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हिजाब विवाद पर ‘दंगल गर्ल’ जायरा वसीम ने बोलीं-यह अनुचित है

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,  नई दिल्ली
 
‘दंगल गर्ल‘ से चर्चित और बॉलीवुड को अलविदा कह चुकीं अभिनेत्री जायरा वसीम ने कर्नाटक के मौजूदा हिजाब विवाद पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति पैदा करने की कोशिश चल रही है कि मुस्लिम लड़कियां पर्दा जोड़ दें या पढ़ाई.

मुस्लिम छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, इस पर कर्नाटक राज्य में चल रही अशांति ने दिग्गज गीतकार जावेद अख्तर, शबाना आजमी और अभिनेत्री सोनम कपूर सहित कई हस्तियों का ध्यान आकर्षित किया है.इसी क्रम में पूर्व अभिनेत्री जायरा वसीम ने इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए अपनी सोशल मीडिया एकाउंट का इस्तेमाल किया है.

जायरा ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक लंबा नोट पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘हिजब को पसंद करने की विरासत में मिली धारणा गलत है.‘‘‘सीक्रेट सुपरस्टार‘ अभिनेता की पोस्ट कर्नाटक में कई महिलाओं को हिजाब पहनने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा परेशान किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है.

उन्होंने हिजाब को लेकर चलाई जा रही खास तरह की नरेटिव की ओर इशारा करते हुए लिखा है,‘‘यह अक्सर या तो सुविधा या अज्ञानता के कारण होता है. हिजाब इस्लाम में एक विकल्प नहीं बल्कि एक दायित्व है. इसी तरह, एक महिला जो हिजाब पहनती है, वह उस दायित्व को पूरा कर रही है जिसे वह प्यार करती है और खुद को समर्पित कर चुकी है. ‘‘

21 वर्षीय पूर्व अभिनेत्री ने कहा, ‘‘वह एक महिला के रूप में कृतज्ञता और विनम्रता के साथ हिजाब पहनती हैं.’’उन्होंने कहा, मैं इस पूरी व्यवस्था से नाराज और विरोध करती हूं, जहां महिलाओं को केवल एक धार्मिक प्रतिबद्धता के लिए रोका और परेशान किया जा रहा है.‘‘

उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ इस पूर्वाग्रह को रोकना और ऐसी व्यवस्था स्थापित करना जहां उन्हें शिक्षा और हिजाब के बीच फैसला करने को मजबूर किया जा रहा है. यह एक पूर्ण अन्याय है.‘‘जायरा ने आलोचकों को घेरते हुए कहा ‘‘यह एक बहुत विशिष्ट विकल्प बनाने के लिए मजबूर करने का प्रयास है, जो आपके एजेंडे को दिखाता है.‘‘

जायरा वसीम ने कहा,‘‘उन्हें अलग तरीके चुनने को प्रोत्साहित करने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है. यह उन लोगों के साथ पक्षपात नहीं तो क्या है जो इसके समर्थन में कार्य करने की पुष्टि करते हैं?

हिजाब विवाद के बीच, कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि हिजाब मुस्लिम आस्था का एक आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है और इसे रोकना धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन नहीं है.बता दूं कि मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन सदस्यीय पीठ राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

कर्नाटक सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि राज्य ने यह स्टैंड लिया है कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा के तहत नहीं आता है. इस बीच हद यह हो गई कि हिमाचल प्रदेश जैसे प्रदेश जहां मुसलमान ना के बराबर हैं, शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. ऐसी सूचनाएं कई और प्रदेश के शिक्षण संस्थानों से आई हैं.