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अरब और यूरोपीय देश गाजा पुनर्निर्माण के लिए एकजुट, ट्रंप की योजना को कड़ी चुनौती

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, रोम

गाजा पट्टी के पुनर्निर्माण को लेकर वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इजरायल के सहयोग से गाजा पर कब्जे की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब इस योजना को अरब देशों के साथ-साथ यूरोपीय देशों से भी कड़ी चुनौती मिल रही है।

इजरायल द्वारा गाजा में की गई तबाही के बावजूद ट्रंप उसके समर्थन में मजबूती से खड़े हैं। ऐसे में अरब देशों ने न केवल ट्रंप के मंसूबों को विफल करने के लिए एकजुटता दिखाई है, बल्कि गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक ठोस योजना भी तैयार कर ली है। इस मुद्दे पर मुस्लिम देशों की एक शिखर वार्ता भी हो चुकी है, जिसमें यूरोपीय देशों ने भी भाग लिया और ट्रंप की नीति के खिलाफ अरब देशों के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया।

गाजा पुनर्निर्माण योजना और अरब देशों की रणनीति

फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त रूप से कहा कि वे अरब देशों की ओर से प्रस्तावित गाजा पुनर्निर्माण योजना का समर्थन कर रहे हैं। इस योजना की अनुमानित लागत 53 बिलियन डॉलर होगी और इसका उद्देश्य गाजा के निवासियों को विस्थापन से बचाना है।

संयुक्त बयान में कहा गया, “यह योजना गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक यथार्थवादी रास्ता दिखाती है और यदि इसे लागू किया जाता है तो यह वहां के निवासियों के भयावह जीवन स्तर में तेजी से सुधार लाने में मदद करेगी।”

मिस्र द्वारा प्रस्तावित योजना का खाका

मिस्र द्वारा तैयार की गई इस योजना को अरब लीग ने अपनाया है। इसमें मुख्य रूप से गाजा पट्टी को फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अधीन लाने और वहां एक स्वतंत्र, पेशेवर प्रशासनिक समिति स्थापित करने की बात कही गई है। इस समिति की जिम्मेदारी गाजा के मानवीय सहायता वितरण की निगरानी और क्षेत्र के प्रबंधन की होगी।

हालांकि, इजरायल और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। ट्रंप की योजना गाजा पट्टी को एक “मिडिल ईस्ट रिवेरा” में बदलने और वहां के निवासियों को जबरन विस्थापित करने की थी, जिसे वैश्विक स्तर पर तीखी आलोचना झेलनी पड़ी।

OIC और अरब लीग का संयुक्त समर्थन

इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भी अमेरिका की विवादास्पद योजना को खारिज कर दिया है। 57 सदस्यीय इस्लामी संगठन ने हाल ही में जेद्दा में एक आपातकालीन बैठक की, जिसमें गाजा के पुनर्निर्माण को लेकर अरब लीग की योजना का समर्थन किया गया। इस बैठक में यह सहमति बनी कि गाजा पट्टी को फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अधीन रखा जाना चाहिए और इजरायल को वहां से पूरी तरह पीछे हटना होगा।

अरब लीग का नया प्रस्ताव और वैश्विक समर्थन

तीन दिन पहले काहिरा में अरब लीग के शिखर सम्मेलन में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती ने कहा, “OIC की बैठक ने मिस्र की इस योजना को समर्थन दिया है, जिससे यह अब एक साझा अरब-इस्लामी योजना बन गई है।”

सूडान समेत कई अन्य मुस्लिम देशों ने भी इस पहल को अपना समर्थन दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप की योजना पर वैश्विक आलोचना

डोनाल्ड ट्रंप की योजना में गाजा को “मध्य पूर्व का रिवेरा” बनाने और वहां के निवासियों को मिस्र या जॉर्डन में स्थानांतरित करने की बात कही गई थी। इस प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। OIC परिषद के अध्यक्ष और कैमरून के विदेश मंत्री लेजेउन मबेला ने कहा, “यह बैठक हालिया घटनाओं के मद्देनजर बुलाई गई है, जिसमें फिलिस्तीनियों के जबरन विस्थापन के प्रस्ताव भी शामिल हैं।”

OIC शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष गाम्बिया के विदेश मंत्री मामादौ तंगारा ने ट्रंप की योजना को “निर्मम, भड़काऊ और अमानवीय” बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की योजनाएं हालिया युद्धविराम प्रयासों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

गाजा ट्रस्ट फंड की स्थापना

काहिरा में अरब लीग की बैठक में गाजा के पुनर्निर्माण के लिए एक ट्रस्ट फंड स्थापित करने की भी घोषणा की गई। इस फंड में यूरोपीय संघ, जापान, रूस और चीन जैसे अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से सहयोग लिया जाएगा। मिस्र के विदेश मंत्री अब्देलती ने कहा कि इस योजना को एक “अंतरराष्ट्रीय प्रस्ताव” के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे इसे व्यापक वैश्विक समर्थन मिल सके।

अमेरिका और हमास की प्रतिक्रिया

गौरतलब है कि इस योजना में हमास की भूमिका अस्पष्ट बनी हुई है, जबकि गाजा पर वर्तमान में उसी का शासन है। अमेरिका और इजरायल ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, “यह योजना वाशिंगटन की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती।” वहीं, ट्रंप के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ ने इसे “मिस्र द्वारा सद्भावनापूर्ण पहला कदम” करार दिया।

OIC में सीरिया की वापसी

इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया—सीरिया को OIC में दोबारा शामिल करना। 2012 में गृहयुद्ध के चलते सीरिया की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी, लेकिन अब उसे फिर से संगठन में शामिल कर लिया गया है।

सीरियाई विदेश मंत्रालय ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे “सीरिया को क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिर से स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम” बताया।

काबिल ए गौर

OIC और अरब लीग का यह संयुक्त कदम फिलिस्तीनी मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से उठाने की दिशा में एक अहम कड़ी साबित हो सकता है। यह न केवल ट्रंप की विवादास्पद योजना को खारिज करता है, बल्कि गाजा के पुनर्निर्माण और दो-राज्य समाधान की दिशा में नए प्रयासों को भी उजागर करता है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि वैश्विक शक्तियां इस प्रस्ताव पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं और यह समाधान कितना प्रभावी साबित होता है।