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देश के अल्पसंख्यकों तक पहुंचने के लिए बीजेपी ने बनाया मास्टर प्लान, 60 लोकसभा सीटों का रखा लक्ष्य

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

सत्ता के आठ साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुसलमानों के पक्ष में बयान आने के साथ ही पर्दा उठ गया था कि भारतीय जनता पार्टी की बिगड़ती स्थिति के कारण अब मुसमलानों की मदद से ही 2024 में सत्ता में वापसी हो पाएगी. अब भाजपा की ओर से स्पष्ट संकेत आ गया है कि देश के 60 सीटों पर मुसलमानों को पटाने के लिए बड़ा ताना बाना बुना जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद बीजेपी ने अल्पसंख्यक समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने के लिए एक मेगा प्लान बनाया है. इसके लिए बीजेपी ने 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की 60 लोकसभा सीटों की पहचान की है, जहां अल्पसंख्यक आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है.

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने इसके लिए खास योजना बनाई है. बीजेपी का यह आउटरीच प्लान चार महीने के लिए होगा. इसके साथ ही केरल के वायनाड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को हराने के लिए भी खास योजना बनाई गई है.

बीजेपी का प्लान

भाजपा ने एक योजना बनाई है कि पार्टी कार्यकर्ता चयनित 60 लोकसभा सीटों से 5,000 अल्पसंख्यक लोगों की पहचान करेंगे जो प्रधानमंत्री मोदी या उनके कल्याणकारी कार्यक्रमों की सराहना करते हैं और उनके समुदायों तक पहुंचेंगे. भाजपा मार्च-अप्रैल में एक स्कूटर यात्रा और दूसरी असनिया यात्रा का आयोजन करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, इस संपर्क कार्यक्रम का समापन मई में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के साथ होगा. इस रैली में 60 चुनी हुई लोकसभा सीटों के लोग हिस्सा लेंगे.

किन लोकसभा सीटों पर है फोकस?

भाजपा ने जिन 60 लोकसभा सीटों की पहचान की है, उनमें से 13 उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से हैं. इनमें जम्मू-कश्मीर की 5, बिहार की 4, केरल और असम की 6-6, मध्य प्रदेश की 3, तेलंगाना और हरियाणा की 2-2 और महाराष्ट्र और लक्षद्वीप की 1-1 सीट शामिल हैं. भाजपा की सूची में पश्चिम बंगाल के निर्वाचन क्षेत्रों में बहरामपुर (64 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी), जंगीपुर (60 प्रतिशत), मुर्शिदाबाद (59 प्रतिशत) और जयनगर (30 प्रतिशत) शामिल हैं.

केरल में बीजेपी का ज्यादा फोकस

बिहार में किशनगंज (67 प्रतिशत), कटिहार (38 प्रतिशत), अररिया (32 प्रतिशत) और पूर्णिया (30 प्रतिशत) शामिल हैं. जबकि केरल में, भाजपा जिन संसदीय सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी, वे हैं वायनाड (57 प्रतिशत अल्पसंख्यक), मलप्पुरम (69 प्रतिशत), पोन्नानी (64 प्रतिशत), कोझिकोड (37 प्रतिशत), वडकरा (35 प्रतिशत) और कासरगोड (33 प्रतिशत).

उत्तर प्रदेश की सीटों में बिजनौर (38.33 फीसदी), अमरोहा (37.5 फीसदी), कैराना (38.53 फीसदी), नगीना (42 फीसदी), संभल (46 फीसदी), मुजफ्फरनगर (37 फीसदी) और रामपुर (49.14 फीसदी) शामिल हैं.

संघ भी लगा है मुसलमानों को पटाने में

संघ भी नहीं चाहता कि उसका सियासी दल एक साल बाद सत्ता से बाहर हो जाए. क्यों कि धारा 370, तीन तलाक, एनआरसी, राम मंदिर, हिजाब, जनसंख्या नियंत्रण कानून जैसे अहम मुददे भाजपा के सत्ता में रहते ही पूरे हो सकेंगे. इसलिए मुसलमानांे को पटाने के लिए संघ के खेमे का मुसलमानों का एक पूरा गिरोह ही काम कर रहा है. इसमें देश के कई बड़े उलेमा और मुस्लिम बुद्धिजीवी भी शामिल हैं. उनकी पहचान करनी हो तो आरएसएस प्रमुख भागवत के मुसलमानांे से संबंधित दिए जाने वाले बयानों की प्रतिक्रिया स्वरूप आने वाले बयानो को देखा जा सकता है.