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दावे अलग-अलग: गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती आर्थिक असमानता पर कौन सही आरएसएस या भाजपा ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

देश में गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती आर्थिक असमानता को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस और इसकी सियासी पार्टी भाजपा के अपने-अपने दावे हैं. आरएसएस ने जहां गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई को लेकर गहरी चिंता प्रकट की है, वहीं केंद्र की भाजपा सरकार की तरफ से ‘आल इज वेल’ बताया गया है. आरएसएस का कहना है कि पहली सरकारों की तुलना में स्थिति मंे मोदी सरकार ने काफी सुधार किया है, फिर भी देश की बेरोजगारी दर तकरीबन आठ प्रतिशत है. जाहिर सी बात है, जब सरकार ही करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की बात कर रही है तो समझा जा सकता है कि इस ‘विश्व गुरू’ का क्या हाल है.

बहरहाल, आरएसएस केे सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने लगातार बढ़ती आय असमानता, बेरोजगारी और गरीबी पर चिंता व्यक्त की है. होसबले ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन देश में गरीबी से त्रस्त, बेरोजगारी दर और आय असमानता की मात्रा अभी भी राक्षसों की तरह एक चुनौती बनी हुई है. इसे समाप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है. यानी पिछले आठ वर्षों में भी तमाम दावों के बावजूद देश की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

स्वावलंबी भारत अभियान के तहत रविवार को संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित वेबिनार स्वावलंबन का शंखनाद में बोलते हुए होसबले ने कहा कि आज भी देश में 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं. देश के 23 करोड़ लोगों की प्रति व्यक्ति आय 375 रुपये से भी कम है.

बेरोजगारी और आर्थिक असमानता

उन्होंने आगे कहा कि देश में बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी है और चार करोड़ लोग बेरोजगार हैं. देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी की स्थिति को चिंताजनक बताते हुए संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 22 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में 18 करोड़ लोग बेरोजगार हैं.

भारत की आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए होसबले ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले छह बड़े देशों में से एक बन गया है, लेकिन देश में लगातार बढ़ती आर्थिक असमानता आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.उन्होंने कहा कि भारत की शीर्ष एक प्रतिशत आबादी के पास देश की आय का पांचवां हिस्सा है. वहीं देश की 50 फीसदी आबादी को कुल आय का महज 13 फीसदी ही मिलता है.

संघ नेता ने देश की स्थिति के लिए पिछली सरकारों की गलत आर्थिक और शिक्षा नीतियों को जिम्मेदार ठहराया. कहा कि केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने स्थिति को सुधारने के लिए अच्छा काम किया है.उन्होंने कहा, 10 साल पहले 22 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, जो अब केवल 18 प्रतिशत है. पिछले दस वर्षों में लोगों की प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने वाले वर्षों में गरीबी उन्मूलन में भी मदद कर सकती है.

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए कई र्मोचों पर काम करना होगा. सरकार के साथ देश के समाज और उद्योगपतियों को भी आगे आना होगा. युवा पीढ़ी को नौकरी की तलाश करने की बजाय स्वरोजगार का रास्ता अपनाकर रोजगार सृजन का जरिया भी बनना होगा. समाज में श्रम के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने और लोगों की मानसिकता को बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत को एक समृद्ध देश बनाने के लिए सभी को मिलकर कई मोर्चों पर काम करना होगा.

मंत्री का खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट का दावा

त्योहारी सीजन के बीच कीमतों में बढ़ोतरी की खबरों के बाद उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को ट्विटर पर दावा किया कि पिछले महीने की तुलना में दालों और सब्जियों सहित कुछ वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है. उनका यह दावा आरएसएस द्वारा देश में बढ़ती असमानता और बेरोजगारी पर सवाल उठाने के एक दिन बाद आया है.

मंत्री ने सोमवार को ट्विटर पर कहा, त्योहारों के समय में खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट, घर में जश्न, बजट में राहत. उन्होंने एक ग्राफिक भी संलग्न किया जिसमें दिखाया गया है कि कैसे कई वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है.

पिछले महीने की इसी तारीख की तुलना में 2 अक्टूबर को पाम तेल की कीमत में 11 प्रतिशत, प्याज में 8 प्रतिशत और आलू की कीमत में 7 प्रतिशत की कमी आई है. इसी तरह, इसी अवधि के दौरान चना दाल की कीमत में 4 प्रतिशत और सरसों के तेल में 3 प्रतिशत की कमी आई. यह ग्राफिक में दिखाया गया है.रविवार को आरएसएस ने देश में गरीबी, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता का मुद्दा उठाया था.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित एक वेबिनार के दौरान कहा कि, देश में गरीबी हमारे सामने एक राक्षस की तरह खड़ी है. यह महत्वपूर्ण है कि हम इस राक्षस को मार डालें. 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो हमें बहुत दुखी करता है. 23 करोड़ लोगों की आय प्रति दिन 375 रुपये से कम है. देश में चार करोड़ बेरोजगार लोग हैं. श्रम बल सर्वेक्षण कहता है कि हमारे पास 7.6 प्रतिशत का बेरोजगारी दर है.