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हत्या से पहले कश्मीर के सेवानिवृत्त एसएसपी की सुरक्षा हटाने पर विवाद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, श्रीनगर

हाल में कश्मीर की एक मस्जिद में जम्मू एंड कश्मीर के एक सीनियर पुलिस अधिकारीकी की हत्या किए जाने को लेकर सियासी बवंडर खड़ा हो गया है. हत्या से कुछ दिन पहले उसकी सुरक्षा हटा दी गई थी, जिसको लेकर प्रशन उठाए जा रहे हैं.सेवानिवृत्त एसएसपी मोहम्मद शफी मीर की हत्या से पहले सुरक्षा हटाए जाने को लेकर सवाल उठाते हुए जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘ अचानक सुरक्षा क्यों हटाई गई? दुखद परिणाम निर्विवाद है. बंदूकधारियों ने बेरहमी से पुलिसकर्मी की जान ले ली है. यह गंभीर घटना व्यक्तिगत सुरक्षा को प्रभावित करने वाले निर्णयों के गंभीर परिणामों को रेखांकित करती है.’’

इस हत्या को लेकर पुलिस के रवैये पर इस लिए भी सवाल दागे जा रहे हैं कि हाल के दिनों घात लगाकर कई पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया गया. उनमें सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. इस घटना के बाद से घाटी के बाकी सेवानिवृत्त पुलिस कर्मी डरे हुए हैं.

हालांकि इस मुददे पर अभी तक जम्मू कश्मीर पुलिस खामोश है. उसकी ओर से अब तक इसपर जवाब देना बेहतर नहीं समझा गया है. बावजूद इसके महबूबा द्वारा उठाया गया यह अहम सवाल अब सियासी रंग पकड़ने लगा है.हत्या की इस घटना पर द वाॅयर ने विस्तृत रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट में बताया गया है, ‘मोहम्मद शफी मीर ने सेवानिवृत्ति के बाद खुद को समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया था. अपने गांव की एक स्थानीय मस्जिद में मुअज्जिन बन गए थे.’ फिर भी हथियारबंद लोगों ने उनकी हत्या कर दी.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है,‘रविवार, 24 दिसंबर को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में एक मस्जिद के अंदर संदिग्ध आतंकवादियों ने एक शीर्ष सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी.’रिपोर्ट आगे कहता है, ‘पीड़ित की पहचान मोहम्मद शफी मीर के रूप में की गई है, जो 2012 में जम्मू-कश्मीर पुलिस से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे. वह एक संरक्षित व्यक्ति थे. उनके साथ चैबीसों घंटे एक सुरक्षा अधिकारी तैनात था जिसे हाल में वापस ले लिया गया था.’

इस घटना पर इंडियन इंडियन एक्सप्रेस लिखता है,जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बयान में कहा कि यह घटना शीरी के गंतमुल्ला गांव में हुई, जो इस उत्तरी कश्मीर सीमावर्ती जिले में बारामूला और उरी शहरों के बीच पड़ता है.जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक्स पर पोस्ट किया, आतंकवादियों ने गेंटमुल्ला, शीरी रुबारामूला में एक सेवानिवृत्त अधिकारी मोहम्मद शफी पर मस्जिद में अजान (सुबह की प्रार्थना) करते समय गोलीबारी की और चोटों के कारण उनकी मृत्यु हो गई.

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शफी, जिन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद खुद को समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया था, अपने गांव की एक स्थानीय मस्जिद में मुअज्जिन थे, जहां रविवार की सुबह जब हमला हुआ तो वह नमाज के लिए अजान दे रहे थे.मारे गए सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की अंतिम संस्कार प्रार्थना में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया, जिनकी सुरक्षा व्यवस्था हाल ही में स्थानीय प्रशासन ने वापस ले ली थी.

द वायर से बात करते हुए उनके भाई अब्दुल करीम मीर ने कहा कि किसी भी अन्य दिन की तरह, शफी पड़ोस की मस्जिद से अजान देने के लिए सुबह होने से पहले घर से निकल गए थे.उन्होंने कहा, जब वह अजान (प्रार्थना के लिए अजान) के बीच में थे, तभी हमने गोली चलने की आवाज सुनी और अजान काट दी गई.

करीम ने आगे कहा, किसी ने ज्यादा नोटिस नहीं लिया.हम एक शांतिपूर्ण क्षेत्र में रहते हैं. जब आतंकवाद अपने चरम पर था, तब भी हम सामान्य जीवन जी रहे थे. कोई 10-15 मिनट बाद मेरी बहू को पड़ोस में रोने की आवाज सुनाई दी.

करीम ने कहा कि जब तक वह मस्जिद पहुंचे, उनके भाई को स्थानीय लोग अस्पताल ले गए थे, “मैंने मस्जिद में खून देखा. मुझे लगा कि वह गिर गया है और उसे मस्तिष्क रक्तस्राव हुआ है जिसके कारण फर्श पर खून फैल गया है. लेकिन जब मैं अस्पताल पहुंचा तो मुझे पता चला कि उसे गोली मार दी गई है.

बताया गया कि जैसे ही गोलीबारी की खबर फैली, शफी का पैतृक गांव सदमे और शोक में डूब गया. अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को इलाके में भेजा गया और हमलावरों को पकड़ने के लिए तलाशी ली गई.शफी की अंतिम संस्कार की नमाज में सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए.उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं, जिनमें से एक शिक्षक हैं. उन्हें गैंटमुल्ला गांव में उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया गया.

नमाज जनाजा में भाग लेते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त उप-निरीक्षक गुलाम रसूल मीर ने कहा, वह अधिकारियों के बीच एक अधिकारी और किसानों के बीच एक किसान थे.यह हमारे गांव में इस तरह की पहली घटना है. इसने मेरे जैसे सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के जीवन में और अधिक अनिश्चितता ला दी है.

लक्षित हत्याए

उत्तरी कश्मीर में यह हमला लक्षित हत्याओं की एक श्रृंखला की याद दिलाता है जिसमें 2021 में पूरी घाटी में अल्पसंख्यक पंडित समुदाय के सदस्यों और प्रवासी श्रमिकों की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

सेवानिवृत्त एसएसपी की हत्या श्रीनगर के बेमिना इलाके में हमदानिया कॉलोनी में एक लक्षित हमले में एक पुलिस कांस्टेबल को गोली मारकर घायल करने के कुछ दिनों बाद हुई है. दो महीने से भी कम समय में इसी तरह के हमले में एक ऑफ-ड्यूटी जम्मू-कश्मीर पुलिस हेड कांस्टेबल की मौत हो गई थी.

अक्टूबर में, एक पुलिस निरीक्षक मसरूर अहमद वानी को उस समय गोली मार दी गई जब वह श्रीनगर के ईदगाह इलाके में अपने घर के पास एक मैदान पर क्रिकेट खेल रहे थे. कई दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद, पीड़ित को बाद में राष्ट्रीय राजधानी के एम्स में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया.

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आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई है. इस साल सुरक्षा बलों की हुई हताहतों की संख्या 2022 के आंकड़े को पार कर गई है.इस सप्ताह की शुरुआत में पुंछ में आतंकवाद विरोधी अभियान स्थल की ओर जा रहे सेना के दो वाहनों पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सेना के पांच जवान मारे गए और दो अन्य घायल हो गए थे.

हमले के संबंध में पूछताछ के लिए सेना द्वारा उठाए गए तीन नागरिकों के परिवारों ने आरोप लगाया कि हिरासत में उन्हें प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया, जिसके बाद केंद्र शासित प्रदेश में तनाव व्याप्त है. प्रशासन को जांच के आदेश देने पड़े हैं.