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CNN Report : भारत – पाकिस्तान में संघर्षविराम, क्या यह कायम रह पाएगा? जानिए पूरी बात

क्रिश्चियन एडवर्ड्स

भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को तत्काल प्रभाव से संघर्षविराम पर सहमति जताई, जिससे दोनों परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी देशों के बीच दशकों में सबसे खराब सैन्य संघर्ष अचानक थम गया. यह समझौता ऐसे समय पर हुआ जब दोनों देशों के बीच ‘एक के बदले दो’ जैसी कार्रवाइयाँ बेकाबू होती दिख रही थीं.

हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संघर्षविराम की घोषणा सबसे पहले की. इसके लिए श्रेय भी लिया, लेकिन भारत और पाकिस्तान ने इस समझौते में अमेरिका की भूमिका को लेकर अलग-अलग दावे किए हैं.

घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, सीमा उल्लंघनों की खबरें भी सामने आने लगीं, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि यह संघर्षविराम कितने समय तक टिकेगा.

संघर्षविराम कैसे हुआ?

भारतीय और पाकिस्तानी समयानुसार शनिवार शाम लगभग 5 बजे (ET सुबह 8 बजे), डोनाल्ड ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए संघर्षविराम की घोषणा की.

उन्होंने लिखा:”एक लंबी रात की बातचीत के बाद, जिसमें अमेरिका ने मध्यस्थता की, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने तत्काल प्रभाव से पूर्ण संघर्षविराम पर सहमति जताई है.”

उन्होंने दोनों देशों के नेताओं की “सामान्य समझ और बुद्धिमत्ता” की सराहना की.
इसके तुरंत बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान न केवल संघर्षविराम पर सहमत हुए हैं, बल्कि वे एक तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने के लिए भी तैयार हो गए हैं. रुबियो ने कहा कि यह समझौता तब संभव हो पाया जब उन्होंने और उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने बीते दो दिनों में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की..

कुछ मिनटों बाद पाकिस्तान ने संघर्षविराम की पुष्टि की, और भारत की ओर से भी जल्द ही इसकी पुष्टि हो गई.

विवादित दावे: अमेरिका की भूमिका पर मतभेद क्यों?

भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सीधे तौर पर हुआ है, और अमेरिका की भूमिका को कमतर आँका. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अभी आगे की बातचीत पर कोई निर्णय नहीं हुआ है.

इसके उलट, पाकिस्तानी अधिकारियों ने अमेरिका की खुले दिल से प्रशंसा की.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने कहा:”हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व और शांति के लिए उनकी सक्रिय भूमिका के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं.”CNN से बातचीत में पाकिस्तान से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अमेरिका, खासकर मार्को रुबियो, इस समझौते को अंतिम रूप देने में निर्णायक भूमिका में थे. सूत्रों ने कहा कि अंतिम क्षणों तक यह वार्ता विफल होने के कगार पर थी, लेकिन अंत में समझौता हो सका.

भारत और पाकिस्तान की विपरीत कहानियाँ चौंकाने वाली नहीं हैं

यह आश्चर्यजनक नहीं होना चाहिए कि इन कट्टर प्रतिद्वंद्वियों ने संघर्षविराम तक पहुँचने के तरीके को लेकर परस्पर विरोधी बयान दिए हैं.विश्लेषकों का कहना है कि भारत, जो खुद को एक उभरती हुई महाशक्ति मानता है, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का लंबे समय से विरोध करता रहा है, जबकि पाकिस्तान, जो विदेशी सहायता पर अत्यधिक निर्भर है, अंतरराष्ट्रीय दखल का स्वागत करता है..

वॉशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में भारत और दक्षिण एशिया मामलों की विशेषज्ञ डॉ. अपर्णा पांडे ने कहा:”भारत ने कभी भी किसी विवाद में मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है — चाहे वो भारत-पाकिस्तान हो या भारत-चीन या कोई और मामला.”

उन्होंने आगे कहा:”पाकिस्तान हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता चाहता रहा है, इसलिए वह इसकी तारीफ करेगा. यह उसके लिए एकमात्र तरीका है जिससे वह भारत पर कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करने का दबाव बना सकता है.”

शनिवार के संघर्षविराम से पहले की लड़ाई दावों, प्रतिदावों और दुष्प्रचार से भरी हुई थी. अब जबकि संघर्ष अस्थायी रूप से रुका है, दोनों पक्ष यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस संघर्ष में किसने क्या हासिल किया और यह कैसे खत्म हुआ.

शनिवार को क्या हुआ?

शनिवार दोपहर हुआ संघर्षविराम इसलिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि सुबह की लड़ाई बेहद तीव्र और खतरनाक थी.शनिवार तड़के, पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ने उसके कई प्रमुख सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए. इन हमलों का दायरा पाक अधिकृत कश्मीर से लेकर इस्लामाबाद के नज़दीक स्थित सैन्य अड्डों तक फैला हुआ था.

इसके जवाब में, पाकिस्तान ने कहा कि उसने भारत के सैन्य एयरबेस पर जवाबी हमला किया। पाकिस्तानी सेना ने अपने बयान में कहा:”आँख के बदले आँख.”कुछ घंटे बाद, भारत शासित कश्मीर के कई हिस्सों में विस्फोटों की खबरें आईं — जिनमें श्रीनगर (क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर) और जम्मू शामिल हैं.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत की आक्रामकता का “तगड़ा जवाब” दिया है.चार दिन तक एक-दूसरे की जमीन पर सीधे सैन्य हमलों के बाद, क्षेत्र में यह डर फैल गया था कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से ठोस दबाव नहीं डाला गया, तो ये पलटवार और तेज़ होते जाएंगे.

इस संकट की शुरुआत कैसे हुई?

इस बार की लड़ाई की शुरुआत कश्मीर से हुई — एक विवादित क्षेत्र, जो 1947 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से भारत-पाक संबंधों में सबसे बड़ा टकराव बिंदु बना हुआ है.
ब्रिटिश भारत के विभाजन से बने दो राष्ट्र — हिंदू बहुल भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान — दोनों कश्मीर पर पूरा अधिकार जताते हैं, जबकि वे वास्तव में इसके केवल कुछ हिस्सों पर नियंत्रण रखते हैं. स्वतंत्रता के कुछ ही महीनों बाद, उन्होंने कश्मीर को लेकर पहली जंग लड़ी थी.

26 अप्रैल को, भारतीय प्रशासित कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में बंदूकधारियों ने सैलानियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. इस नरसंहार में कम से कम 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई.

नई दिल्ली ने तुरंत इस हमले के लिए इस्लामाबाद को ज़िम्मेदार ठहराया, और “सीमापार आतंकवाद” को समर्थन देने का आरोप लगाया. पाकिस्तान ने इस हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है.पहलगाम हमले के दो हफ्ते बाद, बुधवार को भारत ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में कई हमले शुरू किए, जिन्हें “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया.

इस बार का संघर्ष पहले के मुकाबले कहीं अधिक व्यापक रहा है, जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की गहराई तक सैन्य हमले किए हैं.

अमेरिका क्यों शामिल हुआ?

सिर्फ दो दिन पहले, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अमेरिकी भूमिका को कमतर बताते हुए कहा था:”हम जो कर सकते हैं, वो यह है कि दोनों पक्षों को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित करें. लेकिन हम उस युद्ध में बीच में नहीं कूदेंगे, जो हमारी चिंता का विषय नहीं है और अमेरिका का उस पर कोई नियंत्रण नहीं है.”

लेकिन जेडी वेंस के इस रवैये में अचानक आए बदलाव ने यह दिखाया कि दो परमाणु शक्तियों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अमेरिका और वैश्विक समुदाय कितना चिंतित हो गया था.

ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने CNN को बताया कि शुक्रवार को जब उन्हें यह खुफिया जानकारी मिली कि यह संघर्ष किस हद तक बढ़ सकता है, तो अमेरिकी विदेश मंत्रालय को इसमें गहराई से शामिल होना पड़ा.

क्या यह संघर्षविराम टिकेगा?

हालांकि फिलहाल भारत और पाकिस्तान ने टकराव से एक कदम पीछे हटाया है, लेकिन यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि संघर्षविराम स्थायी साबित होगा या नहीं.भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार को पाकिस्तान पर बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जब भारत और पाकिस्तान शासित कश्मीर दोनों में विस्फोटों की खबरें आईं.

वहीं, पाकिस्तान ने भी भारत पर संघर्षविराम के उल्लंघन का आरोप लगाया, लेकिन यह भी कहा कि वह “संघर्षविराम को ईमानदारी से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.”दोनों देशों ने कई प्रतिशोधी कदम उठाए — जैसे वीज़ा निलंबन, व्यापार पर प्रतिबंध, और भारत ने महत्वपूर्ण जल-साझा समझौते में भागीदारी स्थगित कर दी है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये फैसले वापस लिए जाएंगे या नहीं.

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