कैप्टन अमरिंदर सिंह की मां की दोस्त और मलेरकोटला की आखिरी नवाब बेगम मुनव्वर-उल-निसा का निधन, पंजाब के इतिहास में रखती थीं विशेष स्थान
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, चंडीगढ़
पंजाब के 23 वें जिले मालेरकोटला के आखिरी नवाब की पत्नी बेगम मुनव्वर-उल-निसा का शुक्रवार को निधन हो गया. तकरीबन दो साल पहले उन्होंने मालेरकोटला के 150 साल पुराने मुबारक मंजिल पैलेस को सरकार को सौंप दिया था. इसके बाद इसे एक स्मारक के रूप में पुनर्स्थापित, पुनर्निर्मित और संरक्षित किया गया है.
100 साल की उम्र की राजकुमारी बेगम निसा, मालेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान की उत्तराधिकारी थीं, जो पंजाब के इतिहास में एक विशेष स्थान रखती थीं. उन्होंने 1705 में सरहिंद के सूबेदार वजीर खान के दरबार में गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की फांसी का विरोध किया था.
आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता अरशद डाली ने मुस्लिम नाउ को बताया कि बेगम निसा को दोपहर 3 बजे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. उन्होंने पुष्टि की कि वह 100 वर्ष की हो गई थीं. कहा कि वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं. बेगम निसा, जिनकी कोई संतान और कोई कानूनी उत्तराधिकारी नहीं है, को उनके भतीजे अजीज मियां द्वारा सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
जनवरी 2021 में, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के शासनकाल के दौरान, बेगम निसा ने अपने महल के अवशेष पंजाब सरकार को दे दिए ताकि इसे एक स्मारक के रूप में बहाल और संरक्षित किया जा सके.बेगम निसा बेगम मुनव्वर-उल-निसा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की मां मोहिंदर कौर की दोस्त थीं.बेगम निसा ने तब बताया था, “मेरी आखिरी इच्छा, आप कह सकते हैं, यही है कि मैं इस महल को पहले की तरह जगमगाता छोड़ कर जाऊं. ”
तब डाली सरकार और बेगम के बीच एक पुल बन गई थी, जो चाहती थी कि सरकार महल का अधिग्रहण कर ले.आप नेता डाली ने कहा,महल सरकार को सौंपने का नोटिफिकेशन उसी समय हो गया था. हालांकि बाद में काम कछुआ गति से चला. उन्हें चिंता थी कि उनके बाद महल पर निजी पार्टियों का कब्जा हो जाएगा. यह अब सरकार के कब्जे में है. यह महल पंजाबियों के लिए नवाब शेर मोहम्मद साहब के इतिहास के कारण महत्वपूर्ण है, जिन्हें गुरु गोबिंद सिंह ने अपने बेटों के समर्थन के सम्मान में एक तलवार भेंट की थी. ”
जबकि 32,400 वर्ग फुट क्षेत्र में फैले महल को पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया है. बेगम ने अनुरोध किया था कि उन्हें अपनी मृत्यु तक महल में रहने की अनुमति दी जाए. सरकार ने उनकी शर्त मान ली थी और उन्हें 3 करोड़ रुपये की पेशकश की थी. महल से जुड़े कई मामले चल रहे हैं.
बेगम निसा कई वर्षों से गरीबी में जी रही थीं और महल में कीमती सामान पिछले कुछ वर्षों में बिक गया था. पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू एक बार उनसे मिलने आए थे और उन्हें फर्नीचर के कुछ टुकड़े भेंट किए थे.