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इमाम अहमद बुखारी की ‘नादानी’ से विवाद में आई दिल्ली जामा मस्जिद, उपराज्यपाल के कहने पर आदेश लिया वापस

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

इमाम अहमद बुखारी की नादानी से गुरुवार को दिनभर दिल्ली की शाही मस्जिद विवादों में रही. इस मामले में उन्हंे भी हाथ सेकने का मौका मिला जो हमेशा इस्लाम और मुसलमान की कमियां ढूंढकर उन्हें शर्मसार करने का मौका ढूंढते रहते हैं.

पूरा मामला कुछ यूं कि जामा मस्जिद मंे इबादत करने की बजाए तफरीह करने आने वाली लड़कियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने गेट पर ‘लड़की और लड़कियों के ग्रुप’ पर पाबंदी लगाने का एक बोर्ड लगा दिया. इस बारे में इमाम बुखारी का कहना है कि कई लड़के-लड़कियां मस्जिद में पिकनिक मानाने आते हैं. इस दौरान मस्जिद में टिक टॉक के लिए रील बनाई जाती है. मोबाइल पर गाने सुने जाते हैं. जबकि दिल्ली मार्केटिंग करने आने वाली महिलाएं और लड़कियां मस्जिद में इकट्ठी होकर पिकनिक का आनंद उठाती हैं. यहां तक कि नमाज के समय भी यह सिलसिला चलता रहा है. इसे रोकने और पवित्रता बनाए रखने के लिए मस्जिद में मटरगश्मी करने आने वाली लड़कियों पर पाबंदी लगाने का एक निर्णय लिया गया.

इमाम बुखारी का कहना है कि मस्जिद में इबादत करने आने वाली महिलाओं पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है.मगर इमाम अहमद बुखारी ने नोटिस बोर्ड लगाते समय दूरंदेशी से काम नहीं लिया. उन्हांेने अड्डेबाजी करने या वीडियो बनाने वाले मर्द-औरतों को रोकने वाला नोटिस लगाने की बजाए, सपाट तौर पर मस्जिद में अकेली और ग्रुप में आने वाली लड़कियों पर पाबंदी लगाने वाला बोर्ड लगा दिया.

बस क्या था. इस्लाम और मुसलमान विरोधियों को अनर्गल प्रलाप का मौका मिल गया. एक वेबसाइट तो इमाम अहमद बुखारी की इस भूल को तालीबानी कदम तक करार देने से भी पीछे नहीं रहा. बीजेपी ने भी इसके विरोध में आनन-फानन बयान जारी कर दिया.

मामला यहीं नहीं थमा. दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन मालीवाल ने तो इसे असंवैधानिक तक करार दे दिया. बिलकिस बानो मामले में चुप्पी साधने वाले भी इस मुददे पर मुखर दिखे.

इस बीच खबर आई कि  दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से बात करने के बाद इमाम बुखारी अपने इस आदेश को वापस लेने पर सहमत हो गए.राज निवास के सूत्र ने बताया कि विवाद बढ़ता देख दिल्ली एलजी सक्सेना ने इमाम बुखारी से बात की और उनसे आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया. इमाम बुखारी इस अनुरोध के साथ आदेश वापस लेने पर सहमत हुए.

इससे पहले तालिबानी हरकत करार देते हुए मालीवाल ने कहा कि हमने इमाम को नोटिस जारी किया है. जामा मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का फैसला बिल्कुल गलत है. इस तरह महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाने का अधिकार किसी को नहीं है. उन्होंने कहा कि हर हाल में प्रतिबंध हटाया जाएगा.

इससे इतर सोशल मीडिया पर जामा मस्जिद में अड्डेबाज महिलाओं पर अंकुश लगाने के इमाम बुखारी के प्रयास को खूब सराहा जा रहा है. जामिया मिलिया इस्लामिया के इस्लामियात के प्रोफेसर रहे अख्तरुल वासे ने एक न्यूज पोर्टल से बात करते हुए इमाम अहमद बुखारी के फैसले का समर्थन किया. उनका कहना है कि यदि नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में औरतों, लड़कियों को रोका जाता तब यह आपत्तिजनक बात होती. मस्जिद की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह प्रयास जरूरी है. इस मामले में दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन मालीवाल की भी खूब खिंचाई हो रही है कि बिना हकीकत जानेे उन्होंने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर दिया. मस्जिद में नमाज, इबादत करने आने वाली महिला या लड़कियों के आने पर कोई पाबंदी नहीं है. मालीवाल ने बिलकिस बानो मामले में कई दिनों तक मंुह नहीं खोला. आज भी आप नेता इस पर चुप्पी साधे हैं.