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इज़रायल पर ईरान के हमले के बाद शिया-सुन्नी मतभेद को हवा देने की कोशिश

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, रियाद

इजरायल पर मिसाइलों की ईरान ने बरसात क्या कर दी शिया-सुन्नी का विवाद खड़ा करने की कोशिश शुरू हो गई है ताकि इस एकजुटता की ताकत को कमजोर किया जा सके.मुसलमानों के भेष और नाम वाले कई तथाकथित ‘इजरायल एजेंट’ इस प्रयास में हैं कि ईरानी हमले के बाद दुनिया के मुसलमानांे का मनोबल किसी तरह तोड़ा जाए. इसके लिए सोशल मीडिया पर कुछ सवालों को उठाकर बेवजह की बहस छेड़कर उनके हौसले को तोड़ने साजिश चल रही है.

शिया और सुन्नी एक ही इस्लाम के मानने वाले हैं. इनके बीच कुछ बिंदुओं पर वैचारिक मतभेद जरूरत हैं. ऐसा असंख्य बार इस्लामी विद्वान कह चुके हैं. साथ ही यह भी बताया जा चुका है कि कुछ बिंदुओं पर विरोधाभास होने के बावजूद शिया-सुन्नी एक ही अल्लाह और मोहम्मद को मानने वाले हैं.

इसके बावजूद बारबार उनके बीच के विरोध का मसला ऐसे समय उठाया जाता है, जब यह किसी मामले में एकजुटता दिखाते हैं. इस समय ईरान, लेबनान, हिज्जबुल्ला और गाजा को लेकर इजरायल से मुस्लिम देशों की तनातनी बढ़ गई है. विशेष तौर से इजरायल के हिज्जबुल्लाह कमांडर नसरूल्लाह की हत्या और लेबनान पर हमले के बाद.

जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान ने इजरायल पर करीब 200 मिसाइल दाग दिए. इसके अलावा जमीनी लड़ाई में हिज्जबुल्लाह के लड़ाकों ने कई इजरायली सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.

इसके बाद पूरी दुनिया में इजरायल को चोट पहंुचने पर मुस्लिम बिरादरी जश्न मना रही है. ऐसे में शिया-सुन्नी का मसला उठाकर उनके मनोबल को तोड़ने का षड़यंत्र चल निकला है. उनके बीच तनाव पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. हालांकि, सोशल मीडिया पर ही ऐसे लोगों को करारा जवाब भी दिया जा रहा है.

शिया-सुन्ना विवाद बढ़ाने के लिए एक्स पर एक हैंडलर ने लिया-‘‘ अब लेबनानी शिया, इजरायल से लड़ने का नाटक करके और आईडीएफ सैनिकों को मारकर सुन्नियों को धोखा देने के लिए ईरानी शिया के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.

बेशक, दोनों ही गुप्त इजरायली सहयोगी हैं.इजरायल इन शियाओं को अपने सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले करने, मोसाद मुख्यालय पर मिसाइल हमले करने और लेबनान में इजरायली सैनिकों को मारने की अनुमति देता है.यह सब सुन्नी जनता को धोखा देने में मदद करने के लिए एक विस्तृत शिया-इजरायली धोखा है.इजरायल के प्रति वास्तविक प्रतिरोध का नेतृत्व मुसलमानों द्वारा इंटरनेट पर संदेश पोस्ट करके किया जाता है, जिसमें इजरायल द्वारा शिया और उनके हमास सहयोगियों की हत्या का जश्न मनाया जाता है.’’

एक अन्य एक्स यूजर ने इस विवाद को कुछ इस तरह बढ़ाने की कोशिश की-‘‘शिया (रफीदा) की नमाज मुसलमानों की नमाज से बिलकुल अलग है.हम हर रकअत (प्रार्थना की इकाई) में सूरह अल-फातिहा पढ़ते हैं. लेकिन तीसरी और चैथी रकअत में वे अल-फातिहा नहीं पढ़ते. इसके बजाय, वे मुहम्मद और उनके परिवार पर सलाम (दुरूद) भेजते हैं!’’

एक्स पर एक अन्य ने लिखा-‘‘आपने सुन्नी-शिया सहयोग पर मेरे दृष्टिकोण के लिए बार-बार और सार्वजनिक रूप से मुझ पर हमला किया है.संभवतः आपके हमले शियावाद, तकफिर के फिक्ह नियमों, समूह गठबंधनों पर फिक्ह नियमों और समकालीन भू-राजनीति की आपकी समझ पर आधारित हैं.

मेरा तर्क यह है कि – वास्तव में – आपको इन मामलों के बारे में कोई वास्तविक ज्ञान नहीं है.फिर भी, आप अन्यथा दिखावा करते हैं, और अपने अनुयायियों को यह सोचने के लिए धोखा देते हैं कि मुझ पर आपके हमले वास्तव में ज्ञान पर आधारित हैं.

लेकिन आप मुझे आसानी से गलत साबित कर सकते हैं.ट्विटर पर मुझ पर हमला करने के बजाय, आइए प्रासंगिक मुद्दों पर एक संयमित बहस करें. आपके जैसे विचारों वाले अन्य लोगों ने बहस में इन विचारों का बचाव करने से दृढ़ता से इनकार कर दिया है, लेकिन मुझे पता है कि आपको बहस से कोई समस्या नहीं है.तो आइए निम्नलिखित मुद्दों पर बहस करें.तकफिर के फिक्ह नियम क्या हैं?

एक्स पर एक अन्यू यूजर ने शिया-सुन्नी के भेद को बढ़ाने के लिए लिखा है-‘‘क्या मौजूदा घटनाओं के आधार पर सुन्नियों को शियाओं के साथ एकजुट होना चाहिए?

शेख उथमान अल-खामिस का स्पष्ट उत्तर. हम कभी भी शियाओं के साथ एकजुट नहीं होंगे.इस तरह के विवाद को आगे बढ़ाने का खेल भारत में भी हो रहा है.गुजरात के एक शिया मौलाना हिज्जुबल्लाह के चरित्र पर न केवल सवाल उठाए हैं. उनके शिया होने को भी संदिग्ध बताया है.इस बारे मंे मुस्लिम नाउ पर यहां क्लिकर पढ़ा जा सकता है.

हालांकि, शिया-सुन्नी का मतभेज पैदा करने वालों को सोशल मीडिया ही सही कर ारा जवाब दिया जा रहा है. ऐसे लोगों में से एक ने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा है-‘‘इस बीच फिलिस्तीन के सुन्नियों ने अपने चैक का नाम ईरानी मिसाइल चैक रख दिया है, क्योंकि ईरानी मिसाइल का एक गोला कब्जे वाले क्षेत्र में गिरा था, जिसे इजरायल के खिलाफ भेजा गया था. सुन्नी इजरायल पर ईरानी मिसाइल हमले का जश्न मना रहे हैं.शिया-सुन्नी एकता अमर रहे.’’

इसी तरह एक्स पर एक अन्य ने इस विवाद को अपने तरह से हवा देने की कोशिश की है-‘‘हमारी सुन्नी उम्माह रो रही है क्योंकि शिया ने वही किया जो सुन्नी को करना चाहिए था. अब आप नाराज हैं क्योंकि शिया ने कार्रवाई करके आपको बुरा दिखाया है. सऊदी अरब ने क्या किया है? जॉर्डन ने क्या किया है? मिस्र ने क्या किया है? कुछ भी नहीं! उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों को बेचा है, यह वही है जो सुन्नी उम्माह ने किया है!’’

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