बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार की याचिका खारिज, ‘सत्ता हड़पने’ और ‘विवेक के दुरुपयोग’ जैसी टिप्पणी हटाने से इनकार
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को झटका देते हुए बिलकिस बानो मामले में दिए गए आदेश से टिप्पणी हटाने की याचिका को खारिज कर दिया. जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने समीक्षा याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि आदेश में किसी भी त्रुटि का कोई आधार नहीं है. इसलिए, समीक्षा याचिका खारिज की जाती है.
गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत से 8 जनवरी 2024 के फैसले से उस टिप्पणी को हटाने की मांग की थी जिसमें राज्य को “सत्ता के हड़पने” और “विवेक के दुरुपयोग” का दोषी ठहराया गया था. सरकार ने तर्क दिया था कि यह टिप्पणी अनुचित है. राज्य के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करती है. लेकिन अदालत ने इस याचिका को ठुकराते हुए कहा कि आदेश पर पुनर्विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
बिलकिस बानो मामला: दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार ने 2022 में 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2024 को टिप्पणी की थी कि राज्य ने कानून का उल्लंघन किया है. दोषियों को छूट देने के अधिकार का दुरुपयोग किया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गुजरात सरकार ने दोषियों को छूट देने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार से “हड़प” लिया और इस प्रक्रिया में कानून के शासन का उल्लंघन किया.अदालत ने दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया और राज्य सरकार के फैसले को “अधिकार क्षेत्र के अभाव” में लिया गया बताया.
गुजरात दंगों का भयावह इतिहास और बिलकिस बानो की पीड़ा
2002 के गुजरात दंगों के दौरान, 21 वर्षीय बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब वह पांच महीने की गर्भवती थी। दंगों से भागने के दौरान उसकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.
गुजरात सरकार ने 2022 में सभी 11 दोषियों को छूट देकर रिहा कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि राज्य ने कानून का उल्लंघन करते हुए दोषियों को रिहा किया था.
इनपुट: सियासत डाॅट काॅम