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चुनावी माहौल में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाएं: सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे विवादित वीडियो

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारत में चुनावी मौसम आते ही सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली घटनाएं अक्सर जोर पकड़ लेती हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि यह अब चुनावी रणनीति का एक हिस्सा बन गया है. हालांकि, देश के अधिकांश लोग इस बात को समझने लगे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि पुलिस और प्रशासन की इस ओर कोई खास दिलचस्पी नहीं है. इसी कारण, दिल्ली चुनाव से पहले देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाली घटनाएं फिर से सामने आने लगी हैं.

वायरल वीडियो और बढ़ती घटनाएं

सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो बड़ी संख्या में वायरल हो रहे हैं, जिनमें सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के प्रयास साफ नजर आते हैं. हाल ही में बिहार, असम और उत्तर प्रदेश से ऐसे कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिन्होंने माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है.

बिहार के बांका जिले का मामला

बिहार के बांका जिले के बाराहाट प्रखंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कुछ लोगों द्वारा मदरसे के छात्रों को पीटते हुए और उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने पर मजबूर करते हुए दिखाया गया है. एक प्रसिद्ध इंफ्लुएंसर ने इस वीडियो को साझा करते हुए लिखा, “मदरसे के छात्रों को पीटा गया और उन्हें ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया.”

असम के सिलचर का विवाद

एक अन्य वीडियो, जो असम के सिलचर का बताया जा रहा है, में कक्षा आठ के एक छात्र पर स्कूल की दीवार पर ‘अल्लाहू अकबर’ लिखने का आरोप लगाया गया. इसके बाद उस छात्र को बेरहमी से पीटा गया और ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया. इस घटना ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा बटोरी है.हालांकि प्रशासन की ओर से इस मामले में अभी तक कोई स्पष्ट कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है.

उत्तर प्रदेश के बरेली की घटना

उत्तर प्रदेश के बरेली से भी 22 जनवरी की एक घटना का वीडियो सामने आया है. इसमें एक धार्मिक रैली के दौरान डीजे पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया गया है. बताया जा रहा है कि यह घटना अलीगंज थाना क्षेत्र की है, जहां डीजे पर अल्लाह का अपमान करते हुए कुछ भड़काऊ नारे लगाए गए.

पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता

इन घटनाओं को देखते हुए यह साफ है कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के पीछे कोई गहरी साजिश हो सकती है. साथ ही, प्रशासन की ओर से बरती जा रही लापरवाही भी इन घटनाओं को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार और पुलिस प्रशासन इन मामलों को गंभीरता से लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.

इन सभी घटनाओं ने शांतिपूर्ण माहौल को गहराई से प्रभावित किया है. हैरानी की बात यह है कि सोशल मीडिया पर विवादास्पद पोस्ट के मामले में पुलिस प्रशासन तुरंत कार्रवाई करता है, लेकिन इन गंभीर मामलों में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. अगर ये वीडियो सही हैं, तो तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए थी. वहीं, अगर ये वीडियो भ्रामक हैं, तो इन्हें वायरल करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.

माहौल बिगाड़ने की साजिश या प्रशासनिक लापरवाही?

सांप्रदायिक तनाव के इस बढ़ते खतरे को नजरअंदाज करना समाज के लिए घातक साबित हो सकता है. इन मामलों में तत्परता और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करना आवश्यक है, ताकि चुनावी माहौल में देश का सौहार्द और शांति बनी रहे.

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