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शैक्षिक विकास के लिए मर्कज़ी तालीमी बोर्ड का वित्त मंत्री को महत्वपूर्ण सुझाव

मुस्लिम नाउ , नई दिल्ली

मर्कज़ी तालीमी बोर्ड के अध्यक्ष, प्रोफेसर इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने भारत की वित्त मंत्री को आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए एक विस्तृत सुझाव पत्र सौंपा है. यह पत्र विशेष रूप से देश के अल्पसंख्यक वर्गों और पिछड़े समुदायों के शैक्षिक मानकों को सुधारने के साथ-साथ उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास पर केंद्रित है.

प्रोफेसर सलीम ने इस अवसर पर भारत के शिक्षा क्षेत्र में व्यय को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि मौजूदा समय में भारत का शिक्षा बजट केवल 2.9% है, जो वैश्विक मानकों से बहुत नीचे है. उन्होंने सुझाव दिया कि इसे बढ़ाकर 6% किया जाए, ताकि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें.

उन्होंने शिक्षा को हर नागरिक के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया और शिक्षा के निजीकरण को रोकने की आवश्यकता को रेखांकित किया.

इसके अलावा, उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों – आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी और मेडिकल कॉलेजों – की फीसों में कमी करने का सुझाव दिया ताकि ये संस्थान अधिक छात्रों के लिए उपलब्ध हो सकें. प्रोफेसर सलीम ने साथ ही छात्रवृत्ति योजनाओं को बढ़ाने की आवश्यकता जताई, जिससे अधिक छात्रों को शिक्षण सामग्री और आर्थिक मदद मिल सके.

उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों में बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और डिजिटल संसाधनों के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने की भी मांग की.

प्रोफेसर सलीम ने अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और फेलोशिप अनुदानों में पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता जताई. उन्होंने केंद्र सरकार के तहत अल्पसंख्यक समुदायों, अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अन्य उपेक्षित वर्गों के लिए योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं को और विस्तारित करने का सुझाव दिया.

प्रोफेसर सलीम ने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का प्रस्ताव भी दिया. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि वंचित वर्गों को बेहतर शिक्षा तक पहुंच मिल सके। इसके साथ ही, उन्होंने भदोही में कालीन बुनाई, मुरादाबाद में धातुकर्म और बीदर में बिदरी जैसे पारंपरिक शिल्पों को विकसित करने के लिए अनुसंधान केंद्रों और कौशल आधारित डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने का भी सुझाव दिया.

प्रोफेसर सलीम ने अल्पसंख्यक क्षेत्रों में स्कूल प्रबंधन समितियों की प्रभावशीलता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने विशेष रूप से अल्पसंख्यक इलाकों में छात्रों और शिक्षकों की शैक्षिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की वकालत की और परामर्श केंद्रों की स्थापना की आवश्यकता पर जोर दिया.

मुसलमानों की शिक्षा स्थिति में सुधार के लिए, उन्होंने अल्पसंख्यक बहुल जिलों में मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रावासों के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने एक विशेष आयोग गठित कर मुस्लिम छात्रों की शिक्षा स्थिति का आकलन करने और कॉलेज स्तर पर स्नातक करने वाले मुस्लिम छात्रों के लिए एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का भी सुझाव दिया.

इसके अलावा, उन्होंने उर्दू माध्यम के स्कूलों में सुधार के लिए विशेष बजट आवंटित करने और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप मदरसों को उन्नत करने की अपील की.

इन सभी सुझावों के माध्यम से, प्रोफेसर सलीम ने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि वे इन सुझावों को आगामी केंद्रीय बजट में शामिल करें. उनका मानना है कि ये प्रस्ताव न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की शैक्षिक प्रगति में मदद करेंगे, बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाएंगे. उन्होंने कहा कि यह कदम देश के शिक्षा ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रभावी कदम होगा.