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DelhiRiots : कोर्ट ने ताहिर हुसैन को नहीं दी जमानत; लोग बोले यह न्याय की हत्या है

ब्यूरो रिपोर्ट।
आम आदमी पार्टी से निष्कासित नगर निगम पार्षद ताहिर हुसैन शक्तिशली व्यक्ति हैं या नहीं। हैं भी तो किस दर्जे के ? छानबीन का यह लंबा विषय हो सकता है। मगर दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें ‘शक्तिशली व्यक्ति’ मानते हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे के एक मामले में जमानत देने से मना कर दिया। इस मामले में अदालत कीे टिप्पणी भी थोड़ा विरोधाभासी है। जमानत से इनकार करते समय जहां कहा गया कि उनके खिलाफ घटना को लेकर कोई वीडिया या सीसीटीवी फुटेज नहीं है। न ही दंगा में उनका सीधा हाथ है। बावजूद इसके घटनास्थल पर उनकी मौजूदगी के सबूत मिले हैं। अदालत का मानना है कि ताहिर हुसैन ने दंगाइयों को ‘मानव हथियारों’ की तरह इस्तेमाल किया, पर लोग इस बात से सहमत नहीं। जमानत रदद किए जाने पर उन्होंने  तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई ने अदालत की टिप्पणी पर सवाल उठाए हैं।
 ताहिर हुसैन दिल्ली दंगे के दौरान केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मी अंकित कुमार की हत्या के मामले में आरोपी हैं। आईबी कर्मी की लाश नाले से बरामद हुई थी। उसके शरीर पर तेज हथियार के 51 घाव मिले थे। दिल्ली पुलिस का मानना है कि अंकित की हत्या सोच-समझकर ढंडे दिमाग से की गई। कुछ लोगों के बयान पर ताहिर हुसैन को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वह आम आदमी पार्टी के नगर निगम पार्षद थे। आरोप लगते ही पार्टी ने एक खास वर्ग के दबाव में  उन्हें तुरंत निष्काषित कर दिया।
सोमवार को वीडिया कान्फ्रेसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए दिल्ली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधी विनोद यादव ने उनकी जमानत रदद कर दी। कहा कि वह ‘शक्तिशाली व्यक्ति’ हैं। जेल से बाहर आने ही गवाहों को धमका कर केस को प्रभावित कर सकते हैं। सभी गवाह एक ही इलाके से हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस बाबत पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपी अपराध वाले स्थान पर मौजूद था। दंगाइयों को ‘मानव हथियार’ के तौर पर इस हद तक प्रेरित किया कि वह कुछ भी करन को तैयार हो जाए। हालांकि उन्होंने अपने हाथों से कुछ नहीं किया। ‘इंडिया टुडे’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने यह भी माना है कि घटना को लेकर एकत्रित साक्ष्यों का परीक्षण अभी बाकी है। इस सिलसिले में कुछ और लोगों की गिरफ्तारी होनी है।
 उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी को हुसैन के आवास पर कथित तौर पर दंगे की साजिश रचने के बारे में कतिपय लोगों ने बयान दिया है। इस बाबत कोई वीडिया या सीसीटीवी फुटेज नहीं है। दिल्ली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के मुताबिक, उन्हें लगता है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली का दंगा सुनियोजित और संगठित था। इस साजिश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पिंजड़ा तोड़, जामिया को-ऑडिनेशन कमेटी, सीएए विरोधी और यनाइटेड एगेंस्ट हेड ग्रुप के लोग शामिल थे। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी एक प्राथमिकी दर्ज की है। सुनवाई के दौरान विशेष लोेक अभियोजक मनोज चौधरी ने भी ताहिर हुसैन की जमानत का विरोध किया।


 दूसरी तरफ अदालत की टिप्पणियों और जमानत नहीं देने के फैसले से एक वर्ग असंतुष्ट है। ऐसे लोगों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जाहिर करने वाली टिप्पणियों कीं हैं। शेख अब्दुल्लाह ने इसे न्याय की हत्या बताया है। अलीम ने न्याय प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। मिर्जा जी ट्वीट TahirHussain कर कहते हैं कि ताहिर हुसैन का जुर्म है कि वह मुसलमान हैं। तिवारी और कपिल मिश्रा के वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर मौजूद होने के बावजूद वे फ्री हैं। आपको याद होगा ‘गोली मारो सालों गद्दारों को।’ शाहिदामास ने ट्वीट किया है कि कपिल मिश्रा और दूसरे नेताओं ने लोगों को दंगे के लिए उक्साया, पर उनका क्या हुआ ? शम ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला पुलिस और कोर्ट ने फ्रेम किया है। शोसल मीडिया पर ऐसी टिप्पणियों की बाढ़ आई हुई है।

फोटोः सोशल मीडिया


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