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बिहार: नीतीश के एमएलसी खालिद अनवर का बड़ा बयान-मुसलमानों को समान नागरिक संहिता में लाने का ‘सियासी षड़यंत्र’

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पटना

देश में एक तबका लगातार समान नागरिक संहिता लागू कराने को दबाव बना रहा है. यहां तक कहा जा रहा है कि समान नागरिक संहित एक पार्टी के लिए विशेष हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. हाल के दिनां में मुसलमानों के साथ घटी घटनाएं संकेत दे रही हैं कि देश में इसको लेकर माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. यहां तक कि कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी और इस्लामिक विद्वान भी ऐसा माहौल बनाने के प्रयास में हैं कि मारे भय के मुसलमान इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार हो जाए. ऐसे प्रयासों को बिहार के सत्तारूढ़ दल के एक एमएलसी ने ‘सियासी चाल’ बताया है. साथ ही यह भी कहा है कि यह देश के बुनियाद उसूलों के खिलाफ है.

जेडीयू के एमएलसी के डॉक्टर खालिद अनवर ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है. खालिद अनवर का कहना है कि जदयू पहले दिन से देश के सभी लोगों के पर्सनल लॉ का समर्थन करता आ रहा है. वहीं जदयू सभी को अपने-अपने रीति-रिवाजों के मुताबिक जीने का समर्थन करता है.

खालिद अनवर का कहना है कि संविधान में दिए गए अधिकारों के मुताबिक, देश में रहने वाले सभी लोगों को अपने पर्सनल लॉ के साथ जीने का अधिकार है. खालिद अनवर ने पटना में एक मीडिया घराने से बात करते हुए कहा कि अगर समान नागरिक संहिता देश के हित में है, तो इसे आजमाया जाना चाहिए, लेकिन अगर इस मुद्दे को राजनीति के लिए सामने लाया जा रहा है तो यह उचित नहीं है.
खालिद अनवर का कहना है कि मुसलमानों के नागरिक संहिता को लेकर बात हो रही है, जबकि हकीकत इसके उलट है. खालिद अनवर के अनुसार, हिंदुओं में स्वयं विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न जातियों के अलग-अलग व्यक्तित्व हैं. समान नागरिक संहिता का मुद्दा सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है. खालिद अनवर ने कहा कि मुसलमानों के पास अलग से पर्सनल लॉ नहीं है, लेकिन मुस्लिम समाज में पांच तरह के पर्सनल लॉ हैं. सरकार मुसलमानों को एक समान नागरिक संहिता के लिए प्रेरित कर रही है, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित हिंदू समुदाय होगा, जिसे नकारा नहीं जा सकता.
जदयू ने साफ किया कि समान नागरिक संहिता को लेकर राजनीति बंद होनी चाहिए. हिंदू जाति की उच्च जातियों के लोगों में कई कर्मचारी हैं. उत्तर प्रदेश के लोगों का एक अलग पर्सनल लॉ है, जबकि बिहार के ब्राह्मण समुदाय का एक अलग पर्सनल लॉ है. आदिवासी समुदाय में सैकड़ों अलग-अलग संगठन हैं. ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि समान नागरिक संहिता लाने से देश को कैसे लाभ होगा ?
उन्हांेने कहा, भारत एक व्यापक संस्कृति वाला देश है. सालों से लोग अपने-अपने रीति-रिवाजों के साथ रहते आए हैं और अपनी-अपनी मान्यताओं के मुताबिक खुशी-खुशी रहते हैं. सरकार उन पर समान नागरिक संहिता थोपकर उनका एक तरह से शोषण करेगी. हालांकि, हम यह कहना चाहते हैं कि यदि देश को समान नागरिक संहिता से लाभ होता है, तो इस पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन यह हानिकारक है. इसे केवल राजनीतिक चाल के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश चल रही है. यह राजनीति खत्म होनी चाहिए.

खालिद अनवर का कहना है कि संविधान में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करना अनुचित है. हर किसी को अपने तरीके से जीने का अधिकार है और इसे बनाए रखना देश के हित में है.