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सांप्रदायिकता किसी भी समाज की जड़ों को खोखला कर देती है, समीक्षा बैठक में बोले मौलाना मदनी

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

सांप्रदायिकता किसी भी समाज की जड़ों को खोखला कर देती है. हमारी लड़ाई इस सोच के खिलाफ दशकों से जारी है. मेवात दंगों के दौरान बहुसंख्यक वर्ग के ऐसे लोग भी सामने आए जिन्होंने हमलावरों को अपने हाथों से रोका, सोहना में सिख समुदाय के लोगों ने मस्जिद की रक्षा की, लेकिन दूसरी ओर यह भी सत्य है कि दंगाइयों ने सोहना, गुरुग्राम, पलवल, होडल और रसूलपुर के इलाकों में मस्जिदों और मुसलमानों की दुकानों पर हमला किया और उन्हें नुकसान पहुंचाया, ये निराशाजनक है कि पुलिस प्रशासन ने ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की और वह अब भी खुलेआम घूम रहे हैं. उक्त बातें जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने बुधवार को मस्जिद कैल गांव, बल्लभगढ़, फरीदाबाद में जमीयत के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कही.

मौलाना मदने ने कहा कि हमें सांप्रदायिकता और नफरती अपराधों को खत्म करना है तो हमें न्यायपूर्ण कदम उठाने होंगे. इस संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है और शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम की ओर ध्यान आकर्षित किया है.

धर्म और समुदाय भेदभाव के बगैर लोगों की मदद

मौलाना मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा जरूरतमंदों का कल्याण करने वाला एक परोपकारी संगठन है, हमें अपने पूर्वजों से विरासत में यही मिला है. इसलिए जहां कहीं भी ऐसे लोगों का घर उजड़ता है, किसी को अकारण परेशान किया जाता है, तो हम धर्म और समुदाय के बिना किसी भेदभाव के उनकी मदद करते हैं. इससे हमारा उद्देश्य केवल अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करना होता है. उन्होंने जमाअत के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो, पीड़ितों की मदद करें और जो अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार हुए हैं, उनके साथ भलाई करें.
इस अवसर पर जमीअत उलमा, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के महासचिव मौलाना याहया करीमी ने जमीअत अध्यक्ष की सेवा में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर संतोष व्यक्त किया गया.

चार प्रकार की समितियां गठित की गई

मौलाना याहया करीमी ने बताया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और केंद्र के अन्य सहयोगियों का बड़ा संघर्ष है. उनकी देखरेख में चार प्रकार की समितियां गठित की गई हैं- (1) कानूनी सेल (2) घरों के निर्माण और प्रभावित मस्जिदों की मरम्मत के लिए समिति, (3) राशन किट वितरण समिति, (4) रेहड़ी इत्यादि का सर्वेक्षण और वितरण आदि से संबंधित कमेटी. अल्लाह का शुक्र है कि गठित की गई राहत समितियों ने संयुक्त रूप से अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार निभाने की कोशिश की. होडल, तावड़ू, पलवल, सोहना, रसूलपुर में जिन मस्जिदों को क्षतिग्रस्त किया गया, उनमें से 11 मस्जिदों की मरम्मत जमीअत कर रही है.

मस्जिदों के पुनर्वास में स्थानीय स्तर पर मेहनत

इसके अलावा, 50 तिरपाल वितरित किए गए और 10 घरों का पुनर्निर्माण शुरू किया गया. कुल 369 राशन किट वितरित किए गए, 48 खोखों को क्षतिग्रस्त किया गया था, जिनमें से 16 खोखे पुनर्निर्मित हो चुके हैं, 103 रेहड़ियां वितरित की जा चुकी हैं. इसी तरह मुफ्ती मोहम्मद सलीम बनारसी की रिपोर्ट के अनुसार जमीअत उलमा गुरुग्राम की ओर से विभिन्न तरीकों से लगभग 3 लाख 95 हजार रुपये की सहायता की गई. मौलाना याह्या करीमी ने बताया कि हाजी यूनुस और यासिर अराफात ने पलवल और होडल की मस्जिदों के पुनर्वास में स्थानीय स्तर पर कड़ी मेहनत की और प्रशासन के साथ मस्जिदों की रक्षा की.

12 सदस्यीय वकीलों की एक टीम

गिरफ्तार किए गए 330 लोगों में से अब तक 179 लोगों के परिवारों से आवेदन प्राप्त हुए हैं. जमीअत द्वारा नियुक्त वकील ताहिर रोपड़िया के नेतृत्व में 12 सदस्यीय वकीलों की एक टीम के अथक प्रयासों से 51 लोगों को जमानत मंजूर हो चुकी है.

इस समीक्षा में जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, जमीअत उलमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी, हाफिज़ मोहम्मद आसिम बेंगलुरु, मौलाना गय्यूर अहमद कासमी, मेवात से जमीअत उलमा संयुक्त पंजाब के महासचिव मोहम्मद याह्या करीमी, मौलाना असलम बडीडवी, मुफ्ती मोहम्मद सलीम बनारसी, मौलाना मोहम्मद सलीम साकरस, मौलाना ज़फरुद्दीन, मौलाना उस्मान, मौलाना नासिर, मोहम्मद आलम गुमट और अमन फेलोशिप से हाफिज़ मोहम्मद सलीम फिरोजपुर, मौलाना दिलशाद तावड़ू, हाफिज़ यामीन सोहना इत्यादि शामिल.