Muslim WorldTOP STORIES

क्या है भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू-मुसलमानों की जनसंख्या की हकीकत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारत में एक तबका हिंदू समुदाय को भड़काने के लिए हमेशा मुसलमानों की बढ़ती संख्या और प्रभाव का भय दिखाकर एक चहीते राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने की कोशिश में रहता है. इस क्रम में दलील दी जाती है कि एक तरफ हिंदुस्तान में मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और दूसरी तरफ मुस्लिम और इस्लाम प्रभाव वाले दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर इस कदर जुल्म ढाया जा रहा है कि उनकी संख्या निरंतर घट रही है. उनपर बढ़ते जुल्म के बीच या तो वे रहस्यमय तरीके से समाप्त किए जा रहे हैं अथवा वे पलायन करने को मजबूर हैं.

समाज और समुदाय में असुरक्षा की भावना फैलाने वाले कट्टर हिंदू संगठनों के इसी सोच पर से पर्दा उठाने के लिए ‘ द वाॅयर’ में अपना सहयोग देने वाले शम्स उर रहमान अल्वी ने ट्विटर पर एक तथ्यपरक रिपोर्ट साझा की है. इसमें दिए गए आंकड़े सच हैं तो वाकई आंखें खोलने वाले हैं. यहां तक कि उन्हांेने भारत में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने के बारे में भी बहुत ठोस ढंग से अपनी दलील रखी है. अपनी रिपोर्ट में वह जनसंख्या के नाम पर भ्रम फैलाने वालों पर भी जबर्दस्त तरीके से हमलावर दिखे.

शम्स उर रहमान अल्वी अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं-

आज मैं इसके माध्यम से शिक्षित, बेईमान पत्रकारों को निपटाने की कोशिश कर रहा हूं. वह लिखते हैं- जिस तरह भारत में मुस्लिम आबादी बढ़ी है, उसी तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी हिंदू आबादी बढ़ी है.

  1. पाकिस्तान में हिंदू आबादी 1951 के बाद से लगभग 8 गुना बढ़ी है. 1951 में यह सिर्फ 5.3 लाख से अधिक थी. आज यह 50 लाख के करीब है. इसकी तुलना में भारत में मुस्लिम आबादी 4.9 गुना बढ़ी है. बेशक, कहीं भी आबादी में कमी नहीं आई है.
  2. जनगणना के आंकड़ों की जांच करें तो प्रतिशत के लिहाज से भी यह बढ़ा है. बांग्लादेश सहित अविभाजित पाकिस्तान की आबादी की तुलना करके और फिर आज के पाकिस्तान से तुलना करके और फिर इसका इस्तेमाल करके यह दावा करना कि वहां हिंदू पीड़ित हैं, यहां मुसलमान बढ़े हैं, झूठ फैलाया जाता है. यह एक बहुत ही चतुर और गंदी रणनीति है.
  3. इस पाकिस्तान वाले ऐंगल को यहां क्यों लाया जाए और शरारतपूर्ण तरीके से झूठे तथ्य पेश किए जाएं. सच्चाई और आंकड़ों का पता होना चाहिए, क्योंकि आप चुनिंदा रूप से दुरुपयोग करते हैं और कुछ और दिखाने के लिए डेटा का उपयोग करते हैं. समाचार पत्र भी बिना वास्तविक आंकड़ों के इस पर जोर देते रहते हैं.
  4. बांग्लादेश में 1970 के दशक में हिंदू आबादी करीब 95 लाख थी. 1971 के बाद साझी सीमा के कारण लाखों हिंदू भारत आए, लेकिन हिंदू आबादी अब बढ़कर 1.3 करोड़ हो गई है और बढ़ रही है.
  5. अविभाजित पंजाब मुस्लिम बहुल क्षेत्र था. आबादी 53 प्रतिश थी.1947 के बाद, भारतीय पंजाब में सिर्फ 1 प्रतिशत मुसलमान रह गए हैं. इसलिए, कृपया डेटा का उपयोग इस तरह से न करें जो लोगों को परेशान करे और गहरी असुरक्षा की ओर ले जाए. लोगों को यह महसूस कराने के अलावा धार्मिक विभाजन का कारण बने कि दूसरा समूह उन्हें निशाना बना रहा है.
  6. यह फासीवाद के स्तर का प्रचार है. यहां तक ​​कि कथित रूप से उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष पत्रकार जैसे राजदीप सरदेसाई के मन में भी एक गलत धारणा है. उन्हें नकली तुलना और झूठी समानता से बचना चाहिए. यह इतना खतरनाक है कि समुदायों के बीच घृणा पैदा करता है. लेकिन इसे ऐसे बोला जाता है जैसे यह सच हो!
  7. अब क्या सरदेसाई पूछेंगे, ऐसा क्या हुआ कि मुसलमान यहां लगभग अदृश्य हो गए? इतनी जनसंख्या कैसे गिर गई. यह कोई नहीं पूछता.
  8. भाई, क्या आपने कोई शिक्षा प्राप्त नहीं की? बीच में 1947 हो गया. वे गए और दूसरे पक्ष के लोग आ गए.
  9. हमारे पश्चिमी भाग में, जनसंख्या विनिमय लगभग कुल था. पूर्व में यह जनसंख्या विनिमय नहीं था, बल्कि 1971 के बाद बांग्लादेश से लोग यहां आए थे.
  10. अगर तुलना ही करनी है तो 1951 की जनगणना से 2001 या 2011 की तुलना करें कि कितने अल्पसंख्यक बढ़े हैं. सभी 3 देशों में, धार्मिक अल्पसंख्यक बढ़े हैं.

पत्रकारों और अन्य लोगों को सलाह:-

  1. किताबें पढ़ें, सीखें
  2. डेटा को स्वयं देखें और उसका विश्लेषण करें
  3. कम से कम, गूगल और थोड़ा शोध करें, अच्छी तरह से
  4. क्या आप संस्कारित हैं और असत्य को मानना ​​चाहते हैं
  5. शातिर लोगों का साम्प्रदायिक एजेंडा होता है और वे इसका इस्तेमाल अपने देश में भी मुसलमानों को बदनाम करने के लिए करते हैं. उनसे दूर रहो. सत्य की जीत होनी चाहिए.

यदि कुछ नहीं है, तो कम से कम विकिपीडिया की जांच करें, और फिर विभाजन, जनसांख्यिकी और पंजाब के साथ बंगाल, इतिहास पर कुछ इतिहास की पुस्तकों को ठीक से पढ़ें.

धूर्त जो न केवल शिक्षित हैं, बल्कि बेईमान हैं और जानबूझकर झूठा प्रचार करते हैं, चैनल एंकर या पत्रकार के रूप में अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं, उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए और उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए. उन्हें खतरनाक खेल नहीं खेलना चाहिए.

हर कोई अपनी जरूरत के हिसाब से डेटा का इस्तेमाल करता है और बाकी को छुपा लेता है. सामान्य लोग सभी जनगणना रिपोर्ट नहीं पढ़ते हैं. तथ्य यह है कि 1951 में भारत में मुस्लिम आबादी 3.5 करोड़ थी. यह बढ़कर 17.22 करोड़ हो गई.

झूठी कहानी इस उद्देश्य से बनाई गई है कि बाहर के कथित कामों के लिए मुसलमानों के साथ स्कोर तय करने का दबाव डाला जाए. हालांकि दावे झूठे हैं. जो भी अत्याचार करता है, उसे दोषी माना जाना चाहिए. अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके मुद्दे को न तो मोड़ें और न ही दूसरों को दोष दें. बस आप मीडिया के मालिक हैं. आप मीडिया में बहुमत में हैं और आप इसे मानना ​​​​चाहते हैं, भले ही यह झूठ हो.

नोटः अंग्रेजी से हिंदी रूपांतरण में कुछ गड़बड़ी की संभावना हो सकती है.