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बाबा रामदेव ने कहा, मुसलमान नमाज के नाम पर आतंकवादी बनाने में व्यस्त, अब राजस्थान पुलिस उनकी जांच में जुटी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, जयपुर

राजस्थान पुलिस ने शनिवार को बाड़मेर में एक कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के बारे में की गई विवादित टिप्पणी की जांच शुरू कर दी है.

प्रसिद्ध योग गुरु रामदेव बाबा ने मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ कट्टर भाषण दिया. दावा किया कि मुसलमान नमाज के नाम पर आतंकवादी बनाने में व्यस्त हैं, ईसाई धर्म परिवर्तन कर रहे हैं.

वे बाड़मेर जिले में जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्हांेने कहा, किसी भी मुसलमान से पूछें कि आपका धर्म क्या सिखाता है और वे कहते हैं, हर दिन नमाज पढ़ते रहो और जो चाहो करो. भले ही इसका मतलब हिंदू महिलाओं का अपहरण करना हो. यही उनकी इस्लाम की परिभाषा है. वे पापी हैं.

उन्होंने कहा, रोजाना नमाज पढ़ो और फिर जो चाहो करो. भले ही इसका मतलब आतंकवादी बनना हो.

उन्होंने कहा कि इस्लामी स्वर्ग की कल्पना सुंदर फरिश्ते और शराब है. उन्होंने कहा,इन सभी लोगों को अपनी मूंछें मुंडवानी है. सफेद कुर्ता-पायजामा और टोपी पहननी है. उन्होंने कहा,मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इस्लाम या कुरान उन्हें ऐसा करने के लिए कहता है, लेकिन वे वैसे भी ऐसा कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि स्वर्ग की ऐसी अवधारणा नर्क से भी बदतर है.

ईसाइयों के बारे में उन्हांेने कहा, ईसाई धर्म क्या कहता है. चर्च जाओ. एक मोमबत्ती जलाओ और फिर प्रभु यीशु के सामने खड़े हो जाओ. तुम्हारे सारे पाप धुल जाते हैं. वह क्रॉस के बारे में बात करता है. ईसाइयों के साथ-साथ यरोजरी नेकलेस में एक पवित्र चिन्ह यरोजरी का अर्थ है गुलाब की एक श्रृंखला और प्रत्येक गुलाब एक प्रार्थना है.
बाबा रामदेव ने कहा, उनके गले पर कुछ क्रॉस जैसा चिन्ह है और फिर अन्य जंजीरें जो बिल्कुल हमारी तरह दिखती हैं.
उन्हांेने कहा, वह फिर से स्पष्ट करते हंै कि वे विशेष रूप से किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है और फिर धर्म परिवर्तन का उल्लेख करते हैं. उन्होंने कहा, मुस्लिम चाहते हैं कि पूरी दुनिया इस्लाम में परिवर्तित हो जाए और ईसाई चाहते हैं कि पूरी दुनिया ईसाई धर्म को अपने प्रमुख धर्म के रूप में स्वीकार करे.
हालाकि इस बयान पर राजस्थान के तथाकथित चिश्तिया खानदान के वे सूफी नेता बिल्कुल खामोश हैं, जो इन दिनों आरएसएस और केंद्र सरकार की एक-एक बात पर मुसलमानों को पाठ पढ़ाते रहते हैं. उन जैसे लोगों की खामोशी की वजह से आसामाजितत्वों को मौका मिल जाता है और हिंसा पर उतर हो जाते हैं. बाद में मुस्लिम लीडरों को मुंह छिपाने की भी जगह नहीं मिलती है.