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अरशद मदनी ने क्यों कहा, जो मस्जिद, मंदिर तोड़कर बनाई गई हमें स्वीकार नहीं ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,लखनऊ

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी हमेशा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. इस क्रम में वह एक बार फिर सुर्खियों में हैं और इस बार वजह है उनका यह कहना, ‘‘जो मस्जिद, मंदिर तोड़कर बनाई जाए, वह हमें स्वीकार नहीं है.’’

इसके बाद मुस्लिम हलकों में चर्चा शुरू हो गई कि क्या तीन तलाक, बाबरी मस्जिद जैसे विवादास्पद मुददे की तरह अदाल की आड़ में एक खास वर्ग को खुश करने के लिए अब मथुरा और काशी की मस्जिद को देने की तैयारी है. बाबरी मस्जिद की तरह इन दोनों ही प्राचीन मस्जिदों को मंदिर बताकर विवाद चरम पर पहुंचा दिया गया है.

फिलहाल मामला अदालत में है. इन दोनों ही मस्जिदों को लेकर अब तक दोनों ही पक्ष सड़कों की जगह अदालतों में निपटने का रास्ता चुना है. चूंकि बाबरी मस्जिद के समय सड़कांे पर हंगामा और बाद में मस्जिद ढहाने जाने के बाद भारत की देश विदेशी मंे छवि खराब हुई थी. साथ ही भारी जान और माल का नुकसान हुआ था. तब सड़कों पर हंगामा करने वाले अब सत्ता में बैठे हैं,  ऐसे में भला दूसरा पक्ष क्यों चाहेगा कि किसी मुददे को लेकर सड़कांे पर हंगामा किया जाए.

हाल में पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों का नाम इस बात को लेकर सामने आया था कि वे दोनों मस्जिदों के विवाद को कोर्ट के बाहर शांत करने के लिए मुसलमानों के बीच जाकर उन्हें समझाने-बुझाने का काम करेंगे. यह योजना सिरे नहीं चढ़ी, पर मुसलमानों की मानसिकता बदलने के लिए विवादास्पद जमीन पर मस्जिद का निर्माण जायज नहीं, जैसे इस्लामिक कथन का प्रचार-प्रसार शुरू हो गया है. हालांकि अरशद मदनी के बयान से ऐसा नहीं लगता कि यह भी उसी का हिस्सा है.

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बहरहाल, मदनी गुरुवार को जमीयत की पूर्वी उत्तर प्रदेश की 37 जिला इकाइयों के सम्मेलन को संबोधित करने लखनऊ पहुंचे.इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जो मस्जिद, मंदिर तोड़कर बनाई जाए, इस्लाम में वह मस्जिद स्वीकार नहीं है.

उन्हांेने कहा,जहां तक अयोध्या की बात है तो सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं माना है कि राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनी थी.उन्‍होंने कहा कि जो इल्जाम बाबर पर लगे थे कि उसने राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बना ली, आज वही इल्जाम मौजूदा लोगों पर लग गए हैं कि उन्होंने मस्जिद तोड़कर राम मंदिर बना लिया. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद बाबर तो इस इल्जाम से बरी हो गया.

मदरसों की जांच पर अरशद मदनी ने कहा कि जो मदरसे सरकारी पैसा खा रहे हैं, उनकी जांच हो रही है. अगर कहीं से भी विदेश से फंडिंग हो रही है, तो इसका सबूत दिया जाना चाहिए. हमारे हिंदुस्तान में पैसे की कोई कमी नहीं है. सारी फंडिंग यहीं से हो रही है.

हलाल प्रोडक्ट पर मदनी ने कहा कि यूपी में एक भी हलाल सर्टिफाइड मरकज नहीं है. अगर कहीं पर है तो हमें बताएं. हम सियासी दलों को भी पैगाम (संदेश) देना चाहते हैं. चाहे वे सत्ता में हो या नहीं कि वे प्यार-मोहब्बत का ही प्रचार करें, नफरत और दूरी का नहीं. मुल्क की भलाई इसी में है.

उन्होंने मुसलमानों को मुल्क की मौजूदा सूरते-हाल में संयम से काम लेने की हिदायत दी. ‘लव जिहाद’ का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि उन्होंने 80 साल तक यह शब्द नहीं सुना . दावा किया कि यह उन्हीं लोगों का ईजाद (गढ़ा) किया हुआ शब्द है, जो खुद मुल्क के अंदर नफरत पैदा करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि हम मुसलमानों से कहते हैं कि अपनी बच्चियों के लिए ज्यादा से ज्यादा तादाद में अलग स्कूल खोलो, ताकि मुसलमानों पर लव जिहाद का आरोप लगाकर इसकी आड़ में उनकी बेटियों के साथ गलत करने की कोशिश करने वाले लोगों को रोका जा सके.

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