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बानू मुश्ताक की ‘Heart Lamp’ को इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार 2025

नई दिल्ली/लंदन

कन्नड़ लेखिका और महिला अधिकार कार्यकर्ता बानू मुश्ताक द्वारा लिखित लघु कहानियों का संग्रह ‘Heart Lamp’, जिसे दीपा भास्थी ने अंग्रेज़ी में अनुवादित किया है, को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पहली बार है जब किसी कन्नड़ भाषा की रचना को इस प्रतिष्ठित वैश्विक साहित्यिक मंच पर यह सम्मान मिला है। दीपा भास्थी इस पुरस्कार को जीतने वाली पहली भारतीय अनुवादक भी बन गई हैं।

📘 क्या है ‘Heart Lamp’?

‘Heart Lamp’ दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के संघर्ष, साहस और संवेदनशीलता को उकेरने वाला लघु कथाओं का संग्रह है। इसमें 30 वर्षों (1990 से 2023 तक) में लिखी गई 12 कहानियाँ शामिल हैं, जिनमें ज़ोर उन महिलाओं पर है जो धर्म, परंपरा, जाति और हिंसा के बीच अपना अस्तित्व खोजती हैं। इन कहानियों में मजबूत माताएं, मुखर दादियां, हिंसक पति, और जुझारू बच्चे जैसे पात्र हैं, जो समाज के सांचे को चुनौती देते हैं।

लेखिका बानू मुश्ताक, जो पेशे से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने बताया कि उन्हें यह कहानियाँ लिखने की प्रेरणा उन पीड़ित महिलाओं से मिली जो सालों से उनके पास न्याय की उम्मीद लेकर आती रही हैं।

“इन महिलाओं का दर्द, पीड़ा और असहायता मेरे भीतर गहरे भाव जगाती है, जो मुझे कागज़ पर उतारने के लिए विवश करती है।”बानू मुश्ताक


🌍 अनुवाद की अनोखी प्रक्रिया: ‘Translating with an Accent’

अनुवादिका दीपा भास्थी ने ‘Heart Lamp’ को अंग्रेज़ी में रूपांतरित करते समय एक विशेष तकनीक अपनाई — ‘Translating with an Accent’। इसका उद्देश्य था मूल कन्नड़, उर्दू और अरबी शब्दों की सांस्कृतिक और भाषाई आत्मा को बरकरार रखना, ताकि अंग्रेज़ी पाठक भी उस भाव और लय को महसूस कर सकें जो मूल कहानियों में है।

दीपा ने इस परियोजना के लिए उर्दू लिपि पढ़ी, पाकिस्तानी टीवी धारावाहिकों का अध्ययन किया और नुसरत फतेह अली खान, अली सेठी, अरूज आफ़ताब जैसे संगीतकारों को सुना, जिससे वे पात्रों की सामाजिक-सांस्कृतिक दुनिया को बेहतर समझ सकें।

“मैंने अनुवाद को भाषिक नहीं, सांस्कृतिक सेतु मानकर किया — जिससे कहानियों की आत्मा अंग्रेज़ी में सांस ले सके।”दीपा भास्थी


🏆 पुरस्कार की घोषणा और समारोह

इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की घोषणा 20 मई को लंदन के Tate Modern के टर्बाइन हॉल में आयोजित एक भव्य समारोह में की गई। कार्यक्रम में साहित्य, कला और संस्कृति जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं, जिनमें सर बेन ओकरी, एडमंड डी वाल, डेबोरा लेवी, समीरा अहमद जैसे नाम प्रमुख रहे।

मैक्स पोर्टर, जो इस वर्ष के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष थे, ने विजेता पुस्तक की घोषणा करते हुए इसे अंग्रेज़ी पाठकों के लिए “वास्तव में नया, क्रांतिकारी और जीवन-पुष्टि करने वाला अनुवाद” बताया।

“‘Heart Lamp’ वह दुर्लभ कृति है जो अनुवाद को केवल भाषा का माध्यम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतिरोध का औज़ार बनाती है।”मैक्स पोर्टर


📊 प्रमुख आंकड़े:

  • पुरस्कार राशि: £50,000 (लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से विभाजित)
  • विजेता लेखक: बानू मुश्ताक (कन्नड़)
  • विजेता अनुवादक: दीपा भास्थी
  • प्रकाशक: And Other Stories (UK स्थित स्वतंत्र प्रकाशन, जिसने पहली बार यह पुरस्कार जीता)
  • शॉर्टलिस्ट में शामिल अन्य लेखक: Solvej Balle, Vincent Delecroix, Hiromi Kawakami, Vincenzo Latronico, Anne Serre
  • Heart Lamp: 200+ पृष्ठों की दूसरी सबसे लंबी कृति, शॉर्टलिस्ट में शामिल छह पुस्तकों में से चार 200 पेज से कम थीं

📚 साहित्यिक और सामाजिक महत्व

‘Heart Lamp’ की यह जीत सिर्फ एक व्यक्तिगत या भाषाई उपलब्धि नहीं है — यह भारतीय भाषाओं, विशेष रूप से कन्नड़ साहित्य की वैश्विक मान्यता का संकेत है। साथ ही यह हाशिए पर खड़ी महिलाओं की आवाज़ को दुनिया के सामने लाने वाला एक ऐतिहासिक क्षण है।

बानू मुश्ताक न केवल लेखिका हैं, बल्कि वे बंधाया साहित्य आंदोलन की प्रमुख प्रतिनिधि भी रही हैं। उन्होंने कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार समेत कई सम्मानों के साथ अपनी पहचान स्थापित की है।


🔚 निष्कर्ष:

‘Heart Lamp’ का अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतना भारतीय साहित्य, महिला अधिकार, और अनुवादक कला — तीनों के लिए एक मील का पत्थर है। यह उस संघर्ष की गवाही है जिसे लेखिकाओं और अनुवादकों ने वर्षों तक झेला, और अब वह आवाज़ विश्व साहित्य के केंद्र में गूंज रही है।

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