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अयोध्या के बाद 40 मस्जिदें हिंदू संगठनों के निशाने पर, विहिप ने ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने को कहा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

बाबरी मस्जिद खोने के बाद जो मुसलमान यह समझ कर शांत बैठ हैं कि इसके बाद हिंदू संगठनों की देश की बाकी मस्जिदों से दावेदारी खत्म होगी, उन्हंे यह जानकर झटका लगेगा कि यह सिलसिला थमने वाला नहीं. अयोध्या के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, उसके बाद मथुरा की ईदगाह की बारी है.

इसपर भी मुसलमान सब्र कर लेते. मगर मनीषा माथुर की 27 दिसंबर 2023 को आज तक की वेबसाट पर प्रकाशित रिपोर्ट पर यकीन करें तो हिंदू संगठनों के निशाने पर देश की 40 प्रमुख मस्जिदें हैं. हिंदू संगठन अब इन तमाम दावों को कोर्ट में ले जाने वाले हंै, ताकि इसपर कब्जा किया जा सके.

रिपोर्ट पर यकीन करें तो 2024 में वसंत पंचमी के दिन इसके लिए सैद्धांतिक युद्ध का ऐलान किया जाएगा. 14 फरवरी को वसंत पंचमी है.

इस बीच विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने ज्ञानवापी मामले से जुड़े भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उस जगह को हिंदुओं को सौंपने की मांग करते हुए मस्जिद को कहीं अन्यत्र स्थानांतरित करने की सलाह दी है.

विहिप नेता ने एएसआई सर्वे रिपोर्ट की बारीकियों का हवाला देते हुए कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि एक मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई थी. उस मंदिर की संरचना का एक हिस्सा, विशेष रूप से पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल मस्जिद बनाने के लिए किया गया था. रिपोर्ट यह भी साबित करती है कि मस्जिद को बनाने में मंदिर के स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का फिर से उपयोग किया गया. वजुखाना में शिवलिंग मिलने से भी यह साबित होता है कि यह जगह मस्जिद नहीं हो सकती है. यह तो मंदिर है.

उन्होंने कहा कि संरचना में पाए गए शिलालेखों में जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर जैसे नाम मिले हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि उस स्थान की प्रकृति मंदिर की ही है. उन्होंने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए कहा कि अब चूंकि यह साबित हो गया है कि उस स्थान की प्रकृति मंदिर की ही है इसलिए विश्व हिंदू परिषद यह मांग करती है कि हिंदुओं को तथाकथित वजुखाना क्षेत्र में पाए जाने वाले शिवलिंग की सेवा और पूजा करने की अनुमति दी जाए.

इसके साथ ही उन्होंने इंतेजामिया कमेटी से भी आगे आकर स्वयं ही उस मस्जिद को सम्मानपूर्वक किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर स्थानांतरित करने और काशी विश्वनाथ के मूल स्थल को हिंदू समाज को सौंपने के लिए सहमत होने की बात कहने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा कि विहिप का मानना ​​है कि यह नेक कार्य भारत के दो प्रमुख समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.

हालांकि, मुसलमान यह सौहार्द बाबरी मस्जिद के मामले मंे दिखा चुके हैं. जमीयत उलेमा ए हिंद के सदर अरशद मदनी की माने तो सुप्रीम कोर्ट मान चुकी है कि अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए मंदिर नहीं तोड़ा गया. इस मामले में पुरातत्व विशेषज्ञों की रिपोर्ट सटीक नहीं थी. इसके बावजूद मुसलमानों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए मस्जिद की जमीन मंदिर निर्माण के लिए दिए जाने के बावजूद कोई शोर-शराबा नहीं किया. ऐसे में वाराणसी मामले में अब हिंदू संगठनों को सौहार्द दिखाने की जरूरत है.

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