दाऊदी बोहरा के 53 वें गुरू डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन फिर बने पांच साल के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया के चांसलर
मुस्लिम नाउ ब्यूरो नई दिल्ली
दाऊदी बोहरा के 53 वें गुरू डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन फिर पांच साल के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया के चांसलर बनाए गए हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) की अदालत (अंजुमन) के सदस्यों ने सर्वसम्मति से डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन को दोबारा पांच साल के लिए विश्वविद्यालय का कुलाधिपति (अमीर-ए-जामिया) चुन लिया. अंजुमन की बैठक में सोमवार को यह अहम निर्णय लिया गया.
डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने पिछले साल विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में अपना पांच साल का पहला कार्यकाल पूरा किया है. वह मेधावी और प्रशंसनीय साख वाले शानदार मुस्लिम नेता माने जाते हैं. 53वें अल-दाई अल-मुतलक, डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन 2014 से देश की 10 लाख की आबादी वाले दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के प्रमुख हैं.
जामिया की कुलपति डाॅ नजमा अख्तर का कहना है कि डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने अपने असाधारण उदाहरणों से यूनिवर्सिटी का नेतृत्व किया है. वो शिक्षा, पर्यावरण, सामाजिक-आर्थिक पहलू आदि पर विशेष ध्यान देने के अलावा बड़े पैमाने पर समाज की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं.
डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के नेतृत्व मंे सैफी बुरहानी अपलिफ्ट प्रोजेक्ट, टर्निंग द टाइड, प्रोजेक्ट राइज, एफएमबी कम्युनिटी किचन, भोजन की बर्बादी को कम करने, पर्यावरण की रक्षा आदि जैसे कई अहम कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वह समाज में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं.
सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और प्रशंसाओं से सम्मानित किया जा चुका है. हाल में वो दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों की सूची में शामिल किए गए हंै. यूएस कैपिटल में यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में उनके योगदान पर प्रशस्ति पत्र पढ़ा जा चुका है. उन्हें कई देशों में सम्मानित राज्य अतिथि होने का भी गौरव प्राप्त है.
सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन सूरत में ऐतिहासिक दाऊदी बोहरा शैक्षणिक संस्थान अल-जामिया-तूस-सैफिया के एक विशिष्ट पूर्व छात्र रहे हैं. वह विश्व प्रसिद्ध अल-अजहर विश्वविद्यालय और काहिरा विश्वविद्यालय, मिस्र के भी छात्र रह चुके हैं. उन्होंने 10 फरवरी, 2023 को मुंबई में अल-जामिया-तुस-सैफिया के एक नए परिसर का उद्घाटन किया था. डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने पिछले पांच वर्षों में कई ग्रंथ लिखे हैं. उनके लिखी किताबांें में व्यावहारिक अरबी, उर्दू कविताएं आदि शामिल हैं. उन्होंने समुदाय की स्थानीय भाषा, लिसन अल-दावत में उत्कृष्ट साहित्यिक और कविताएं भी लिखी हैं. वह देश और दुनिया भर में परोपकारी कार्य करते रहे हैं. उन्होंने कृषि के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया है. इसके अलावा यमन में लड़कियों और लड़कों की शिक्षा पर भी काम कर रहे हैं.