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रियाद में फिलिस्तीन और लेबनान पर इजरायली आक्रमण के विरोध में अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,रियाद

सऊदी अरब ने फिलिस्तीनी और लेबनानी क्षेत्रों में इजरायली आक्रमण के बढ़ते घटनाक्रम को देखते हुए 11 नवंबर को एक विशेष अरब-इस्लामी शिखर सम्मेलन का आयोजन किया. यह सम्मेलन क्षेत्र में बढ़ते तनाव और हिंसा के बीच तत्काल कदम उठाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया.

सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इसके साथ ही यह सम्मेलन फिलिस्तीन और लेबनान को समर्थन देने, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बनाने और क्षेत्र में स्थिरता और शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए एक साझा मंच प्रदान करेगा.

इस बैठक का आयोजन सऊदी अरब के नेतृत्व में किया गया, जिसमें किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद ने प्रमुख भूमिका निभाई. सऊदी अरब ने अपने ऐतिहासिक और इस्लामी मिशनों के तहत इस पहल को आगे बढ़ाते हुए फिलिस्तीनी मुद्दे को संरक्षित रखने का संकल्प लिया.

इसके साथ ही, शिखर सम्मेलन का उद्देश्य अरब और इस्लामी राष्ट्रों को एक मंच पर लाकर उनके विचारों और नीतियों को एकीकृत करना था, ताकि एक ठोस और एकजुट रुख के साथ इजरायली आक्रमण का विरोध किया जा सके.

सम्मेलन के दौरान, सभी सदस्य देशों ने फिलिस्तीनी और लेबनानी क्षेत्रों में हो रहे इजरायली आक्रमण की कड़ी निंदा की. इसे मानवीयता के खिलाफ एक गंभीर अपराध माना. नेताओं ने कहा कि यह हमला न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी गम्भीर खतरे में डालता है.

सभी नेताओं ने यह भी साझा किया कि इजरायली आक्रमण को रोके बिना क्षेत्र में शांति और स्थिरता संभव नहीं है. इसके साथ ही, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से मांग की कि वे इजरायली कब्जे और उसके द्वारा अपनाई गई आक्रामक नीतियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करें.

इस शिखर सम्मेलन में यह भी पुष्टि की गई कि इजरायली कब्जा फिलिस्तीनी अधिकारों और इस्लामी-ईसाई पवित्र स्थलों का निरंतर उल्लंघन कर रहा है, जो कि संघर्ष के बढ़ने का मुख्य कारण है. नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि फिलिस्तीनी जनता को उनके सभी अधिकारों का पूर्ण लाभ मिलना चाहिए, जिनमें 1967 की सीमाओं के भीतर स्वतंत्र संप्रभु राज्य की स्थापना भी शामिल है, जिसमें अल-कुद्स (जेरूसलम) उनकी राजधानी हो। इसके साथ ही, सऊदी अरब और उसके सहयोगी राष्ट्रों ने इस बात पर जोर दिया कि दो-राज्य समाधान ही एकमात्र स्थायी समाधान है, जो क्षेत्र में स्थायी शांति ला सकता है.

सम्मेलन के दौरान, सऊदी अरब ने घोषणा की कि फिलिस्तीन की स्वाधीनता और उसके सभी अधिकारों की रक्षा के लिए वह पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहेगा. इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों को बढ़ाने और फिलिस्तीन मुद्दे को अधिक केंद्रीयता देने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

साथ ही, अरब शांति पहल को इस लक्ष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक मानते हुए इसे आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की गई.अरब-इस्लामी नेताओं ने फिलिस्तीनी अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना और गाजा पट्टी में इजरायली हमलों को रोकना बेहद जरूरी है.

नेताओं ने कहा कि यदि इजरायल के आक्रमण और उसके आक्रामक नीतियों पर रोक नहीं लगाई गई तो पूरे क्षेत्र में और भी अधिक अशांति फैल सकती है.

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