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कोरोना ने सऊदी अरब में काम करने वाले लाखों मुसलमानों को बना दिया बेकार

कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने सऊदी देशों में काम करने वाले लाखों लोगों को घर बैठा दिया है. केरल, बिहार, राजस्थान सहित देशों के विभिन्न प्रदेशों से लाखों लोग कमाई के लिए अरब देशों में जाते हैं. इनमें सर्वाधिक संख्या मुसलमानों की होती है.

मगर पहले मंदी और अब कोरोना ने उनके सामने रोजी-रोटी का भयंकर संकट पैदा कर दिया है. बिहार के सीवान जिले के गांव-गांव से लोग खाड़ी के देशों में मेहनत मजदूरी करने जाते थे.अभी सारे वहां से लौट कर अपने घरों में बेकार बैठे हैं.

इसी तरह राजस्थान के   शेखावाटी जनपद से भारी तादाद में मजदूर अरब में भवन निर्माण से जुड़े कामों के लिए हर वर्ष जाते हैं. वहां बेकार होकर लौटने के बाद अब उनके लिए अपने बच्चों को दो जून की रोटी

उपलब्ध कराना भी मुश्किल हो रहा है. सभी बेकार घरों में पड़े हैं. पहले मजदूरों को मंदी ने मारा.अब कोराना महामारी से उपजे हालात ने उनकी कमर तोड़ दी है.

 
कतर के अलावा अरब के तमाम देशों में भवन निर्माण व उससे जुड़े काम बंद हैं या मंद पड़े हैं. कोरोना की शुरुआत व उसके बाद मजदूर अरब देशों से वतन लौट आए. अब उनमें से अधिकांश जाना चाहते हैं, पर एक तो हवाई जहाज की सुविधा अभी चालू नहीं हुई है, दूसरे विदेशों में काम भी थोड़ा ही रह गया है. कुछ की घर में पड़े-पड़े वीजा की समाप्त हो गई है.            

दुबई से लौटे एक पत्रकार ने बताया कि अरब देशांे  में भवन निर्माण व उससे जुड़े काम पहले मंदी व अब कोराना महामारी के कारण बंद हैं. वहां भवनों पर टू-लेट के बोर्ड लगा दिए गए हैं. कोरोना महामारी के कारण नौकरी गंवाने वाले मजदूर कुछ दिनों तक अपने खर्च पर रहकर वापस वतन लौट आए हैं. यही नहीं जो दो साल पहले छुट्टी पर आए थे काम नहीं होने के कारण वे भी नहीं लौट पाए हैं. 
2022 में कतर में फुटबॉल वर्ल्ड कप होने होना है. इसके कारण अरब के मात्र कतर में ही थोड़ा बहुत  भवन निर्माण व उससे जुड़ा  काम चल रहा है. वहां काम करने वालों को मजदूरी भी अच्छी मिल रही है.
 

 दो साल पहले तक अरब में राजस्थान के शेखावाटी के करीब दस लाख मजदूर रहते थे. उनसे अधिकांश भवन निर्माण के काम में थे. सऊदी अरब में मजदूर कैंपों में रहते थे. कुछ ने किराने की दुकान या जनरल स्टोर खोल लिया था. मजदूरों के वतन वापसी के बाद ये दुकानें भी बंद हो चुकी हैं. ऐसे दुकानदार भी वतन वापस हो चुके हैं.
             
 अरब से लौटने वाले कुछ लोगांे ने अपनी जीविका चलाने के लिए यहां छोटा-मोटा रोजगार शुरू किया है. कुछ  लोग सउदी से कमाया धन घर पर बैठे-बैठे खा रहे हैं. सऊदी अरब में हुए क्रैन हादसे के चलते बिलादीन कंपनी पर पाबंदी लगने से हजारों मजदूरों का रोजगार अचानक छिन गया था. वे भी वतन वापस आ गए थे.
         

  सऊदी अरब मंे करीब चालीस वर्षों तक रोजगार करने वाले राजस्थान के जवारपुरा खावं के मोहम्मद सरवर खान की भी स्वदेश वापसी हो चुकी है.उन्होंने बताया कि अरब में अब आम मजदूरों के लिए ना के बराबर काम रह गया है. केवल टेक्निकल व स्किल्ड मजदूरों को ही रखा जा रहा है.

उन्होंने बताया कि जब वो सऊदी में रहते थे, मकान किराए पर मिलना मुश्किल व महंगा था. अब सस्ती दर पर अच्छी लोकेशन पर किराए पर मकान मिल रहे हैं.वहां मकानांे हर जगह ‘पर टू बी रेंट’ का बोर्ड लटका मिलेगा.
 
उन्हांेने बताया कि मस्जिद अल हरम में 11 सितंबर 2015 को क्रैन गिरने से करीब 111 लोगांे की मौत के बाद बिलादीन कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. यह कंपनी सर्वाधिक मजदूरों को नौकरी देती थी. इसके बाद सऊदी की एक और कंपनी ओजर फेल हो गई.

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इसके बाद कोरोना संक्रमण का दौर शुरू हो गया. इन सबने सउदी देशों मंे काम करने वालों को घर
बैठा दिया. कोराना मंे वतन आए लोगांे का कहना है कि वे बिना हिसाब-किताब किए घर आ गए हैं. जो लोग कंपनियों में मजदूरी करते थे उनके पैसे तो कोशिश करने से शायल मिल जाएं, लेकिन जो कफिल यानी दलाल के मार्फत मजदूरी करने गए थे उनका पैसा मिलना मुश्किल है.

दुबई मंे काम करने वाले सीकर के मतलूब फारुकी ने बताया कि वहां के मजदूरों का बुरा हाल है. भवन निर्माण का काम ठप्प है. कंपनी मंे काम नहीं  होने से उन्हें बीना वीजा वापस भारत लौटना पड़ा.
             

सउद अरब से बेरोजगार होकर लौटे कई लोग अभी नरेगा में मजदूर कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लोगों ने मुर्गी व बकरा पालन का काम शुरू किया है. अलग बात है कि उनमें से कई को इस तरह के कामों का अनुभव नहीं होने से अपनी लाखों की पूंजी गंवा बैठे. इसके इतर कुछ लोगांे अपने खेतों में काम करना शुरू कर दिया है.