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बहराइच: 90 मदरसों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश, संजय मिश्रा के फैसले पर सोशल मीडिया पर विरोध

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,बहराइच

बहराइच जिले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा के द्वारा 90 मदरसों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश किए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर इस फैसले का विरोध तेज हो गया है. कई नेटिज़न्स इस कदम को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं और संजय मिश्रा को लेकर कड़ी टिप्पणी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने यह आरोप लगाया है कि वह आरएसएस के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं और उनके विचार उस संगठन से मेल खाते हैं.

संजय मिश्रा का यह निर्णय बहराइच जिले के 90 मदरसों की संदिग्ध गतिविधियों और प्रशासन के आदेशों की अनदेखी के कारण लिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि ये मदरसे नेपाल सीमा के पास स्थित हैं और इनकी गतिविधियों पर प्रशासन की कड़ी निगरानी रखी जा रही थी. प्रशासन ने पहले ही इन मदरसों को शासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया था, लेकिन मदरसा संचालकों ने इन आदेशों की उपेक्षा की.

संजय मिश्रा ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इन मदरसों को पहले ही अपार आईडी (Aadhaar) के तहत रिकॉर्ड अपडेट करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इनमें से किसी भी मदरसे ने इस आदेश का पालन नहीं किया. उन्होंने यह भी बताया कि मदरसा संचालकों को बार-बार यह निर्देश दिए गए थे कि वे अपने बच्चों का अपार आईडी जेनरेशन काम जल्दी से पूरा करें। फिर भी, एक सप्ताह पहले किए गए सर्वेक्षण में यह पाया गया कि इन 90 मदरसों में से किसी ने भी इस प्रक्रिया को शुरू नहीं किया था.

इसके बाद जिला प्रशासन ने कड़ा कदम उठाते हुए इन मदरसों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की. बहराइच जिले में कुल 301 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें से 90 मदरसों ने शासन के निर्देशों का पालन नहीं किया. यह निर्णय प्रशासन की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए और मदरसों की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी जाए.

संजय मिश्रा का कहना है कि यह कदम मदरसों के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. इसके अलावा, मदरसों की गतिविधियों और उनके द्वारा शासन के निर्देशों की अनदेखी को गंभीरता से लिया गया है. प्रशासन अब इन मदरसों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है और शासन से जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

यह मामला सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन गया है. जहां कुछ लोग इसे प्रशासन की सख्ती के रूप में देख रहे हैं, वहीं कुछ ने इस पर सवाल उठाते हुए इसे सांप्रदायिक एजेंडा से जोड़ा है. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस जारी है और लोगों के अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं. अब यह देखना होगा कि इस फैसले पर शासन की ओर से क्या अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

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