अनुराग ठाकुर- भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के खिलाफ एफआईआर की बृंदा करात की याचिका पर दिल्ली पुलिस से मांगा जवाब
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस से माकपा नेता बृंदा करात की उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें केंद्रीय मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से निचली अदालत के इनकार के खिलाफ याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है.
अनुराग ठाकुर और उनके भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा को सीएए विरोधी प्रदर्शनों पर उनके कथित घृणास्पद भाषणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए याचिका दाखिल की गई है.जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने शहर की पुलिस को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
सुनवाई के दौरान पीठ ने पाया कि प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट का यह कहना कि दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी की आवश्यकता है, सही नहीं है.
पिछले साल 13 जून को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने माकपा नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा भाजपा के दो सांसदों के खिलाफ उनके कथित घृणास्पद भाषणों के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था.
सच सुनते ही हवाइयाँ उड़ गयी चेहरे से.. pic.twitter.com/jeMMNMiTV6
— Rajeev Nigam (@apnarajeevnigam) March 23, 2023
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि कानून के तहत मौजूदा तथ्यों में एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लेनी जरूरी है.
याचिकाकर्ताओं ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया कि ठाकुर और वर्मा ने लोगों को उकसाने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुईं.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया, 27 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय राजधानी में रिठाला में एक रैली में, शाहीन बाग के सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद, ठाकुर ने भीड़ को आग लगाने वाला नारा – देश के गद्दारों को गोली मारो सालांे को- लगाने के लिए उकसाया.
उन्होंने दावा किया कि वर्मा ने भी 28 जनवरी, 2020 को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक भड़काऊ भाषण दिया था.ट्रायल कोर्ट ने 26 अगस्त, 2021 को याचिकाकर्ताओं की शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह टिकाऊ नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार, जो कि सक्षम प्राधिकारी है, से अपेक्षित मंजूरी प्राप्त नहीं की गई है.
Listen to this BJP MP Pravesh Verma.
— Md Asif Khan (@imMAK02) January 28, 2020
He is saying if BJP comes in power in Delhi on 11th Feb then within 1 hour he will remove Shaheen Bagh protesters. And in his constituency, he will remove all those mosques which are built on govt land.#ShaheenBaghProtest pic.twitter.com/Zp7s2FwFlx
करात और तिवारी ने अपनी शिकायत में दोनों बीजेपी नेताओं के खिलाफ 153-ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153- सहित विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी. आईपीसी के बी (आरोप, राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल दावे) और 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के उद्देश्य से उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना).
उन्होंने आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत भी कार्रवाई की मांग की थी, जिसमें 298 (किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से उच्चारण, शब्द आदि), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 शामिल हैं. इसके तहत अपराधों के लिए अधिकतम सजा सात साल की जेल है.