इफ्तार पार्टियों के लिए मशहूर बाबा सिद्दीकी की बांद्रा में हत्या, शाहरुख-सलमान की दोस्ती के थे साक्षी
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, मुंबई
शनिवार रात मुंबई की सड़कों पर एक घटना ने पूरे राजनीतिक और सामाजिक जगत को झकझोर कर रख दिया. महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी (नेशनल कांग्रेस पार्टी) के वरिष्ठ नेता बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई.। यह घटना बांद्रा के खेरनगर इलाके में उस वक्त हुई जब बाबा सिद्दीकी अपने बेटे जीशान सिद्दीकी के कार्यालय जा रहे थे.
उनकी हत्या ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि उन लोगों को भी हिला दिया है जो बाबा सिद्दीकी के इफ्तार पार्टियों के आयोजनों और फिल्मी हस्तियों के साथ उनके मधुर संबंधों को याद करते हैं.
हत्या का विवरण
रात करीब 9:30 बजे बांद्रा के राम मंदिर इलाके में फायरिंग की सूचना मिली. हमलावरों ने बाबा सिद्दीकी पर 2 से 3 राउंड गोलियां चलाईं, जिनमें से एक गोली सीधे उनके सीने में लगी. गोली लगते ही उन्हें तत्काल बांद्रा के लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस हत्याकांड के बाद मुंबई पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दो संदिग्धों को हिरासत में ले लिया, जबकि तीसरा आरोपी अभी फरार है.
हत्या के बाद बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता संजय दत्त भी तुरंत अस्पताल पहुंचे. सिद्दीकी के साथ उनके व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंध थे. यह दुखद घटना न केवल राजनीतिक बल्कि फिल्मी जगत में भी गहरी संवेदना का कारण बनी.
बाबा सिद्दीकी:राजनीतिक जीवन और उपलब्धियाँ
बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी का नाम भारतीय राजनीति में बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की और 1999 में बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर अपनी पहचान बनाई.
उनके राजनीतिक कौशल और लोकप्रियता ने उन्हें 2004 और 2009 में भी विधानसभा चुनाव जिताने में मदद की. हालाँकि, 2014 में भाजपा के आशीष शेलार से हारने के बाद उनकी राजनीतिक राह में रुकावट आई, लेकिन इससे उनका जनाधार कमजोर नहीं हुआ.
कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार के दौरान, 2004 से 2008 तक, उन्होंने खाद्य और नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. हालाँकि, राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के साथ, उन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर एनसीपी का दामन थामा था और अजीत पवार के करीबी माने जाते थे.
बाबा सिद्दीकी की इफ्तार पार्टियाँ: सिनेमा और राजनीति का संगम
बाबा सिद्दीकी का नाम केवल राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि वे अपने भव्य इफ्तार आयोजनों के लिए भी जाने जाते थे, जहाँ बॉलीवुड और राजनीति की मशहूर हस्तियाँ जुटती थीं. बाबा सिद्दीकी की इफ्तार पार्टियाँ न केवल धार्मिक उत्सव के रूप में जानी जाती थीं, बल्कि इन पार्टियों के माध्यम से उन्होंने सिनेमा और राजनीति को एकजुट किया.
इन इफ्तार पार्टियों में शाहरुख खान, सलमान खान, सना खान और कई अन्य बड़े सितारे नियमित रूप से शामिल होते थे. 2013 में एक ऐसा ही पल आया जिसने न सिर्फ फिल्मी दुनिया बल्कि उनके राजनीतिक प्रभाव को भी खास बना दिया.
शाहरुख और सलमान खान के बीच 2008 में कैटरीना कैफ की जन्मदिन पार्टी के दौरान हुए झगड़े ने उनके रिश्ते में दरार डाल दी थी. दोनों बड़े सितारे पांच साल तक एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए थे, लेकिन बाबा सिद्दीकी की इफ्तार पार्टी में उन्होंने अपना पुराना मनमुटाव भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाया.
यह क्षण भारतीय मीडिया में एक ऐतिहासिक पल बन गया और सोशल मीडिया पर इस तस्वीर ने खूब सुर्खियाँ बटोरीं.सिद्दीकी की इफ्तार पार्टियाँ सिर्फ खान-पान या बॉलीवुड के लिए नहीं, बल्कि राजनीति में नए समीकरणों और संबंधों को बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती थीं. उनके इस तरह के आयोजनों ने उन्हें एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया था, जो राजनीति और समाज दोनों में अपनी पहचान बनाए रखने में सफल रहे.
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— Donjuan (@santryal) October 12, 2024
हत्या के पीछे के संभावित कारण और पुलिस की जांच
बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे के कारणों का फिलहाल खुलासा नहीं हो पाया है. पुलिस विभिन्न एंगल से जांच कर रही है और हत्या के संभावित मकसद की खोज में जुटी हुई है. पुलिस के अनुसार, हमलावरों का संबंध उत्तर प्रदेश और हरियाणा से हो सकता है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि हत्या का वास्तविक कारण क्या था.
मुंबई पुलिस ने अब तक दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जबकि तीसरा फरार है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस हत्याकांड पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और वादा किया है कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर उनके खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाएगा.
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
बाबा सिद्दीकी की हत्या ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है. एनसीपी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस घटना की निंदा की है और राज्य सरकार से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है. बाबा सिद्दीकी की मौत से एनसीपी और उनके समर्थकों को गहरा झटका लगा है, और इस हत्या ने राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
निष्कर्ष
बाबा सिद्दीकी का जीवन न केवल एक सफल राजनीतिज्ञ का था, बल्कि वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजनीति, समाज और सिनेमा को एक साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी हत्या एक व्यक्तिगत त्रासदी से कहीं अधिक है; यह महाराष्ट्र की राजनीति और समाज के लिए एक बड़ा नुकसान है.