जिदों में हिंदू व्यापारी वर्षों से दुकानें चला रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि व्यापार और धार्मिक आस्था में कोई भेदभाव नहीं है।
मालेरकोटला: जहाँ मंदिर और मस्जिद की दीवारें एक साथ खड़ी हैं
पंजाब के मुस्लिम बहुल शहर मालेरकोटला में भी धार्मिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिलती है। यहाँ लक्ष्मी नारायण मंदिर और अक्सा मस्जिद की दीवारें आपस में सटी हुई हैं। जब मंदिर में आरती होती है, तो मस्जिद में अजान थोड़ी देर के लिए रोक दी जाती है। पुजारी चेतन शर्मा और मौलाना साहब हर दिन एक-दूसरे का अभिवादन ‘राम-राम’ कहकर करते हैं। यह आपसी समझ और सम्मान का जीता-जागता उदाहरण है।

कानपुर: हनुमान मंदिर और मस्जिद का साझा प्रवेश द्वार
उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित एक हनुमान मंदिर और मस्जिद का साझा प्रवेश द्वार है, जिसे दोनों समुदायों ने वर्षों से बिना किसी विवाद के अपनाया हुआ है। यहाँ के लोग एक-दूसरे के धार्मिक त्योहारों में शामिल होते हैं और सामाजिक समरसता को बनाए रखते हैं।
रांदेर, सूरत: मस्जिदों का शहर और गंगा-जमुनी तहजीब
गुजरात के सूरत जिले के रांदेर शहर को ‘मस्जिदों का शहर’ कहा जाता है, जहाँ 1 किलोमीटर के दायरे में लगभग 60 मस्जिदें हैं। यहाँ हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं और धार्मिक सद्भाव को बनाए रखते हैं।
अजमेर: सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर में सर्वधर्म समभाव की मिसाल
अजमेर स्थित सीआरपीएफ के ग्रुप सेंटर में चारों प्रमुख धर्मों के धार्मिक स्थल – मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च एक ही स्थान पर हैं। इन स्थलों में जाने के लिए एक ही प्रवेश द्वार है, जिससे यह संदेश दिया जाता है कि ईश्वर तक पहुँचने के रास्ते एक ही होते हैं। यहाँ जवान और उनके परिवारजन सभी धार्मिक स्थलों में पूजा-अर्चना करते हैं और आपसी सद्भाव बनाए रखते हैं।
पिंजौर: जहाँ मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा एक चौराहे पर हैं
हरियाणा के पिंजौर में एक ही चौराहे पर तीन प्रमुख धार्मिक स्थल हैं – प्राचीन शिव मंदिर, शाहजहाँ द्वारा बनवाई गई मस्जिद, और गुरुद्वारा मंजी साहिब। यहाँ के लोग वर्षों से मिलजुलकर अपने धार्मिक अनुष्ठान करते आए हैं। जब सुबह मंदिर में आरती होती है, गुरुद्वारे में कीर्तन होता है और मस्जिद में अजान दी जाती है, तो यह एकता का दुर्लभ और अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
निष्कर्ष: भारत की गंगा-जमुनी तहजीब हमेशा कायम रहेगी
भारत में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के ये उदाहरण यह साबित करते हैं कि धर्म और आस्था के बीच कोई दीवार नहीं होती। कुछ कट्टरपंथी भले ही समाज को विभाजित करने की कोशिश करें, लेकिन देश में ऐसे हजारों मंदिर और मस्जिद हैं, जो भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की ये मिसालें भारत की विविधता और समरसता को और मजबूत करती हैं।