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असमः सरमा जी, मदरसों पर अंकुश लगाने से कुछ नहीं होगा, लोगों का भरोसा जीतना ज्यादा जरूरी है !

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली गुवहाटी

असम की हेमंत बिस्वा सरमा की सरकार 700 सरकारी मदरसों में ताला लगाने के बाद अब प्रदेश के निजी मदरसों पर अंकुश लगाने की तैयारी में है. बहाना बनाया जा रहा है कि कुछ मदरसों में ‘जिहादी गतिविधियांे ’ के संकेत मिलने के बाद यह कदम उठाया जा रहा है. पिछले दो दिनों में केंद्रीय खुफिया एजेंसी और असम पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में कथित तौर पर अलकायदा के संपर्क में रहने वाले 11 ‘जिहादियों‘ को पकड़ा गया था. उनमें से एक मदरसा संचालक बताया जा रहा है. यह भी आरोप है कि उक्त मदरसा तथाकथित जिहादियों का आश्रय स्थल था.

सवाल है कि चंद मदरसों में तथाकथित आपत्तिजनक गतिविधियों के लिए बाकी के मदरसों पर सरकारी अंकुश लगाने की क्या जरूरत ? दूसरा अहम सवाल यह बनता है कि यदि असम के कुछ मदरसों से जिहादी गतिविधियां मिलने के संकेत मिले हैं तो जैसे 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया, उन्हें पकड़ने से प्रदेश सरकार को कौन रोक रहा ? खुफिया एजेंसियां आखिर इतनी ढीली क्यों हैं कि सब कुछ जानते-बूझते जिहादी गतिविधियां चलते दे रही हैं ?

ऐसे ही सवालों और कई सरकारी निर्णयों के कारण सरमा पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं.दिल्ली की एक वेबसाइट आवाज द वॉयस डॉट इन के गुवाहाटी के रिपोर्टरदौलत रहमान की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में निजी मदरसों की स्थापना के लिए कुछ नियम और कानून बनाने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री का यह बयान है कि पिछले 24 घंटों में असम में एक मदरसा शिक्षक सहित 11 लोगों को वैश्विक आतंकवादी संगठनों, भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) और बांग्लादेश स्थित अंसारुल्लाह के साथ कथित संबंधों के लिए हिरासत में लिया गया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मुस्लिम छात्रों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए 700 सरकारी मदरसों को सामान्य स्कूलों में बदल दिया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निजी मदरसों के खुलने पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, क्योंकि भारत के संविधान ने अल्पसंख्यक समुदाय को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार दिया है.

उन्होंने कहा कि कुछ मदरसों में बढ़ती जिहादी गतिविधियों को देखते हुए सरकार निजी मदरसों के कामकाज को नियंत्रित करने और निगरानी करने के लिए नए नियम बनाने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार निजी स्कूलों के लिए विज्ञान और गणित जैसे आधुनिक विषयों को अनिवार्य करने की योजना बना रही है. सरमा ने स्वीकार किया कि विभिन्न स्थानों और समय पर जिहादी गतिविधियां होती रहेंगी, क्योंकि असम बांग्लादेश के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, जहां कुछ कट्टरपंथी और आतंकवादी तत्व सक्रिय हैं. अब सवाल उठता है कि क्या मदरसों में अंग्रेजी, गणित पढ़ने वाले बच्चों को जिहादी होने से रोका जा सकता है ?

जाहिर है जवाब न में होगा. क्यों कि 9-11 के हमले के समय हम देख चुके हैं कि अमेरिका के ट्विन टावर को हवाई जहाज से ध्वस्त करने वाले अलकायदा के आतंकवादी किसी मदरसे के पढ़े नहीं थे. सभी आला तालीम याफ्ता थे. हवाई जहाज उड़ाना जानते थे.इसलिए सरकार को वास्तव में असम में आतंकवादी गतिविधियां रोकनी है तो स्कूल, मदरसे, मुसलमान पर अंकुश लगाने की जगह नीतियों में बदलाव लाना बेहद जरूरी है. इसके लिए सबसे पहले0 मुसलमानों को भरोसा जीता होगा. जितना डंडे से हांकेगे उतना है सरकारी उम्मीदों पर पानी फेरने वालों को मौका मिलेगा. देश-समाज को बचाने के लिए धर्म, जाति की घटिया राजनीति से ज्यादा जरूरी है ईमानदाराना कोशिश.