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औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग पर विवाद तेज, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र)

मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त करने की मांग के बीच छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्दाबाद में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे दक्षिणपंथी संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए हैं। नागपुर, मुंबई और अन्य स्थानों पर इन संगठनों ने सरकार को ज्ञापन सौंपकर कब्र को हटाने की मांग की है।

वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने साफ कर दिया है कि कब्र एक संरक्षित स्मारक है और उसकी सुरक्षा करना प्रशासन का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार इसे श्रद्धा के रूप में नहीं, बल्कि ऐतिहासिक रिकॉर्ड के रूप में देखती है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी तरह से औरंगजेब का महिमामंडन नहीं होने देगी।

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सुरक्षा बढ़ी, आगंतुकों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य

विवाद बढ़ने के बाद प्रशासन ने कब्र स्थल पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। अब कब्र पर जाने वाले हर आगंतुक को पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है।

🔹 सुरक्षा इंतजाम:
राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF) की एक पूरी कंपनी तैनात।
✔ स्थानीय पुलिस के 30 जवान और 20 होमगार्ड भी मौके पर मौजूद।
✔ कब्र स्थल और उसके आसपास कई सुरक्षा चौकियां स्थापित की गईं।
✔ आगंतुकों को होमगार्ड की निगरानी में रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराना होगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन एहतियात के तौर पर सुरक्षा बढ़ाई गई है।”


विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल का विरोध

विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने छत्रपति संभाजीनगर के महल क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया और औरंगजेब का पुतला जलाया।

📌 VHP के दावे:
✅ औरंगजेब ने मराठा योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज को प्रताड़ित कर मार डाला।
✅ औरंगजेब के आदेश पर सिख गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों की हत्या कर दी गई।
✅ काशी, मथुरा, सोमनाथ में मंदिरों का विध्वंस किया गया।
✅ औरंगजेब का स्मारक गुलामी और पीड़ा का प्रतीक है, इसलिए इसे हटाया जाए।

VHP के नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कार्रवाई नहीं की, तो वे स्वयं छत्रपति संभाजीनगर में मार्च करेंगे और कब्र को ध्वस्त करेंगे।


कब्र के रखवाले का बयान: ‘स्थिति शांतिपूर्ण’

कब्र के रखवाले परवेज कबीर अहमद ने कहा कि विवाद के चलते आगंतुकों की संख्या में गिरावट आई है। उन्होंने कहा,
“रमज़ान के दौरान आमतौर पर आगंतुक कम आते हैं। पहले रोज़ाना करीब 100 लोग आते थे, लेकिन अब संख्या में गिरावट देखी जा रही है।”

उन्होंने लोगों से अफवाहों पर विश्वास न करने की अपील की और कहा कि स्थिति नियंत्रण में है।


मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार केवल इसलिए कब्र की सुरक्षा कर रही है क्योंकि यह संरक्षित स्मारक के दायरे में आता है। उन्होंने कहा,
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि औरंगजेब के इतिहास को देखते हुए हमें उसकी कब्र की सुरक्षा करनी पड़ रही है, लेकिन यह केवल ऐतिहासिक रिकॉर्ड का हिस्सा है, न कि श्रद्धा का विषय।”

उन्होंने यह भी कहा कि शिवाजी महाराज का मंदिर ही महिमामंडन का हकदार है, और सरकार किसी भी तरह से औरंगजेब की विरासत को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं देगी।

📌 मुख्यमंत्री के प्रमुख बिंदु:
✔ सरकार कब्र का महिमामंडन नहीं करेगी।
✔ सुरक्षा केवल कानूनी औपचारिकता के तहत दी जा रही है।
✔ छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्मान सर्वोपरि।


निष्कर्ष: विवाद और सुरक्षा दोनों जारी

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। दक्षिणपंथी संगठन इसे हटाने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे संरक्षित स्मारक के रूप में देख रही है। सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने कब्र स्थल पर कड़ी निगरानी रखी है और आगंतुकों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है।

क्या सरकार VHP और अन्य संगठनों की मांग को मानकर औरंगजेब की कब्र को हटाएगी, या इसे संरक्षित स्मारक बनाए रखेगी? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल, यह मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में गर्म बहस का विषय बना हुआ है।

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