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बीजेपी का भारत को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनाने का भ्रम

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

बीजेपी और मोदी सरकार का दावा है कि भारत अब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में शुमार हो चुका है. हालांकि, इस दावे का कोई मजबूत आधार नहीं, क्योंकि प्रतिष्ठित अमेरिकी मैग्जीन Forbes ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में भारत को दुनिया के शीर्ष 10 शक्तिशाली देशों में शामिल नहीं किया. यह स्पष्ट रूप से एक भ्रम की स्थिति पैदा करता है, जिसे बीजेपी और मोदी सरकार ने अपनी राजनीतिक लाभ के लिए प्रचारित किया है. इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि कैसे भारत को सबसे शक्तिशाली देश बनाने का दावा सिर्फ एक प्रचार की रणनीति है और असल में भारत को वैश्विक शक्ति की रैंकिंग में क्यों स्थान नहीं मिला.

Forbes द्वारा जारी की गई 2025 की दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची

Forbes के 2025 के लिए तैयार किए गए विश्व शक्तिशाली देशों के रैंकिंग में जो तथ्य सामने आए, उन्होंने यह साबित कर दिया कि बीजेपी का दावा वास्तविकता से बहुत दूर है. Forbes द्वारा तैयार की गई रैंकिंग में दुनिया के शीर्ष 10 शक्तिशाली देशों की सूची में भारत का नाम नहीं. यह सूची विभिन्न पहलुओं जैसे नेतृत्व, आर्थिक प्रभाव, सैन्य ताकत, अंतरराष्ट्रीय गठबंधन और तकनीकी नवाचार पर आधारित है.

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)

संयुक्त राज्य अमेरिका, जो वैश्विक प्रभाव के कई पहलुओं में अग्रणी है, Forbes की सूची में पहले स्थान पर है. इसकी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अत्याधुनिक सैन्य ताकत और वैश्विक राजनीति में प्रभाव उसे सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाते हैं.

चीन (China)

चीन ने अपने ‘बेल्ट एंड रोड’ प्रोजेक्ट के जरिए वैश्विक आर्थिक दबदबा कायम किया है, साथ ही वह तकनीकी नवाचार और सैन्य गठबंधनों में भी बढ़त हासिल कर चुका है. यह उसे दूसरे स्थान पर रखते हुए दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों में शुमार करता है.

रूस (Russia)

रूस, जो दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है, भू-राजनीतिक ताकत, सैन्य क्षमता और प्राकृतिक संसाधनों के बल पर तीसरे स्थान पर है. इसकी सैन्य शक्ति और ऊर्जा संसाधनों का वैश्विक प्रभाव है, विशेषकर यूरोप और एशिया में.

  1. यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom)

ब्रिटेन के पास मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठबंधन हैं और इसकी आर्थिक शक्ति भी प्रभावशाली है, जो उसे चौथे स्थान पर रखते हैं. इसके बाद की सूची में जर्मनी, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जापान, सऊदी अरब, और इज़राइल जैसे देश आते हैं, जिनका सामर्थ्य केवल सैन्य ताकत तक सीमित नहीं है, बल्कि ये देश तकनीकी नवाचार, ऊर्जा नीति और वैश्विक सुरक्षा में भी अग्रणी हैं.

भारत का नदारद होना: बीजेपी और मोदी सरकार का भ्रम

अगर हम इस रैंकिंग को देखें, तो साफ तौर पर यह दिखता है कि भारत का नाम इनमें शामिल नहीं है. इसके बावजूद, बीजेपी लगातार यह दावा कर रही है कि भारत अब एक वैश्विक शक्ति बन चुका है, और चुनावी माहौल में इसका उपयोग भी जमकर हो रहा है. यह दावा, हालांकि, असल में वास्तविकता से बहुत दूर है.

भारत का प्रति व्यक्ति जीडीपी (PPP) अभी भी अन्य शक्तिशाली देशों से काफी कम है, और उसकी सैन्य ताकत का एक बड़ा हिस्सा रक्षा खर्च में बढ़ोतरी के बावजूद अन्य देशों के मुकाबले कम प्रभावी है. भारत के पास तकनीकी नवाचार और डिजिटल विकास में कुछ अच्छी शुरुआतें हैं, लेकिन वैश्विक मंच पर यह नवाचार अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत धीमा है. इसके अलावा, भारत के अंतरराष्ट्रीय गठबंधन अभी तक उतने मजबूत और प्रभावशाली नहीं हैं, जितने चीन और अमेरिका जैसे देशों के हैं.

बीजेपी का प्रचार और मोदी सरकार की रणनीति

दिल्ली विधानसभा चुनाव के करीब आने के साथ, बीजेपी ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि भारत अब दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति बन चुका है. यह दावा न केवल चुनावी लाभ के लिए था, बल्कि यह भी दिखाने की कोशिश थी कि मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी ताकत स्थापित कर ली है. बीजेपी का यह दावा, हालांकि, पूरी तरह से अप्रासंगिक और असत्य है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर भारत की शक्ति को Forbes और अन्य अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों द्वारा नजरअंदाज किया गया है.

मोदी सरकार की यह रणनीति एक राजनीतिक टूल के रूप में काम करती है, जो लोगों को यह भ्रमित करती है कि उनका देश वैश्विक शक्ति बन चुका है. यह प्रचार भारतीय जनता पार्टी के लिए उस समय फायदेमंद हो सकता है जब चुनावी माहौल हो, लेकिन इसके पीछे की असलियत बहुत अलग है.

भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में गिनने का दावा असल में केवल एक प्रचार अभियान है, जो बीजेपी द्वारा अपनी राजनीति के लिए फैलाया जा रहा है. असल में, 2025 की Forbes की सूची से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अभी भी कई प्रमुख देशों के मुकाबले वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित नहीं हुआ है। भारत की वास्तविक ताकत में समय के साथ वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक भारत न केवल अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाता है, बल्कि आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी रूप से भी मजबूती हासिल नहीं करता.

बीजेपी और मोदी सरकार को चाहिए कि वे जनता के सामने सच्चाई रखें और यह दिखाएं कि वास्तव में भारत के पास अभी कितनी दूर जाना बाकी है वैश्विक मंच पर अपनी पूरी ताकत स्थापित करने के लिए.

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