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अंग्रेजों के फूट डालो राज करो की राह पर भाजपा, पसमांदा सम्मेलन के जरिये मुसलमान के एक तबके को साधने की कोशिश

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,लखनऊ

लगता है भारतीय जनता पार्टी ने अंग्रेजों के फूट डालो राज करो नीति को पूरी तरह अपना लिया है. खास तौर से मुसलमानांे के मामले में. पहले तो शिया समुदाय को आगे बढ़ाकर उन्हें सुन्नियों से अलग करने की कोशिश की. काम निकल गया तो उन्हंे किनारे कर सूफीज्म के नाम पर मुसलमानों में फूट डालने का प्रयास किया. इस फार्मूले पर बात बनते नहीं दिखी तो अब मुसलमानों में अगड़े-पिछड़ों का भेद डाकर 20 करोड़ की इस आबादी को बांटे का प्रयास तेज कर दिया गया है.

इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) यूपी में 16 और 18 अक्टूबर को लखनऊ में पसमांदा मुस्लिम सम्मेलन करने जा रही है. इस सम्मेलन के जरिए भाजपा नगर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए मुस्लिमों को साधेगी.पसमांदा मुस्लिम को जोड़ने और उन पर चर्चा के लिए पहला सम्मेलन 16 अक्टूबर को अल्पसंख्यक मोर्चे के बैनर तले क्राइस्ट चर्च कॉलेज में होगा, जबकि दूसरा सम्मेलन 18 को विश्वेश्वरैया सभागार में होना प्रस्तावित है.

सम्मेलन में खासतौर से गुलाम अली खटाना को आमंत्रित किया गया है. कार्यक्रम में भाजपा सरकार के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक बतौर मुख्य अतिथि व अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री साबिर अली मुख्य वक्ता के तौर पर सम्मेलन में शामिल होंगे. अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी, संजय सिंह गंगवार भी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

दरअसल, तीन माह पहले जुलाई में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हैदराबाद में हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी से पसमांदा मुसलमानों तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया था. ऐसे में राजधानी में होने जा रहे सम्मेलन को मुस्लिम समुदाय में पार्टी की पैठ बढ़ाने की दिशा में भाजपा के रोडमैप का अहम हिस्सा माना जा रहा है.

भाजपा सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और मोर्चा के महामंत्री दानिश आजाद अंसारी का कहना है कि भाजपा आज अल्पसंख्यक समाज की पहली पसंदगी है. इस सरकार में बिना भेदभाव को मुस्लिम समाज को लाभ मिल रहा है. मुस्लिमों को हर स्तर के बढ़ाने का प्रयास हो रहा है. इसका सीधा उदहारण अभी हाल में हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली है. दोनों सीटों पर मुस्लिम वोटों की संख्या ठीक-ठाक है. यह इस बात को दशार्ता है कि मुस्लिमों की पसंद अब भाजपा बन रही है. विपक्षी दल केवल वोट बैंक के चक्कर मे भ्रम फैलाते रहेंगे.

ज्ञात हो कि निकाय चुनाव को लेकर भाजपा के सूत्र बताते हैं कि भाजपा ऐसे वार्ड और नगर पंचायतों में भी अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतार सकती है, जहां अधिकतर अल्पसंख्यक वोटर हैं. पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने इस मिशन पर काम शुरू कर दिया है. प्रदेश भर में मोर्चा की बैठकों का सिलसिला शुरू हो रहा है. 200 से ज्यादा नगर पालिका, नगर पंचायत की ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति में हैं. माना जा रहा है कि ये तैयारी सिर्फ निकाय चुनाव की नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. इसी मकसद भाजपा लगातार पसमांदा मुसलमानों की बात कर रही है ताकि अल्पसंख्यकों में सेंध लग सके.

मुसलमानों में भ्रम फैलाने के लिए ही उप चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय पसमांदा को दिया जा रहा है. जबकि सपा नेता आजम खान कई बार कह चुके हैं कि वोटिंग वाले दिन मुसलमानों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया गया. जब मुसलमानों को घरों से निकलने नहीं देंगे तो जीत तो भाजपा की ही होगी ?

पसमांदा को सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ मिलने वाली बात भी भ्रामक है. आज तक सरकार की ओर से एक भी आंकड़े नहीं दिए गए कि कितने प्रतिशत मुसमलानों को इसका लाभ मिला और उनमें पसमांदा कितने हैं.

दरअसल, भाजपा मुसलमानांे में भ्रम जाल फैलाने का प्रयास कर रही है. इस समुदाय की एका को तोड़ने के लिए तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं. पसमांदा की आंखों में धूल झोंकने के लिए ही शिया के एक सीनियर नेता को दरकिनार कर दानिश अंसारी को उनकी जगह लाया गया. यह सारा खेल केवल यूपी में ही चल रह है. बिहार में जहां, सर्वाधिक आबादी पिछड़े मुसलमानों की है, वहां पहले भी इस वर्ग के मंत्री और मुख्यमंत्री बनते रहे हैं.

भाजपा की दोहरी नीति का इससे भी पता चलता है कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, मुसलमानों को जब टिकट देने की बारी आती है तो न केवल हाथ पीछे खींच लेती है. मुसलमानों के नाम पर चर्चा तक नहीं करती. उसे पिछले दरवाजे से मुसलमानों का वोट तो चाहिए, पर नहीं चाहती कि राजनीतिक स्तर पर यह वर्ग मजबूत हो. जैसा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किया जा रहा है. चूंकि भारत में मुसलमान तकरीबन बीस करोड़ हैं. ऐसे में भाजपा के दांव सारे फेल हो जाएंगे, ऐसा लगता है. इसके अलावा मुस्लिम संगठन तेजी से पसमांदा मुसमलमानों की शिकायतों को दूर करने में भी लगे हुए हैं.