अरशद मदनी और महमूद मदनी आरएसएस से मिले हुए हैं, संघ की बातों को आगे बढ़ाने के लिए महाअधिकवेशन बुलाया : सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महमूद पराचा
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
गलत ढंग से मुसलमानों को कानूनी दांव पेंच में फंसाने के खिलाफ पिछले कई वर्षों सुप्रीम कोर्ट मंे लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ अधिकवक्ता महमूद पराचा ने जमीयत उलेमा ए हिंद के तमीम शीर्ष नेताओं पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्हांेने मुसलमानों को आरएसएस के करीब लाने के लिए निरंतर प्रयासरत एस वाई कुरैशी, नजीब जंग, शाहिद सिद्दीकी, जमीरूद्दीन शाह जैसे मुस्लिम बुद्धिजीवियों एवं जमीयत के बड़े नेताआंे को ‘बिकाउ’ और ‘दलाल’ कहा है.
कुछ दिनांे पहले नई दिल्ली की रामलीला मैदान में आयोजित जमीयत उलेमा ए हिंद के 34 राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन जमीयत के अरशद मदनी द्वारा सारे इंसानों को मनु की औलाद कहने पर भड़के जैन को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महमूद पराचा ने आरोप लगाया है कि अरशमद मदनी और महमूद मदनी आरएसएस के नजरिया को आगे बढ़ा रहे हैं. महमूद पराचा ने एक सोशल मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू मंे कहा कि बाबा साहब और संविधान को मानने वाले मनुवाद का विरोध करते हैं और महमूद मदनी और अरशद मदनी उसे ही बढ़ा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मनुस्मृति इंसान को इंसान की बराबरी का दरजा नहीं देता. जैन मुनि ने दरअसाल, मनु का समर्थन करने का ही विरोध किया था.
महमूद पराचा ने जमीयत के दोनांे शीर्ष नेताओं पर आरोप लगाया कि वे बहुत दिनों से आरएसएस के करीब हैं और संघ की बातों को मुसलमानों के बीच आगे बढ़ा रहे हैं. पराचा ने यहां तक कहा कि गृहमंत्री अमित शाह को ईडी भेजकर पता लगाना चाहिए कि 34 वें अधिवेशन में लाखों लोगों को इकट्ठाकर खर्च किए गए पैसे कहां से आए ?
उन्हांेने महमूद मदनी और अरशद मदनी पर हमला करते हुए कहा कि वे मुसलमानों के बीच कहते हैं कि हम आतंकवादी नहीं हैं. यानी चोर की दाढ़ी में तिनका. जमीयत के शीर्ष नेताओं को ऐसी बातें बजरंगदल के बीच कहनी चाहिए. वही मुसलमानांे को आतंकवादी बताते हैं. उन्हांेने कहा कि मुसलमान कभी आतंकवादी न था और न है. इसके साथ उन्हांेने अपने लंबे इंटरव्यू में जमीयत उलेमा ए हिंद के निचले सदस्यों की तारीफ की. कहा कि वे बहादुर, ईमानदार हैं. बतौर संगठन जमीयत उलेमा हिंद अच्छा संगठन है, केवल शीर्ष नेता बिकाउ हैं.