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लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न: एक विश्लेषण

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से ‘मार्गदशक मंडल’ में डाले गए लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को लेकर सोशल मीडिया पर मीम बनाए जा रहे हैं. उम्मीद के बाद भी जब लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रपति नहीं बनाए गए तो उन्हें लेकर नरेंद्र मोदी पर बार बार तंज कसा गया. अब जब कि मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान किया तो उनकी भारत की सियासत में योगदान या देश की प्रति उनकी उपलब्धि को लेकर सवाल पूछे जाने लगे हैं.

जहां तक आडवाणी की सियासी उपलब्धि की बात है तो उनका योगदान या उनकी उपलब्धि सिर्फ इतनी है कि वह आरएसएस के नेता हैं. 90 के दशक में रथयात्रा निकाल उन्हांेने न केवल राम मंदिर आंदोलन को उठाकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता की कुर्सी पर बैठाया. इसी सत्ता के सहारे आज बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर बनाने में सफल हुई है.
 
राम मंदिर के बहाने जब सरकार कारसेवक तक को सम्मानित कर रही हैं तो लाल कृष्ण आडवाणी तो उंची चीज हैं. ऐसे में उनका राम मंदिर निर्माण के मौसम में भारत रत्न मिलना तो बना ही है. इससे मोदी को दो लाभ मिलेगा. एक, आडवाणी को खुडे लाइन लगाने का कलंक मिटेगा, दूसरा, राम मंदिर आंदोलन के इस बड़े नेता और उनके समर्थकों को खुश करने में सफल होंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा.

सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री का भारत के विकास में योगदान स्मारकीय है.

उन्होंने लिखा, मुझे यह साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे बात भी की और उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी. हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान स्मारकीय है. उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से लेकर हमारे उप-प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र की सेवा करने तक का है. उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में भी खुद को प्रतिष्ठित किया. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय रहे हैं, जो समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे हुए हैं.

बीजेपी समर्थक कश्मीर के एक न्यूज पोर्टल ने नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद आडवाणी के कसीदे में एक लिखा प्रकाशित किया है, पर इसमें कहीं यह नहीं दर्ज है कि उनकी किस नीति से देश का विकास हुआ या मुल्क की गरीब जनता का कल्याण हुआ. देख में लिखा गया है. लेख के अनुसार ,‘‘ 8 नवंबर, 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में जन्मे आडवाणी ने 1980 में स्थापना के बाद से सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. लगभग तीन दशकों के संसदीय करियर को समाप्त करते हुए, वह पहले गृह मंत्री थे और बाद में अटल बिहारी वाजपेयी (1999-2004) के मंत्रिमंडल में उप-प्रधानमंत्री रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

आडवाणी का राजनीतिक सफर

  • 1980 में स्थापना के बाद से सबसे लंबे समय तक भाजपा के अध्यक्ष रहे.
  • उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.
  • राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता, जिसने भारतीय राजनीति को बदल दिया.
  • राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के प्रबल समर्थक.

समर्थकों का तर्क:

  • आडवाणी एक अनुभवी राजनेता हैं जिन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
  • राम मंदिर आंदोलन ने लाखों हिंदुओं की भावनाओं को व्यक्त किया.
  • एक मजबूत और समृद्ध भारत के विचार के लिए प्रतिबद्ध।.

विरोधियों का तर्क:

  • आडवाणी के नेतृत्व में हुए गुजरात दंगों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाता है.
  • राम मंदिर आंदोलन के दौरान सांप्रदायिक तनाव बढ़ा.
  • उनकी नीतियों से अल्पसंख्यकों को खतरा महसूस हुआ.

निष्कर्ष

  • लालकृष्ण आडवाणी एक विवादास्पद व्यक्ति हैं, जिनके कार्यकाल में कई सकारात्मक और नकारात्मक घटनाएं हुईं. भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय निश्चित रूप से राजनीतिक टिप्पणी का विषय बना रहेगा.
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत रत्न पुरस्कार केवल राजनीतिक योगदान के लिए नहीं दिया जाता है. यह सामाजिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को भी दिया जाता है.
  • हमें आडवाणी के कार्यों का समग्र मूल्यांकन करना चाहिए और उनकी उपलब्धियों और विफलताओं दोनों को ध्यान में रखना चाहिए.
  • यह भी महत्वपूर्ण है कि हम विभिन्न दृष्टिकोणों का सम्मान करें और इस विषय पर सभ्यता पूर्ण तरीके से बहस करें.