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मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डाॅ इस्सा को भारत बुलाकर साम्प्रदायिक सौहार्द की बीन बजाने वाले मेवात में मुसलमानों के उजाड़ने पर खामोश ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो खास

हाल में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ इस्सा को भारत बुलाकर तकरीबन एक सप्ताह तक भारत में सांप्रदायिक सौहार्द का किस्सा सुनाया गया. इसमें वे लोग पेश-पेश तो थे जिनका इसके पीछे हिडेन एजेंडा था. इस मामले में देश के सभी फिरके और मुखतलिफ मुस्लिम संगठन के रहनुमा भी आगे-आगे रहे. अब नूंह दंगे के बाद मुसलमानों पर ढाए जा रहे जुल्म पर सभी की बोलती बंद है.

यहां तक कि अरशद मदनी हो, महमूद मनदी हो या एसवाई कुरैशी अथवा एमजे अकबर, सभी ने अपने होंठ सिल लिए हैं.नूंह में हिंसा फैलाने में कौन से प्रमुख लोग थे ? इसका फैसला अभी होना बाकी है. क्योंकि इसकी जांच प्राथमिक स्तर पर है और कोर्ट में यह मामला भी नहीं गया है. इसके बावजूद मेवात दंगे के बाद न केवल बड़ी संख्या में लोगों के आशियाने तोड़े जा रहे हैं, बल्कि दुकानों और मकानों को भी ढहाया जा रहा है.

पुलिस प्रशासन की देखरेख में पिछले दो दिनों से यह कार्रवाई चल रही है. बावजूद इसके न तो स्थानीय मुस्लिम रहनुमा इसपर सवाल कर रहा है और न ही देश में मुसलमानों के नाम पर बड़ी-बड़ी दुकानें चलाने वाले उनके बचाव में आगे आए हैं.

हद तो यह है कि गुरूग्राम के सेक्टर 57 की मस्जिद को जलाने और उसके नायब इमाम की हत्या करने के आरोप में अब तक केवल चार लोग ही गिरफ्तार किए गए हंै, जबकि इस घटना को अंजाम देने वाले बड़ी संख्या में थे. यही नहीं अब तो हिंदूवादी संगठन गिरफ्तार किए गए उन चार लोगों को भी बरी कराने के लिए दबाव देने लगे हैं. इसके लिए पंचायतें हो रही हैं. फिर भी सांप्रदायिक सौहार्द की बातें करने वालों और डॉक्टर इस्सा के सामने गंगा-जमुनी तहजीब का बखान करने वालों को सांप सूंघ हुआ है.

ऐसे लोगों को सोशल मीडिया पर ललकारा जा रहा है. लानत, मलामत की जा रही है. सोशल वर्कर नूर बानो ने ऐसे लोगों पर ताना कसते हुए लिखा है-सोए हुए उलेमा, सोया हुआ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड , सोए हुए मदनी साहब.ये देखो अवैध बताकर मुसलमानों के घरों को तोड़ दिया. उन्हें बेघर कर दिया. वो रो रहे. इनके लिए आप कब आवाज उठाओगे ?आखिर बार बार मुसलमानों के ही घरों को अवैध बताकर बुलडोजर से क्यों तोड़ा जाता है ?

इसी तरह ट्रिब्यून की पत्रकार सुमेधा शर्मा ने ट्विटर पर साझा किया है-नंूह में बुलडोजर से तोड़फोड़ जारी है. नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के बाहर केमिस्ट स्टोर, लैब और अन्य दुकानों को तोड़ दिया गया. स्टोर कई वर्षों से संचालित हो रहे थे. नरेंद्र बिरजानिया ऑपरेशन का नेतृत्व कर हैं.

सवाल यह है कि नूंह हिंसा के बाद कहीं शासन-प्रशासन की मंशा मुसलमानों का रोजगार छिनना तो नहीं है ? यह सवाल इस लिए भी उठाना वाजिब है, क्योंकि अब तक नूह हिंसा की प्रतिक्रिया में गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, होडल, फरीदाबाद के कई हिस्से में मुसलमानों की दुकानों, मकानों, धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाने वालों और इमाम की हत्या करने वालों के मकान सुरक्षित हैं. क्यों ?

यह सवाल पूछने की हिम्मत अब तक देश के मुसलमानों के मसीहा ने नहीं दिखाई है. यदि दंगे के शक मात्र से मकान ढहाए जा सकते हैं, तो बाकी के खिलाफ यह कार्रवाई क्यों नहीं. अब यहां यह दलील नहीं चलेगा कि उनके निर्माण अवैध थे. यदि अब तक अवैध थे उनसे पैसे कौन खा रहा था ? ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की क्या प्रक्रिया चल रही है ?

याद रखिए, जिस तरह से आपने खुद को बचाने और धनवान बन रहने के लिए दंगाईयों से समझौता किया है, भारत का मुसलमान आपको कभी माफ नहीं करेगा.

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