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ऑल इंडिया इमाम काउंसिल का ऐलान, आरएसएस के मुस्लिम मोर्चा का बंद कराएं दुकान

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

आल इंडिया इमाम काउंसिल ने कहा है कि मुस्लिम राष्ट्र मंच आरएसएस के लिए 2002 में बनाई गई तंजीम है. मुसलमान इसको लेकर धोखा न खाएं.काउंसिल ने कहा कि आज पूरे मुल्क में मुस्लिम कम्युनिटी में संघी नजरिया रखने वाले लोग मुुसलमानों को दुश्मन मुल्क यानी संघ परिवार से जोड़ने की कोशिश में लगे हैं.

सोशल मीडिया पर ऑल    इंडिया मुस्लिम काउंसिल के प्लेटफार्म से जारी दो पेज के बयान में यह बातें कही गई हैं. इस बयान में मुस्लिम मोर्चा के बारे में कहा गया है,‘‘ इस आस्तीन के सांप से अवाम को वाकिफ कराना और पहचान कर इसके तमाम मेंबर्स का सामाजिक बहिष्कार करना जरूरी है.

अगर यह बयान वास्त में ऑल इंडिया इमाम काउंसिल का है तो यह ऐसे समय आया है जब संघ परिवार मुसलमानों को अपने करीब लाने का हर तरह से प्रयास कर रहा है. इस सिलसिले में आरएसएस चीफ मोहन भागवत के कई बयान आ चुके हैं, जिसमें कहा गया, ‘‘मुसलमान और हिंदू का डीएनए एक है’’. ‘‘यदि कोई हिंदू गोकशी के नाम पर मॉब लिंचिंग करता है तो वह हिंदुत्व नहीं है.’’ यही नहीं संघ के चीफ की मौजूदगी में हाल में कई ऐसी किताबों का विमोचन भी हुआ है, जो संघ परिवार के करीब मुसलमानों को लाने में मदद कर सकता है. मुस्लिम मोर्चा ने हाल में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मुसलमानों का वोट बीजेपी को दिलाने के उद्देश्य से कई तरह के काम किए थे.

 यहां तक कि मुस्लिम औरतों को समझाने की कोशिश की गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुसलमानों एवं हिंदू में भेदभाव नहीं करते. सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मुसलमानों को भी उतना ही मिल रहा है जितना के दूसरे कौम के लोगों की. अलग बात है कि मुस्लिम मोर्चा के तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर प्रदेश के मुसलमान इसके झांसे में नहीं आए. परिणाम स्वरूप इस चुनाव में बीजेपी को 50 से अधिक सीटों का नुक्सान झेलना पड़ा. मुसलमानों का वोट चाहने वाली बीजेपी ने इस बार भी किसी मुसलमान को टिकट नहीं दिया.

बहरहाल, केरल के तरूद में 22 मार्च को आयोजित ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के इजलास में संघ परिवार पर धावा बोलते हुए कहा गया,‘‘  1925 से आज तक मुल्क में जितने भी फसाद और कत्ल-ओ-गारत हुए, उनमें भागलपुर, मुंबई, मेरठ-हाशिमपुरा, मलियाना आदि में घरों को निशाना बनाकर मुसलमानों एवं दलितों का कत्ल-ए-आम कराया गया.

ऑल  इंडिया इमाम काउंसिल ने प्रस्ताव पास कर ‘द कश्मीर फाइल्स’ को झूठ और प्रोपेगेंडा करार देते हुए इसे संघ का एजेंडा बताया. कहा गया कि यह मुसलमानों के खिलाफ संघ का एजेंडा है. मुल्क में खानाजंगी यानी गृहयुद्ध को हवा दी जा रही है.

सोशल मीडिया में वायरल आॅल इंडिया इमाम काउंसिल के दो पेज के कथित बयान में कर्नाटक के हिजाब मामले में वहां के हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर सख्त टिप्पणी की गई है. बयान में फैसले को ‘इस्लामोफोबिया’ का नतीजा करार दिया गया है. कहा गया-यह इंतहाई  जाहिलाना फैसला है.’’

बयान में कहा गया, ‘‘ मुसलमानों को शरीयत के खिलाफ कोई भी फैसला मंजूर नहीं. शरियत में मदाखलत बुनियादी हुकूक के खिलाफ है.’’ बयान में हिंदुस्तान को बेहतरीन मुल्क बताते हुए कहा गया,‘‘इस मुल्क में सभी कौम के लोग रहते हैं. मगर मुसलमानों के प्रति रवैया ठीक नहीं.’’

बयान में यह भी कहा गया, ‘‘कर्नाटक हाई कोर्ट का यह कहना कि हिजाब इस्लाम का लाजमी हिस्सा नहीं, इंतहाई जाहिलाना फैसला है. यह इंसाफ के खिलाफ काला धब्बा है.’’ऑल  इंडिया इमाम काउंसिल के इस सख्त बयान से निश्चित ही बड़ा बवंडर खड़ा हो सकता है. इस बयान में मुसलमानों को ललकारने वाले अंदाज में बातें कही गई हैं. इसमें प्रस्ताव पास कर देशभर में अभियान चलाने की भी बातें कही गई हैं.