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बिहारः दारोगा भर्ती में कम संख्या में मुसलमानों के चयन पर उठने लगे सवाल

दारोगा बहाली में मुसलमानों का चयन बेहद कम होने पर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाईटेड में सवाल उठने लगे हैं. बिहार प्रशासनिक सेवा के मुकाबले दारोगा बनने वाले मुसलमानों की संख्या तकरीबन आधी है. बीपीएससी में 101 मुस्लिमों का चयन हुआ था.

आरोप लगते रहे हैं कि बिहार के पुलिस विभाग के छोटे पदों पर बहाली में रिश्वत, पैरवी और भाई भतीजावाद का भरपूर खेल चलता है.

चूंकि इसमें शारीरिक एवं टेस्ट परीक्षाओं में धांधलीबाजी की भरपूर संभावना रहती है, इसलिए भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं.अन्यथा क्या वजह है कि कुछ खास जातियों के लोग ही बिहार पुलिस में अधिक हैं ?

बहरहाल, वर्तमान में दारोगा भर्ती में कम संख्या में मुसलमनों के चयन पर अब सवाल उठने लगे हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक इजहार अहमद ने दारोगा बहाली में मुस्लिम अभ्यर्थियों के मात्र दो प्रतिशत चयन पर मायूसी का इजहार किया है.उन्होंने कहा है कि इसमें ज्यादा खुश होने की बात नहीं है.

पिछले साल 1600 में 60
अल्पसंख्यक समुदाय से सेलेक्ट हुए थे, जबकि इस बार 2700 में सिर्फ 55 सब इंस्पेक्टर चुने गए हैं. बीपीएससी के ताजा रिजल्ट को देखकर ऐसा बिलकुल नहीं कहा जा सकता है कि मुसलमान पढ़ाई में पीछे है.

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर ऐसा क्यों हुआ ? इसकी जांच होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार हज भवन से 127 अभ्यर्थी को कम्प्लीट करके भेजा गया था. रिजल्ट आया मात्र 55 का. उन्होंने अपनी सरकार से इसकी जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसकी जांच कराएं. दारोगा बहाली में कोई घोटाला तो नहीं हुआ?

इजहार अहमद ने कहा कि बेशक मुस्लिम लड़कियों का दारोगा बनना,पुलिस महकमा में जाना बदलाव का संकेत है.इससे समाज में फर्क पड़ेगा. उन्होंने सफलता पाने वाली बेटियों को बधाई.

मंत्री जमा खान ने कहा कि हज भवन कोचिंग में बच्चियों और बच्चों की कामयाबी को आज पूरी दुनिया देख रही है.इस सफलता के लिए सभी पदाधिकारी,हज भवन के जिम्मेवार बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नीतीश कुमार सरकार में ही मुमकिन है.

वह अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक विकास से काफी खुश हैं. जमा खान ने कहा कि अभी और आगे बढ़ना है.हमारा और हमारी सरकार के सहयोग की कहीं जरूरत पड़े,हमेशा खड़ा पाएंगे.