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जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने से भारतीय जनता पार्टी के ‘मुस्लिम मुखौटे’ को झटका

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर देश का मुस्लिम समाज ख्वाहमखाह यह सोचकर खुश हो रहा था कि इनमें से किसी एक पद के लिए केंद्रीय मंत्री रहे मुख्तार अब्बास नकवी या केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को अवश्य मौका दिया जाएगा.

मगर भाजपा ने देश की दूसरी बड़ी आबादी को बुरी तरह मायूस किया है. मुसलमानों को सत्ता से बाहर रखने की अपनी रणनीति को सिरे चढ़ाते हुए देश के इन दोनों ही शीर्ष पदों में से किसी के लिए मुसलमानों को इस लायक नहीं समझा गया. जिस तरह भारतीय जनता पार्टी चुनाव में मुसलमानों को टिकट नहीं देती. यह परंपरा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी बरकार रखा. हालांकि भाजपा में अगड़े और पिछड़े का खेल खेलकर मुसलमानों में लोकसभा चुनाव से पहले फूट डालने की कोशिशें तेज हो गई हैं. बावजूद इसके अपनी इस रणनीति को सिरे चढ़ाने के लिए भी शीर्ष पदों के लिए किसी पिछड़े मुसलमान को महत्व नहीं दिया गया. यही नहीं हमेशा विवादों में रहने वाले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.

पार्टी ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए शनिवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धुनखड़ के नाम की घोषणा की. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले नकवी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? राज्यसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद से उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.

उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों में मुख्तार अब्बास नकवी का नाम सबसे आगे था. इसके अलावा केरल के राज्यपाल तथा मुसलमानों का माखौल उड़ाने में चारकदम आगे रहने वाले आरिफ मोहम्मद खान का भी इस रेस में नाम लिया जा रहा था. बावजूद इसके जगदीप धुनखड़ का नाम तय कर दिया गया. कहा गया कि भाजपा एक पिछड़े मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति को पद के उम्मीदवार के रूप में मौका देने पर विचार कर रही थी. इसके बाद इस विचार में किसने और क्यों ब्रेक लगा दिया अभी तक पार्टी की ओर से काई सफाई नहीं आई है.

इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. 2024 में लोकसभा चुनाव भी है. ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी को संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है. इससे पहले भी कई वरिष्ठ मंत्रियों को मोदी कैबिनेट से हटाकर संगठन में जिम्मेदारी दी जा चुकी है. भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर इसके प्रमुख उदाहरण हैं. ऐसे में संभव है कि नकवी को संगठन में बड़ी भूमिका में लाया जा सकता है.
मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर चर्चा है कि उन्हें एक बड़े राज्य का नया राज्यपाल बनाया जा सकता है. वर्तमान में, आरिफ मुहम्मद खान केरल के एकमात्र मुस्लिम राज्यपाल हैं. मगर सवाल यह है कि जो भाजपा उत्तर प्रदेश चुनाव में पिछड़े मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं के वोट मिलने का दावा कर रही थी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का किसी मुसलमान को उम्मीदवार न बनाने की आगामी चुनाव में क्या वजह बताएगी. लोकसभा चुनाव के दौरान भी सबका साथ सबका विकास पर विश्वास दिलाना मुश्किल हो जाएगा. भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा और इसके मूल संगठन आरएसएस के मुस्लि राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ताआंे को संतुष्ट करना भी इसके लिए बड़ी चुनौती होगी.