रमज़ान में मानवता की मिसाल: मुस्लिम युवक ने हिंदू महिला को रक्तदान कर दिखाई करुणा
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,कल्याणी, पश्चिम बंगाल
धर्म और सीमाओं से परे इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए 27 वर्षीय मुस्लिम युवक नसीम मलिता ने रमज़ान के पवित्र महीने में उपवास के दौरान एक हिंदू महिला संगीता घोष को रक्तदान कर जीवनदान दिया। नादिया जिले के माजदिया की रहने वाली संगीता घोष किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं और उन्हें समय-समय पर रक्त आधान की आवश्यकता होती है।
रक्तदान की प्रेरणादायक कहानी
रविवार को कल्याणी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती संगीता घोष को तत्काल रक्त की आवश्यकता थी। ऐसे में आपातकालीन रक्त सेवा (EBS) की ओर से एक अनुरोध किया गया। नसीम मलिता ने न केवल इस अनुरोध को स्वीकार किया, बल्कि प्राप्तकर्ता की पहचान या धर्म जाने बिना ही आगे बढ़कर रक्तदान किया। उनके इस निस्वार्थ सेवा कार्य की क्षेत्र में व्यापक सराहना की जा रही है।
रमज़ान के दौरान निस्वार्थ सेवा का उदाहरण
रमज़ान में मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो सकता है। बावजूद इसके, नसीम मलिता ने बिना किसी संकोच के रक्तदान करने का फैसला किया। मूल रूप से मुर्शिदाबाद के पलाशी के निवासी नसीम इस समय अपनी पढ़ाई के लिए कल्याणी में रह रहे हैं। जब उन्हें EBS से कॉल आया, तो उन्होंने बिना देर किए अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया। संगीता के बेटे संजू घोष, जो स्वयं भी EBS के स्वयंसेवक हैं, ने नसीम के इस महान कार्य के लिए आभार प्रकट किया।
EBS: रक्तदान के माध्यम से इंसानियत की सेवा
आपातकालीन रक्त सेवा (EBS) की स्थापना 2016 में केवल पाँच सदस्यों के साथ की गई थी, लेकिन आज यह 15,000 से अधिक स्वयंसेवकों के मजबूत नेटवर्क में बदल चुकी है। इसका उद्देश्य बिना किसी बिचौलियों या व्यावसायिक लाभ के जरूरतमंदों को रक्तदान की सुविधा उपलब्ध कराना है।
EBS के सचिव सुबीर सेन ने बताया कि संगठन का मुख्य उद्देश्य रक्तदान के क्षेत्र में हो रही दलाली को समाप्त करना और जरूरतमंदों तक निःशुल्क रक्त पहुंचाना है। नसीम मलिता और संजू घोष दोनों इस संगठन से जुड़े हुए हैं और अक्सर जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। उनका मानना है कि रक्तदान जाति, धर्म या समुदाय से ऊपर उठकर एक मानवीय कर्तव्य है।
मानवता की ताकत को दर्शाती प्रेरणादायक कहानी
नसीम मलिता का यह कदम धार्मिक सीमाओं से परे मानवीय मूल्यों की शक्ति को उजागर करता है। यह घटना दर्शाती है कि जब समाज के लोग प्रेम, करुणा और भाईचारे की भावना से प्रेरित होते हैं, तो सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता को मजबूती मिलती है। संगीता घोष के परिवार ने नसीम के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की और कहा कि यह न केवल रक्तदान का मामला था, बल्कि यह दिखाता है कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
रक्तदान से जुड़ी जागरूकता और प्रेरणा
रक्तदान को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। नसीम जैसे युवा इस कार्य को न केवल प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि समाज को एक मजबूत संदेश भी दे रहे हैं कि धार्मिक मतभेदों से परे मानवता सबसे महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम अपने स्तर पर समाज की भलाई के लिए क्या कर सकते हैं।
समाज में करुणा और सहिष्णुता को बढ़ावा देने की आवश्यकता
नसीम मलिता का यह परोपकारी कार्य हमें याद दिलाता है कि धर्म और जाति की दीवारें केवल इंसानों द्वारा बनाई गई हैं। जब लोग इन दीवारों को तोड़ते हैं और दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं, तब समाज में प्रेम और सद्भाव का वातावरण बनता है।
काबिल ए गौर
रमज़ान के पवित्र महीने में किया गया यह रक्तदान केवल एक चिकित्सा सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और मानवता का अद्भुत उदाहरण है। ऐसे कार्य समाज में करुणा, सहिष्णुता और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं। इस प्रेरणादायक घटना से हम सबक ले सकते हैं और अपने स्तर पर समाज की भलाई के लिए आगे आ सकते हैं। आइए, हम सब मिलकर इस तरह के नेक कार्यों को प्रोत्साहित करें और समाज में एकता और सद्भाव का संदेश फैलाएं।