रमज़ान में सरकारी राहत की मांग पर फिर छिड़ी बहस, महाराष्ट्र में मुस्लिम कर्मचारियों के लिए विशेष छूट की गुहार
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📍 मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
रमज़ान के पवित्र महीने में रोज़ेदारों को राहत देने की परंपरा लंबे समय तक केंद्र और राज्य सरकारों में देखने को मिलती रही है। विभिन्न राज्यों में कार्य समय में कटौती, इफ्तार पार्टियां और अन्य सुविधाएं मुस्लिम कर्मचारियों को प्रदान की जाती थीं। लेकिन पिछले एक दशक से इस परंपरा को लगभग खत्म कर दिया गया है।
👉 अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकारों का यह फैसला मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है, या यह तुष्टिकरण की राजनीति को रोकने की एक पहल?
रमज़ान में सरकारी राहत की मांग फिर से ज़ोरों पर
👉 एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार से रमज़ान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों के लिए काम के घंटे कम करने की मांग की है। उन्होंने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का हवाला देते हुए कहा कि जिस तरह वहां मुस्लिम कर्मचारियों को रोज़े के दौरान एक घंटा पहले छुट्टी दी जा रही है, उसी तरह महाराष्ट्र में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए।
उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर आग्रह किया कि 2 मार्च 2025 से 31 मार्च 2025 तक मुस्लिम कर्मचारियों को शाम 4 बजे छुट्टी दी जाए।
📌 वारिस पठान ने अपने पत्र की कॉपी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी साझा की और लिखा:
“महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस जी से निवेदन है कि जिस तरह तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में रमज़ान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों को 1 घंटा पहले यानी 4 बजे छुट्टी दी गई है, उसी तरह महाराष्ट्र में भी यह सुविधा लागू की जाए।”
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस जी से निवेदन है कि जिस तरह तेलंगाना और आंद्रा में रमज़ान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों को १ घंटा पहले यानी ४ बजे छुट्टी दी गई है उसी तरह महाराष्ट्र में भी २ मार्च २०२५ से ३१ मार्च २०२५ तक ४ बजे छुट्टी दी जाए। @Dev_Fadnavis… pic.twitter.com/YaJaRxwIZ1
— Waris Pathan (@warispathan) February 21, 2025
सरकारी नीति में बदलाव: इफ्तार पार्टियों पर रोक और कुंभ में विशेष सुविधाएं
पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर रमज़ान के दौरान इफ्तार पार्टियों का आयोजन बंद कर दिया है। इसके अलावा, सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में भी रमज़ान के दौरान दी जाने वाली विशेष राहतों में कटौती कर दी गई है।
इसके विपरीत, हिंदू त्योहारों पर कई तरह की विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं।
- जेलों में कैदियों को कुंभ स्नान की अनुमति दी गई और उनके लिए विशेष व्यवस्था की गई।
- कई राज्यों में सरकारी कर्मचारियों को विशेष अवकाश या सुविधाएं दी जाती हैं।
👉 इस असमानता को लेकर मुस्लिम संगठनों और नेताओं के बीच चिंता बढ़ रही है।
पूर्व IPS अधिकारी अब्दुर रहमान ने सरकारी राहत की आलोचना की
जहां वारिस पठान रमज़ान में सरकारी राहत की मांग कर रहे हैं, वहीं पूर्व IPS अधिकारी अब्दुर रहमान ने इस मांग को गलत करार दिया है। उन्होंने एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर कहा कि ऐसे फैसले मुसलमानों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान ही पहुंचाते हैं।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा:
“कांग्रेस और अन्य सेक्युलर दल मुसलमानों को ऐसा तोहफा देते हैं जिससे फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है। ये ऐसे निर्णय लेते हैं, जिन्हें हिंदूवादी संगठन तुष्टिकरण का नाम देते हैं, जिससे लंबे समय में मुस्लिम समाज को ही घाटा होता है।”
उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में पहले से ही बहुत कम मुस्लिम कर्मचारी हैं, और जो लोग रोज़ा रखते हैं, वे अपने हिसाब से इसकी व्यवस्था कर लेते हैं।
📌 उन्होंने रमज़ान में राहत देने के बजाय इन बिंदुओं पर ध्यान देने की अपील की:
1️⃣ गरीब मुस्लिम छात्रों के लिए स्कॉलरशिप दी जाए।
2️⃣ व्यवसाय के लिए मुस्लिम युवाओं को लोन दिया जाए।
3️⃣ मुस्लिम बहुल इलाकों में अच्छे स्कूल और उच्च शिक्षा के संस्थान खोले जाएं।
4️⃣ मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए।
5️⃣ राजनीति और सरकारी नौकरियों में मुस्लिम समुदाय को उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी दी जाए।
कांग्रेस और अन्य सेक्युलर दल मुसलमानों को ऐसा तोहफा देते हैं जिससे फायदा कम नुकसान ज्यादा होता है.
— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) February 19, 2025
ऐसा काम करते हैं और इस तरह से प्रस्तुत करते हैं कि RSS और अन्य हिंदूवादी संगठन इसे तुष्टिकरण का नाम देते हैं जिससे लॉन्ग रन में मुसलमानो को घाटा ही होता है.
सरकारी नौकरी में… pic.twitter.com/hwWt1jJTno
हिंदूवादी संगठनों ने ‘तुष्टिकरण’ करार दिया
तेलंगाना सरकार द्वारा मुस्लिम कर्मचारियों को 4 बजे छुट्टी देने के फैसले की हिंदू संगठनों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि “यह तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण है और इससे समाज में विभाजन बढ़ेगा।”
🚨 आरएसएस और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ विरोध जताते हुए कहा:
📌 “अगर सरकार को विशेष राहत देनी है तो इसे सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू किया जाए।”
📌 “इस तरह के फैसले हिंदू समाज को हाशिए पर डालने का प्रयास हैं।”
क्या रमज़ान में छूट देना सही या गलत? एक्सपर्ट्स की राय
🔹 समर्थन में:
👉 सामाजिक कार्यकर्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी मानते हैं कि रमज़ान में मुस्लिम कर्मचारियों को कार्य समय में छूट देना कोई नई बात नहीं है। कई इस्लामिक देशों और यहां तक कि भारत के कुछ राज्यों में भी यह सुविधा पहले दी जाती रही है। यह फैसला मानवीय आधार पर लिया जाना चाहिए।
🔹 विरोध में:
👉 सेक्युलर नेताओं और कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों का मानना है कि सरकार को धार्मिक आधार पर छूट देने के बजाय शिक्षा, रोजगार और आर्थिक सुधारों पर ध्यान देना चाहिए।
रमज़ान में राहत की मांग पर आगे क्या?
📌 रमज़ान के दौरान सरकारी राहत देने की मांग फिर से राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बन गई है।
📌 महाराष्ट्र सरकार अब इस मुद्दे पर क्या फैसला लेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
📌 मुस्लिम समुदाय इस पर बंटा हुआ नजर आ रहा है—कुछ लोग इसे धार्मिक अधिकार मानते हैं, तो कुछ इसे गैरजरूरी मानकर शिक्षा, रोजगार और कानूनी सुधारों पर फोकस करने की बात कर रहे हैं।
👉 आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या सरकारों को रमज़ान में मुस्लिम कर्मचारियों को विशेष छूट देनी चाहिए, या सभी धर्मों के साथ समान नीति अपनानी चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं! ⬇