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अयोध्या विकास प्राधिकरण ने धन्नीपुर मस्जिद परियोजना को दी मंजूरी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, लखनऊ

नक्शा जमा करने के लगभग दो साल बाद, अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने शुक्रवार को अयोध्या जिले के धन्नीपुर गांव में मस्जिद निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने को मंजूरी दे दी.अयोध्या में मस्जिद निर्माण, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार किया जा रहा है. इसका निर्माण इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन द्वारा किया जाएगा. अयोध्या की इस मस्जिद में नमाज पढ़ने के अलावा दूसरे सामुदायिक और सामाजिक कार्य भी अंजाम दिए जाएंगे.

ट्रस्ट ने मई 2021 को, 9 नवंबर, 2019 को विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद टाइटल सूट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में मुस्लिम पक्ष को आवंटित पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद के निर्माण के लिए विकास प्राधिकरण में नक्शा प्रस्तुत किया था.

शीर्ष अदालत ने अपने अयोध्या के फैसले में यूपी सरकार को अयोध्या अधिनियम 1993 के तहत अधिग्रहित क्षेत्र में या अयोध्या में किसी उपयुक्त, प्रमुख स्थान पर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था.आदेश का पालन करते हुए अयोध्या प्रशासन ने अयोध्या शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में उक्त 5 एकड़ जमीन आवंटित की है.

अयोध्या प्रमंडलीय आयुक्त एवं अयोध्या विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष गौरव दयाल के मुताबिक, शुक्रवार को हुई एडीए बोर्ड की बैठक में अयोध्या मस्जिद के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई. अधिकारी ने कहा कि कुछ विभागीय औपचारिकताओं के बाद कुछ दिनों के भीतर स्वीकृत नक्शे इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन को सौंप दिए जाएंगे.

ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन के अनुसार, मस्जिद और अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए नक्शे प्राप्त करने के बाद, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन रमजान के महीने (22 मार्च- 22 अप्रैल) के बाद ट्रस्ट की बैठक शुरू करने की योजना को अंतिम रूप देगा. स्थल पर पहले मस्जिद का निर्माण होगा.

मस्जिद निर्माण कार्य में प्राधिकरण द्वारा मांगे गए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने तथा भूमि उपयोग परिवर्तन में भी देरी हुई. आवंटित भूमि कृषि प्रयोजन के लिए थी. हालांकि, मस्जिद की नींव 26 जनवरी, 2021 को रखी गई.

ट्रस्ट के अनुसार, नई मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन यह उस संरचना की तरह नहीं होगी जो कभी अयोध्या में खड़ी थी.मस्जिद परिसर में अस्पताल होगा. यही नहीं यह 1,400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद साहब द्वारा सिखाई गई इस्लामी भावना के अनुरूप मानवता की सेवा के लिए समर्पित होगा.