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सांप्रदायिक सौहार्द की अपील: पूर्व नौकरशाहों और बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री को लिखा खुला पत्र

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

देश में बिगड़ते सांप्रदायिक संबंधों को लेकर चिंतित नागरिकों, पूर्व नौकरशाहों और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है. इसमें बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और प्रशासन की कथित पक्षपातपूर्ण भूमिका पर गहरी चिंता जताई गई है. उन्होंने प्रधानमंत्री से समय की मांग की है ताकि एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मुलाकात कर इन मसलों पर चर्चा कर सके.

पिछले घटनाक्रम ने बढ़ाई चिंताएं

यह समूह पहले भी इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संवाद की कोशिश कर चुका है. हालांकि, काशी और मथुरा मस्जिदों को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाया. अब, संभल और अजमेर दरगाह जैसे धार्मिक स्थलों पर मंदिर खोजने के प्रयासों के बीच, यह समूह दोबारा सक्रिय हो गया है.

एक न्यूज पोर्टर की खबर के अनुसारए,पत्र में कहा गया है कि गोरक्षा के नाम पर मुस्लिम युवाओं को निशाना बनाने, मुस्लिम व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों पर बुलडोजर चलाने जैसी घटनाओं ने सांप्रदायिक असुरक्षा को गहरा किया है.
पत्र में यह भी दावा किया गया कि 1.54 लाख से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठानों और आवासों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय से जुड़े हैं.

दरगाहों और मस्जिदों पर सर्वेक्षण की निंदा


खुले पत्र में अजमेर की दरगाह और अन्य धार्मिक स्थलों पर पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग को अस्वीकार्य बताया गया. इसमें कहा गया कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शांति और सद्भाव का प्रतीक है, जिस पर हमला हमारी सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत पर सीधा प्रहार है.

समूह ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को कानून और संविधान का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दें. उन्होंने सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ एक सर्वधर्म बैठक बुलाने की भी मांग की, ताकि भारत की बहुलतावादी और समावेशी परंपरा को सुरक्षित रखा जा सके.

प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की मांग

पत्र के अंत में समूह ने प्रधानमंत्री से एक प्रतिनिधिमंडल को समय देने का अनुरोध किया है ताकि वे सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने और बढ़ती असुरक्षा को कम करने के लिए ठोस सुझाव पेश कर सकें.

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में कई प्रमुख पूर्व नौकरशाह और बुद्धिजीवी शामिल हैं, जिनमें एन.सी. सक्सेना (पूर्व सचिव, योजना आयोग), नजीब जंग (पूर्व उपराज्यपाल, दिल्ली), एस.वाई. कुरैशी (पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त), लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह (पूर्व उप सेना प्रमुख), और शाहिद सिद्दीकी (पूर्व संपादक, नई दुनिया) जैसे नाम प्रमुख हैं

इस खुले पत्र ने सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता पर नई बहस छेड़ दी है. प्रधानमंत्री से अपेक्षा है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर देश को एक समावेशी और शांतिपूर्ण दिशा में ले जाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे.