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भारत जोड़ो यात्रा: राहुल गांधी की चाल , भाजपा बेहाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, बेंगलुरु

राजीव गांधी को ‘पप्पू’ और कांग्रेस को चूका हुआ बम बताने वालों को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में उमड़ने वाली भीड़ और इससे निकलने वाले संदेश से समझ में आने लगा है कि 2024 का लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए आसान नहीं होने वाला.

दक्षिण भारत में कांग्रेस की तैयारी, देश के इस इलाके से आने वाले जयराम रमेश को पार्टी का प्रधान प्रवक्ता, मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी की कमान सौंपने के लिए भूमिका बनाना, नीतीश-लालू का सोनिया से मुलाकात तथा शरद यादव की पार्टी का कांग्रेस में विलय की तैयारी, दरअसल इस बात का इशारा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को ‘क्लीन स्वीप’ नहीं मिलने वाली.

हिंदी प्रदेशों में सांप्रदायिकता का जहर

चूंकि हिंदी प्रदेशों में हिंदू-मुसलमानों का इस कदर जहर बोया गया है कि पिछले दो चुनाव में कांग्रेस इससे पार नहीं पा रही है. भारतीय जनता पार्टी का बड़ा जनाधार देश के इसी क्षेत्र में है. सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और मदरसा, मस्जिद लाउडस्पीकर, जनसंख्या, मंदिर विवाद खड़ाकर लगातार एक पार्टी विशेष के लिए माहौल बनाए रखने का कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा है. इसके अलावा बीच-बीच में पसमांदा मुसलमान, चंद मुस्लिम बुद्धिजीवियांे को अपने साथ मिलाने और आरएसएस की ओर से मस्जिद, मदरसा का दौरा और हिंदू-मुस्लिम डीएनए की बात एक खास समुदाय में भ्रम फैलाकर पार्टी विशेष के लिए आगामी आम चुनाव के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है.

ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि इन परिस्थितियों में वह चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाएगी. अमेठी मंे राहुल गांधी के चुनाव हारने और प्रियंका गांधी के तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश चुनाव में विशेष कुछ नहीं कर पाने के बाद ही कहते हैं कांग्रेस भाजपा को दूसरे रास्ते से घेरेन का मन बना चुकी थी. बस, समय का इंतजार कर रही थी.

प्रशांत किशोर यानी पीके भले ही सोनिया गांधी से एक मुलाकात के बाद कांग्रेस से दूर हैं, पर कहते हैं कि इस समय कांग्रेस जिस फार्मूले पर अमल कर रही है, दरअसल, पीके से बातचीत में ही समस्या का हल कांग्रेस को मिल गया था. पीके भी मानते हैं कि कांग्रेस के पास नेता, जनाधार सब कुछ है. इसे बस पार्टी के बिखराव को समेटकर चैनलाइज करना है.

चूंकि हिंदी पट्टी के कांग्रेस नेता जिस तरह से पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. यहां तक कि कांग्रेस शासन में सालों मलाई मारने वाले कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद सरीखे नेता भी भरोसे के लायक नहीं रहे, ऐसे में कांग्रेस को दक्षिण भारत के रास्ते दिल्ली पर कब्जा का रास्ता ही बेहतर लगा.

दक्षिण भारतीय लोगों के अच्छी बात यह है कि वे बेहद धार्मिक हैं. यहां तक कि इसकी झलक उनके रिजनल फिल्मांे में भी दिखती है. इसके बावजूद हिंदी पट्टी की तरह ये कट्टरपंथी और अंधभक्त नहीं हैं.

दक्षिण भारत में कांग्रेस की स्थिति अच्छी

केरल हो या तमिलनाडू या फिर तेलंगाना ही क्यों न हो, कांग्रेस और इसकी सहयोगी पार्टियों का हमेशा से दबदबा रहा है. तेलंगाना के केसीआर भी कांग्रेस की तरफ झुकने को तैयार हैं. चूंकि कांग्रेस ने राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष का उम्मीदवार नहीं बनाकर यह संकेत दे दिया है कि उसे प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं चाहिए. वह किंग मेकर के रूप में रहना चाहती है. इसलिए भाजपा को छोड़कर गैर कांग्रेसियों , खासकर समाजवादियांे, वाम दलांे को एक छत के नीचे आने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. हाल में देवीलाल जयंती पर लालू-नीतीश का हरियाणा में जुटना भी इस ओर इशारा कर रहा है.

इधर, राहुल ने भारत जोड़ा यात्रा के मांच महीने के इस अभियान का एक महीना पूरा कर लिया है. इस एक महीने में अब तक वह केरल का ही पूरा दौरा कर पाए हैं. चार महीने का अभियान उनका बाकी है. इस बीच कांग्रेस की प्रोपगंडा टीम यात्रा के उन तमाम दृश्यों को बखूबी वायरल करा रही है, जिससे आम आदमी का मन बदला जा सके.

सोनिया के शामिल होने से यात्रा हुई खास

भारत जोड़ो यात्रा का गुरुवार का दिन भी खास रहा. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इसमें शामिल होने के बाद कर्नाटक कांग्रेस उत्साहित है.राज्य में भारत जोड़ो यात्रा में प्रियंका गांधी वाड्रा की संभावित भागीदारी और इसके पड़ने वाले प्रभावों के सवालों के बारे में कर्नाटक के सीएम बोम्मई प्रतिक्रिया में कहते हैं, हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

सीएम बोम्मई ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने से काफी पहले बीजेपी की रैलियों और सम्मेलनों की योजना बनाई गई थी. राज्य में छह रैलियां होंगी.

कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि रैली में सोनिया गांधी के शामिल होने से पार्टी के नेता उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, उनकी भागीदारी निश्चित रूप से मांड्या जिले और आसपास के क्षेत्रों में वोट बैंक को मजबूत करने में मदद करेगी. कांग्रेस विधायक अंजलि निंबालकर ने कहा कि सोनिया गांधी का हाथ पकड़ना जीवन भर का अनुभव है.

क्षेत्रीय पार्टी जद (एस) ने मांड्या जिले की सभी सात विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस राज्य के दक्षिणी हिस्से में सीटों की संख्या में सुधार करना चाहती है, जिससे कर्नाटक में बहुमत हासिल करना सुनिश्चित हो सके.इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी की यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अकेले चलने का फैसला किया.

सोनिया के जूते का फीता बांध राहुल ने जीता मन

कांग्रेस ने गुरुवार को पार्टी अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी के कर्नाटक के जक्कनहल्ली से कराड्या तक भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने की सराहना करते हुए कहा कि उनकी उपस्थिति से पार्टी को मजबूत करने में मदद मिलेगी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर कहा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पदयात्रियों के साथ मांड्या जिले के जक्कनहल्ली और कराड्या के बीच पैदल चलीं. उनका कार्यक्रम केवल 30 मिनट का था. वह कर्नाटक के लोगों के समर्थन और बदले में हमारे संकल्प को मजबूत करने के लिए 2 घंटे तक भारत जोड़ो यात्रा के साथ रहीं.

यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी ने कहा कि सोनिया गांधी ने हमेशा लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम किया है. वह इन सिद्धांतों की रक्षा के लिए चलीं. मुझे उनके साथ चलने पर गर्व है.पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि देश मजबूत होगा.

इस बीच, राहुल गांधी की सोनिया के जूते के फीते बांधते हुए तस्वीरें वायरल हुई. इस पर राजनीतिक विश्लेषक सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा, यह भारतीय संस्कृति है. लाखों भारतीय, जो आज कांग्रेस समर्थक नहीं हैं, राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के बाद प्रशंसा करना शुरू कर देंगे.

कांग्रेस महासचिव संगठन के.सी. वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, भारत जोड़ो यात्रा को भारी प्रोत्साहन देते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यात्रा में शामिल हुईं. उनके आगमन से भीड़ में उत्साह की लहर दौड़ गई. उनकी उपस्थिति ही आम आदमी में जोश भरने वाली है और राहुल गांधी और यात्रियों के संकल्प को मजबूत करने वाली है.

विजयदशमी और दशहरा पर्व को देखते हुए दो दिन के अंतराल के बाद मांड्या जिले से भारत जोड़ो यात्रा फिर से शुरू हुई.सोनिया गांधी सोमवार को मैसूर पहुंची थीं और काबिनी के बैकवाटर के पास एक रिसॉर्ट में रुकी थीं.

पदयात्रा का मुकाबला करने के लिए, सत्तारूढ़ भाजपा ने राज्य भर में कई दौरों और सम्मेलनों की योजना बनाई है. चंकि आने वाले समय में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए राहुल की यात्रा से इसके हाथ पैर फूले हुए हैं. दक्षिण भारत में भाजपा और आरएसएस का जनाधार बहुत कम है.

गुरुवार सुबह, यात्रा पांडवपुरा से शुरू हुई और मांड्या जिले के चौडेनहल्ली गेट पर समाप्त होगी.चामराजनगर, मैसूर जिलों को कवर करने के बाद, यात्रा मांड्या जिले में प्रवेश कर गई.