बार काउंसिल पाकिस्तान के मुख्य चुनाव आयुक्त से क्यों चाहता है इस्तीफा ?
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राय शाहनवाज, लाहौर
पाकिस्तान में जब आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई तो देश के वकील संगठन मुख्य चुनाव आयुक्त से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. जैसे-जैसे चुनावी प्रक्रिया आगे की ओर बढ़ रही है पाकिस्तानी वकीलों का संगठन मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे को लेकर गंभीर होता दिख रहा है.
इधर, आम चुनाव 2024 के लिए चुनाव प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर मंगलवार को शुरू हो गई. चुनाव आयोग ने नामांकन पत्र जारी करना शुरू कर दिया है. साथ ही चुनाव आयोग ने कहा है कि वह किसी दबाव या ब्लैकमेल में नहीं आएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त के जिले में कोई अतिरिक्त सीट नहीं बनाई गई है.
चुनाव आयोग के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा के जिले में कोई अतिरिक्त सीट नहीं बनाई गई है. उनका मूल निर्वाचन क्षेत्र 82 जिला सरगोधा है.प्रवक्ता ने कहा कि आयोग किसी की निजी इच्छा पर किसी विशेष सीट के लिए अतिरिक्त सीट सृजित करने में असमर्थता दर्शाता है.
इस बीच, तहरीक-ए-इंसाफ, मुस्लिम लीग (एन) और पीपीपी ने सिकंदर सुल्तान राजा को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से हटाने की पाकिस्तान बार काउंसिल और सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल की मांग को खारिज कर दिया.जियो न्यूज के कार्यक्रम कैपिटल टॉक में होस्ट हामिद मीर से बात करते हुए पीएमएल-एन नेता खुर्रम दस्तगीर ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ आरोप अस्पष्ट हैं.अगर स्पष्ट सबूत हैं तो इसे सामने लाया जाना चाहिए.
पीटीआई नेता बैरिस्टर अली जफर ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे की मांग जायज है, लेकिन टाइमिंग गलत है.उन्होंने कहा कि मांग राजनीतिक जरूर है लेकिन कानूनी नहीं. चुनाव के मौके पर कोई संकट नहीं खड़ा होना चाहिए.पीपुल्स पार्टी के नासिर हुसैन शाह ने कहा कि इस समय मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना चुनाव टालने का औचित्य हो सकता है. पीटीआई को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए.
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नासिर शाह ने कहा कि वह मुख्य चुनाव आयुक्त की सराहना करते हैं, वह खुद लाहौर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील में गऐ थे. पाकिस्तान आम चुनाव की ओर बढ़ रहा है और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक शब्दों में आदेश जारी किया है कि चुनाव में किसी भी तरह की रुकावट स्वीकार नहीं की जाएगी.
हालांकि, मंगलवार को देश के सबसे बड़े वकीलों के संगठन पाकिस्तान बार काउंसिल ने मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा के इस्तीफे की मांग की. इसी तरह, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के साथ पंजाब और सिंध की बार काउंसिल ने भी यही मांग दोहराई है.
दिलचस्प बात यह है कि मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे की मांग करने वाले वकील संगठनों में अस्मा जहांगीर समूह सत्ता में है. इस समूह के वर्तमान नेतृत्व में अहसान भवन और पीएमएल-एन सीनेटर आजम नजीर तरार शामिल हैं.वकील संगठनों ने मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाया है. उनकी मौजूदगी में पारदर्शी चुनाव संभव नहीं है.
हालांकि, ऐसी कोई मांग उन बार एसोसिएशनों से नहीं आई है जहां हामिद खान समूह सत्ता में है, जैसे कि लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और लाहौर बार.एक वकील नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह बार्स की मांग नहीं है, बल्कि असमा जहांगीर समूह में इस समय नेताओं के बीच मतभेद है, जिसके कारण एक गुट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की है.
फिलहाल मतभेदों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे वक्त में इन मांगों का सामने आना सार्थक है.हालाँकि, समूह के नेता अहसान ने किसी भी असहमति से इनकार किया . कहा कि यह एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति है. चुनाव आयोग ने निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया विवादास्पद हो गई है.
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गौरतलब है कि अहसान हफीजाबाद जिले के अंतर्गत आता है और पाकिस्तान बार काउंसिल की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस जिले में नेशनल असेंबली में दो सीटें हैं, जो नए निर्वाचन क्षेत्रों के बाद घटकर एक रह गई हैं. यह जानबूझकर निर्वाचन क्षेत्र बदलने के समान है
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राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि एक ही समय में वकील संगठनों की ओर से ऐसी मांग असामान्य नहीं है.पत्रकार अजमल जामी कहते हैं कि असली सवाल यह है कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे से निर्वाचन क्षेत्र तय हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन क्षेत्रों से जुड़ी याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.
उन्होंने आगे कहा है कि जाहिर तौर पर ऐसा लगता है कि मामला इतना आसान नहीं है. और कुछ ताकतें अभी भी चुनाव में देरी करना चाहती है. कुछ वकील संगठनों की मांग इसकी कुंजी हो सकती है.हालांकि, चुनाव आयोग की पूर्व सहायक फौजिया यजदानी इस बात से सहमत नहीं हैं. उनके मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे से चुनाव में किसी भी तरह की देरी की संभावना नहीं है, क्योंकि संविधान इस संबंध में स्पष्ट है.
अनुच्छेद 218 में कहा गया है कि यदि मुख्य चुनाव आयुक्त का पद रिक्त है, तो पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश अस्थायी रूप से सुप्रीम कोर्ट के किसी भी न्यायाधीश को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर सकते हैं ताकि चुनाव में देरी न हो. हालाँकि, वकील संगठनों की इन मांगों के पीछे राजनीतिक मकसद भी हो सकते हैं.