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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: मैरी कॉम की छाया से भारतीय मुक्केबाजी को निकालने को बेता हैं निकहत जरीन, देश उनसे पदक की उम्मीद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, बर्मिघम
देश की दूसरी बड़ी आबादी होने के बावजूद भले ही कॉमनवेल्थ गेम्स मंे हिस्सा लेने बर्मिंघन पहुंचे भारतीय दल में मुस्लिम खिलाड़ी ना के बराबर हैं. मगर उनमें से कई भारत की झोली में पदक डालने को बेहद जोश से भरे हैं. ऐसी ही खिलाड़ियों से एक हैं मुक्केबाज निकहत जरीन. वह न केवल बेहतर प्रदर्शन करने को बेताब हैं, भारतीय महिला मुक्केबाजी को मैरी कॉम की छाया से बाहर निकालने को भी आतुर नजर आ रही हैं. इस समय उन्हें भारत का अव्वल दर्जे का महिला मुक्केबाज माना जा रहा है. पिछले दिनों उन्हांेने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी में गोल्ड लाया है.

हाल में विश्व चौंपियन बनीं निकहत जरीन राष्ट्रमंडल खेलों की मुक्केबाजी स्पर्धा में अपने पहले अभियान की शुरुआत रविवार को यहां महिलाओं के 48-50 किग्रा लाइट फ्लाईवेट वर्ग में मोजाम्बिक की हेलेना इस्माइल बगाओ के साथ करेंगी.

26 वर्षीय निकहत को क्वार्टर फाइनल में आसानी से ड्रॉ मिल गया है. अगर वह मोजाम्बिक मुक्केबाज से आगे निकल जाती हैं तो उनका सामना एक और निचली रैंकिंग की मुक्केबाज वेल्स की हेलेन जोन्स से होगा.

निकहत शानदार फॉर्म में है. उन्होंने इस साल मई में विश्व चौंपियनशिप के खिताब के लिए अपना रास्ता बनाया था. इस्तांबुल में 52 किग्रा वर्ग में थाईलैंड के जितपोंग जुतामास को फ्लाई-वेट फाइनल में हराकर स्वर्ण पदक जीता था.

इस जीत के साथ, वह विश्व चौंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज बन गईं. इससे पहले एमसी मैरी कॉम, लैशराम सरिता देवी, जेनी आर ने यह कारनामा अंजाम दिया था.

निकहत ने इस साल सोफिया, बुल्गारिया में प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में फाइनल में यूक्रेन की तीन बार की यूरोपीय चौंपियनशिप पदक विजेता तेलियाना रोब को हराकर स्वर्ण पदक जीता. इस जीत और विश्व चौंपियनशिप में उसकी जीत ने निकहत को अपने भार वर्ग में सर्वश्रेष्ठ पाउंड-फॉर-पाउंड मुक्केबाज के रूप में स्थापित किया. राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण जीतने से निकहत की प्रतिष्ठा और बढ़ेगी, जिन्होंने वर्षो तक महान मैरी कॉम के प्रभुत्व वाले भार वर्गो में अपनी छाप छोड़ने के लिए संघर्ष किया था.

इस्तांबुल में स्वर्ण पदक जीतकर मैरी कॉम की छाया से बाहर आने के बाद निकहत के पास अब अपना वर्चस्व स्थापित करने का एक और मौका है. मैरी कॉम को चोट के कारण ट्रायल से बाहर होना पड़ा था.

उम्र के साथ मैरी कॉम के खिलाफ काम करते हुए निकहत के पास अब बर्मिघम 2022 में स्वर्ण पदक जीतने और 50-52 किग्रा भार वर्ग में खुद को भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज के रूप में स्थापित करने का मौका है. उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कुछ किलोग्राम वजन कम करना पड़ा और 2023 में एशियाई खेलों और 2024 में पेरिस ओलंपिक के लिए फिर से कुछ वजन बढ़ाना होगा.

बर्मिघम 2022 में स्वर्ण पदक जीतने से निश्चित रूप से अगले साल होने वाले एशियाई खेलों और उसके बाद फ्रांस की राजधानी में होने वाले ओलंपिक में कठिन चुनौतियों से पहले उनका मनोबल बढ़ेगा.

निकहत जरीन की आगे की राह रविवार को राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग से शुरू होगी. तेलंगाना के उस्मानाबाद की मुक्केबाज को अपने अवसरों को दोनों हाथों से हथियाने और मैरी कॉम का अनुकरण करने के लिए मैदान पर अपना अधिकार स्थापित करने की जरूरत है. बर्मिंघम पहुंचकर बहुत खुश हैं.उन्हांेने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर वहां की कुछ तस्वीरें साझा कर कहा है कि वह भारतीय दल का हिस्से हैं, यह उनके लिए गर्व की बात है.