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2024 के चुनावों में भाजपा हताश: जनता उदासीन, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

तमाम हत्थकंडों के बावजूद लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचूर समर्थन नहीं मिलने से परेशान भारतीय जनता पार्टी मतदान को निरंतर हिंदू-मुसलमान के नाम पर बांटने के प्रयास में है. हद यह कि बीजेपी ‘देश सुरक्षा’ से जुड़े मामलों को भी चुनावी सभाओं में उठाने से गुरेज नहीं कर रही है.

बीजेपी को चुनाव से पहले उम्मीद थी कि राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 730, तीन तलाक, सीएए जैसे विवादास्पद मुददे उसके पक्ष में वोटों की बारिश कराएं. मगर पिछले दो चरणों के मतदान में मतदाताओं ने जैसी उदासीनता दिखाई, उससे स्पष्ट हो गया कि ऐसे मामले उन्हें बिल्कुल नहीं सुहा रहे, इसलिए वे वोट डालने घरांे से नहीं निकल रहे. पिछले दो चरणों में 55-65 प्रतिशत से अधिक कहीं भी वोट डाले नहीं गए. ऐसे में उन तमाम पार्टियों के लिए यह खतरे की घंटी है जिन्हांेने पिछले चुनाव में बहुत कम मार्जिन से सीटें जीती थीं. बीजेपी भी उन पार्टियों से एक है.

बीजेपी पिछले चुनाव में बहुमत लेकर सत्ता में आई थी, जबकि इस चुनाव ने उसे अंदेशों से भर दिया है. इसका बेहतर उदाहरण भाजपा का घोषणा पत्र है, जिसमें मोदी की गारंटी देते हुए पिछले दस वर्षों की उपलब्धियां गिनाने के अलावा भारत को अर्श तक पहुंचाने का वादा किया गया है.

मगर चुनाव में वे तमाम वादे हवा हैं. इसकी जगह बीजेपी पूरे चुनाव को हिंदू-मुसलमान के नाम पर लड़कर जीतना चाहती है. इसकी शुरूआत खुद नरेंद्र मोदी ने की. आम तौर से वह सार्वजनिक मंचों से मुसलमानों को लेकर ओछी बातें नहीं करते, पर दो जनसभाओं में उन्हांेने मंगल सूत्र, बाहरी, संपत्ति ट्रांसफर करने जैसे शब्द इस्तेमाल कर जता दिया कि इसके बगैर पार्टी के चुनाव जीतने में संदेह है.

इस राह पर अब न केवल बीजेपी नेता और बीजेपी मीडिया समर्थक निकल पड़े हैं, देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों को भी चुनाव में इस्तेमाल किया जा रहा है. कनार्टक बीजेपी ने ट्विटर पर एक कार्टून साझा किया है, जिसमें एक घोसले में ओबीसी, एससी, एसटी अंडे के रूप में दिख रहे हैं. फिर राहुल और कर्नाटक सीएम मुस्लिम आरक्षण का अंडा उस घोसले में रख देते हैं. अंडे में से चूजा निकलने पर राहुल सारा फंड मुस्लिम आरक्षण वाले चूजे को खिला देते हैं. इससे मुस्लिम आरक्षण वाला चूजा इतना बड़ा हो जाता है कि आरक्षण के बाकी हकदार ओबीसी, एससी, एसटी के चूजे को लात मार कर घोंसले से बाहर गिरा देता है.

इससे पहले हिंदूवादी संगठन मुसलमानों की कथित बढ़ती संख्या का भय दिखाकर बहुसंख्यक समुदाय का वोट बटोरते रहे हैं. अब उन्हें आरक्षण का भय दिखाया जा रहा है. जबकि हकीकत कुछ और ही है. हिंदू निम्न वर्ग को आरक्षण का इतना ज्यादा लाभ मिलता है कि उसमें मुसलमानों की गुंजाइश न के बराबार है. आश्चर्यजनक बात तो यह है कि मुसलमानांें के आरक्षण और उन्हें सहूलियत दिए जाने का विरोध करने वालों में हिंदू संगठनों के अलावा दिलीप मंडल जैसे वरिष्ठ पत्रकार भी हैं.

रही बात देश सुरक्षा की तो गुजरात पुलिस ने एक मौलवी को पाकिस्तान और नेपाल से कथित रिश्ता रखने और वहां से प्रेरणा लेकर मुसलमान विरोधी अभियान चलाने वाले एक न्यूज चैनल के मुखिया समेत कुछ हिंदूवादी नेताओं को जानसे मारने की साजिश रचने के आरोप में एक युवा मौलाना को गिरफ्तार किया है.

पुलिस उससे साजिश के राज खुलवाने के लिए निरंतर पूछताछ कर रही है. मगर चुनावी सभाओं में बीजेपी नेता इस वाक्ये को ‘पुलवामा की घटना’ की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. जनसभाओं में इसे लेकर ऐसी-ऐसी बातें कही जा रही हैं, जिससे सांप्रदायिक द्ववेश फैलने का खतरा है. बावजूद इसके ऐसे लोगों को कोई नहीं रोक रहा है.

खुद को हिंदू राइट एक्टिविस्ट कहने वाले मिस्टर सिन्हा ने एक्स पर एक बीजेपी नेता का इस मसले पर भाषण साझा करते हुए लिखा-‘‘कल गुजरात पुलिस ने नूपुर शर्मा और अन्य हिंदू नेताओं की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एक पाकिस्तानी प्रायोजित मौलाना को गिरफ्तार किया और आज कांग्रेस उसे बचाने के लिए एक वकील के साथ पुलिस स्टेशन पहुंच गई. क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं…हर दिन कांग्रेस साबित करती है कि वे आतंकवादियों के साथ हैं.’’

वह आगे लिखते हैं-‘‘ भाई ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. मुझे यकीन है कि वह मौलाना को इससे बच निकलने नहीं देंगे.’’इस बारे में गुजरात के सूरत से खबर है कि पुलिस ने शनिवार को एक हिंदू संगठन के नेता की हत्या की योजना बनाने के आरोप में एक मुस्लिम मौलवी (या मौलवी) को गिरफ्तार किया है. पुलिस

अधिकारियों के अनुसार, आरोपी मौलवी को एक टेलीविजन चैनल के मुख्य संपादक के साथ एक विधायक और पार्टी के पूर्व प्रवक्ता सहित तेलंगाना भाजपा नेताओं को धमकी देने के आरोप में पकड़ा गया है. जबकि इस मामले में अभी खुलासा होना बाकी है. मगर हिंदूवादी संगठनों के नेताओं को इससे कोई लेना देना नहीं.

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