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चुनाव के समय भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण, सियासी लाभ पहुंचाने की कोशिश तो नहीं

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,धार (मध्य प्रदेश)

ऐन चुनाव से पहले एएसआई के शुक्रवार से धार के भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण शुरू करने के निर्णय से नया सियासी बखेड़ा पैदा हो सकता है. ऐसे मुददे एक पार्टीे विशेष को सूट करते हैं. आरोप है कि ऐसे निर्णय के पीछे परोक्ष या प्रत्यक्षक रूप से उसका या उसके मूल संगठन की भूमिका होती है.

चूंकि यह कोर्ट के ओदश पर शुक्रवार से होने जा रहा है. ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले इसका सर्वेक्षण कराना जरूरी था ? इसे एक महीने के लिए टाला नहीं जा सकता था. चूंकि काशी मंदिर के मामले में एएसआई और कोर्ट का जैसा रवैया रहा है, उसके मददेनजर सवाल उठाए जा रहे हैं.काशी वाले मामले से मुस्लिम संगठन दोनों से ही बुरी तरह बिदके हुए हैं.

बहरहाल,एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) शुक्रवार से मध्य प्रदेश के धार जिले में विवादित भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण शुरू करेगा.यह कदम मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के हालिया आदेश के बाद आया है.एएसआई के आधिकारिक बयान में कहा गया है, 2022 की रिट याचिका संख्या 10497 में इंदौर में माननीय उच्च न्यायालय, मध्य प्रदेश के आदेश के अनुपालन में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उनके निर्देशानुसार पुरातात्विक सर्वेक्षण,वैज्ञानिक जांच,खुदाई का संचालन करेगा. माननीय न्यायालय

हिंदू भोजशाला को वाग्देवी को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला मस्जिद के नाम से जानते हैं.
वकील विष्णु जैन द्वारा साझा किए गए अपने आदेश में अदालत ने कहा, याचिकाकर्ताओं की ओर से अंतरिम आवेदन दायर करते हुए यह तर्क दिया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण एक वैधानिक कर्तव्य है, जो एएसआई के पास होना चाहिए. ”

कोई भी अन्य अध्ययन, जांच, या जांच, जिसे एएसआई की उक्त पांच (5) सदस्य समिति महसूस करती है कि पूरे परिसर की मूल प्रकृति को नष्ट, विरूपित या नष्ट किए बिना किया जाना आवश्यक है. सत्य का पता लगाने की दिशा में इसे किया जाना चाहिए. सच्चाई तक पहुंचने के लिए भोजशाला मंदिर सह कमल मौला मस्जिद की प्रकृति और चरित्र में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए.

आदेश में कहा गया है कि विवादित परिसर में पूजा और अनुष्ठान करने का अधिकार विशेषज्ञ समिति से उपरोक्त रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही माना जाएगा.याचिकाकर्ताओं द्वारा दावा की गई राहत या विवादित परिसर में पूजा और अनुष्ठान करने के अधिकार से संबंधित अन्य सभी मुद्दों और प्रस्तुतियों पर विशेषज्ञ समिति से उपरोक्त रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही विचार और निर्धारण किया जाएगा.

वैधता से संबंधित मुद्दा विवादित परिसर पर बनाए गए वक्फ रिट कार्यवाही में राहत देने या उन राहतों का दावा करने के लिए याचिकाकर्ताओं को सिविल सूट में वापस लाने का निर्णय एएसआई की पांच सदस्यीय समिति से एक रिपोर्ट की प्राप्ति के बाद निर्धारित और स्थगित किया जाएगा.

अदालत ने एएसआई समिति को आदेश प्राप्त होने की तारीख से छह सप्ताह की अवधि के भीतर सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.एएसआई के महानिदेशकध्अतिरिक्त महानिदेशक की अध्यक्षता में एएसआई के कम से कम पांच (5) वरिष्ठतम अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की गई एक उचित रूप से प्रलेखित व्यापक मसौदा रिपोर्ट छह सप्ताह की अवधि के भीतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी.

उक्त विशेषज्ञ समिति में दोनों प्रतियोगी समुदायों के अधिकारियों (यदि उक्त पद और रैंक उपलब्ध हो) का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास किया जाना चाहिए.आदेश में कहा गया है कि संरचना में मिलने वाली किसी भी कलाकृति, मूर्ति या देवता की पूरी सूची तैयार की जानी चाहिए.

अदालत के आदेश में कहा गया है,वर्तमान याचिका में प्रत्येक याचिकाकर्ता के साथ प्रतिवादी के दो (2) नामित प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संपूर्ण सर्वेक्षण कार्यवाही की तस्वीरें लेना और वीडियोग्राफी करना, पूरे परिसर के बंद या सील किए गए कमरों और हॉलों को खोलना और उक्त बंद, सीलबंद हॉल और कमरों में पाए गए प्रत्येक कलाकृति, मूर्ति, देवता या संरचना की एक पूरी सूची तैयार करें और संबंधित तस्वीरों के साथ इसे जमा करें. “

इसमें कहा गया है, ऐसी कलाकृतियों, मूर्तियों और संरचनाओं को वैज्ञानिक जांच, कार्बन डेटिंग और सर्वेक्षण के समान अभ्यास के अधीन किया जाना चाहिए और इस न्यायालय के समक्ष दायर की जाने वाली रिपोर्ट में अलग से शामिल किया जाना चाहिए.कोर्ट ने नवीनतम तरीकों और तकनीकों से सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है. आदेश में कहा गया है,

विवादित भोजशाला मंदिर सह कमल मौला मस्जिद परिसर के साथ पूरे 50 मीटर के क्षेत्र के जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण के नवीनतम तरीकों, तकनीकों और तरीकों को अपनाने के माध्यम से संपूर्ण वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और उत्खनन करे. अधिवक्ता विष्णु जैन द्वारा साझा किए गए आदेश में कहा गया है, परिसर की सीमा से गोलाकार परिधि के आसपास परिधीय रिंग क्षेत्र का संचालन किया जाना चाहिए.